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अखिलेश यादव के निशाने पर वाराणसी की पुजारी पुलिस

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वाराणसी. बाबा विश्वनाथ मंदिर में तैनात पुलिसकर्मी और पुजारियों के बीच आप अंतर नहीं कर पाएंगे. पुलिसकर्मी, पुजारियों की तरह ही धोती कुर्ता, गले में रुद्राक्ष और माथे पर त्रिपुंड लगाए नजर आ रहे हैं. महिला पुलिसकर्मी  भी सलवार कमीज में संतों की तरह नजर आ रही हैं. वाराणसी कमिश्नर मोहित अग्रवाल के 9 अप्रैल को लिए गए एक फैसले पर अब विपक्षी नेताओं ने चिंता जताई है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि जनता से इसकी वजह से ठगी होगी, जिसके लिए कौन जिम्मेदार होगा.

अखिलेश यादव ने चिंता जताई है कि पुजारी के वेश में अगर पुलिसकर्मी रहेंगे तो जनता के साथ लूटपाट होगी. यह पुलिस मैन्युअल का उल्लंघन है और ऐसे आदेश देने वाले अधिकारी के खिलाफ एक्शन होना चाहिए. अखिलेश यादव ने कहा है कि अगर पुलिसकर्मी ही ऐसी ड्रेस में होंगे तो कोई भी उन्हीं तरह की ड्रेस पहनकर भोली-भाली जनता को ठग सकता है.

अखिलेश यादव ने काशी विश्वनाथ से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है, ‘पुजारी के वेश में पुलिसकर्मियों का होना किस पुलिस मैन्युअल के हिसाब से सही है? इस तरह का आदेश देनेवालों को निलंबित किया जाए. कल को इसका लाभ उठाकर कोई भी ठग भोली-भाली जनता को लूटेगा तो उप्र शासन-प्रशासन क्या जवाब देगा.’  सपा नेता मनोज राय ध्रुव चंडी का कहना है कि ये धर्म के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

क्या है वाराणसी पुलिस का आदेश, जिसकी वजह से पुजारी बने पुलिसकर्मी?
वाराणसी के कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने 9 अप्रैल को एक आदेश जारी किया था. आदेश में कहा गया कि मंदिर में एक पुरुष और महिला पुलिसकर्मी पुजारी के वेश में तैनात रहेंगे. उनका काम भक्तों को बाबा विश्वनाथ के सुगम दर्शन कराना होगा. पुलिसकर्मी मंदिर परिसर में भीड़ होने से लोगों को बचाएंगे. पुलिस का कहना है कि पुजारियों की बातों को भक्त सुनकर नियंत्रित रहते हैं, पुलिसकर्मियों की बातों को अनसुनी कर देते हैं. इस व्यवस्था से मंदिर परिसर में अरफा-तरफी नहीं मचेगी. अब इस आदेश पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं. लोगों का कहना है कि यह पुलिस मैन्युअल का उल्लंघन है. सेक्युलर देश में ऐसे आदेश नहीं जारी होने चाहिए.

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