असम-मिजोरम सीमा पर #गोलीकांड:एक बड़ा अंतराष्ट्रीय षड्यंत्र ?

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मिजोरम पुलिस की गोलीबारी का कारण मिजो-असम का सीमा विवाद दिखता है पर वो सिर्फ एक परदा है, ऐसा साफ दिखाई पड़ रहा है।
ये कोई कल या एकाध महीने में पैदा हुआ सीमा विवाद नहीं है।अभी कोई ऐसी उकसाने वाली घटना भी नहीं हुई थी कि मिजोरम पुलिस ने सड़क पर विचार विमर्श करते असावधान असम के पुलिस दल पर अंधाधुंध फायरिंग कर के असम पुलिस के छ: जवानों की हत्या कर दी।
इस घटना के पीछे कोई अदृश्य शक्ति या शक्तियों का नेक्सस है, ऐसा प्रतीत होता है।असम के नव-निर्वाचित मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा ने बहुत कम समय में पूर्वोत्तर के आठों राज्यों में अपनी कुशल सूझबूझ से सर्वोच्च क्षेत्रीय नेता की छवि बनाई है। सोशल मीडिया और भारत की मेन स्ट्रीम मीडिया में हिमंत विश्वशर्मा और योगी आदित्यनाथ( यूपी मुख्यमंत्री) की तुलना करते हुए उन्हें राष्ट्रीय फलक पर उभरने वाला नेता बताया जाने लगा है।
प्रांत में गौरक्षा कानून, जनसंख्या कानून पर हिमंत विश्वशर्मा की तेज गति कई राजनीतिक और मजहबी शक्तियों के आंख की किरकिरी बन चुकी है। इसी बीच हिमंत विश्वशर्मा की सरकार ने ड्रग्स माफिया के विरुद्ध भी मोर्चा खोल लिया था। ये सर्वविदित है कि पूर्वोत्तर के कई पहाड़ी राज्यों में ड्रग्स का धंधा राजनीतिक और अंतराष्ट्रीय माफियाओं के संरक्षण में चलता है। आश्चर्य की बात ये है कि इस घटना के बाद असम के बंगलादेशी मुस्लिम प्रेमी लोग, वामपंथी सोशल मीडिया एक्टिविष्ट और अन्य लोग असम पुलिस की हत्या पर पड़ोसी राज्य की पुलिस पर अपना आक्रोश दिखाने के बजाए अपने प्रांत के मुख्यमंत्री को ही ट्रोल करने की मुहिम में लगे हैं।
हिमंत विश्वशर्मा एक मंझे हुए सीजन नेता हैं और शायद वे इस साजिश को भांप गए हैं इसलिए उन्होंने इस घटना पर पूर्वोत्तर के क्षेत्रीय नेता की तरह बयान दिए हैं। मिजो पुलिस के सर्वोच्च अधिकारी के भड़काऊ बयान के बावजूद और तात्कालिक राजनीतिक नुकसान की संभावना के बाद भी हिमंत विश्वशर्मा का बयान और उनका एक्ट धीर गम्भीर नेता की तरह का दिखा है। इसके लिए वे प्रशंसा के पात्र हैं।
असम सरकार और भारत सरकार को मिजो-असम बॉर्डर पर हुए पुलिस हत्या के मामले की जांच त्वरित गति से करानी चाहिए। मुझे लगता है ये कांड तेजी से उभरते एक नेता की राजनीतिक और जनप्रेमी छवि को ध्वस्त करने की बड़ी अंतराष्ट्रीय साजिश है। सनद रहे, एक संभावना वाले नेता की राजनीतिक हत्या से कई माफियाओं का काला व्यापार संरक्षित हो सकता है…। इस पूरे गोलीकांड की जांच कराई जाए तो किसी न किसी तीसरी शक्ति का हाथ दिखेगा।
-संवेद अनु

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