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असम में दुर्गा पूजा के लिए नयी एसओपी जारी

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असम में अब शारदीय दुर्गा पूजा, काली पूजा, दिवाली का पर्व आने वाले दिनों में आयोजित होने जा रहा है। आगामी त्योहारी सीजन को देखते हुए राज्य सरकार ने इस अवधि के दौरान कोरोना महामारी की स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए कुछ जरूरी एहतियाती उपायों के साथ आगामी दुर्गा पूजा और शरद ऋतु के मौसम के त्योहारों को आयोजित करने के लिए एक नई मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी किया है।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री केशब महंत ने एक संवाददाता सम्मेलन में बुधवार की देर शाम को नई एसओपी के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा, काली पूजा आदि के लिए जिला प्रशासन से पूर्व अनुमति और कोरोना नियमों का पूर्ण अनुपालन करते हुए आयोजन किया जा सकता है।
इसके लिए प्रत्येक जिला प्रशासन पूजा समिति एवं आयोजन समिति के साथ शीघ्र बैठक करेगा जो नियमित रूप से अपने-अपने जिलों में दुर्गा पूजा का आयोजन करते है। उन्हें पूजा से संबंधित कोरोना प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी देना होगा। जिला प्रशासन से पूर्व अनुमति और कोरोना नियमों का पूर्ण अनुपालन करना होगा। आयोजन समिति को अनुमति लेते समय जिला प्रशासन को पहले से सूचित करना होगा कि एक पूजा में कितने लोगों के शामिल होने की संभावना है।
पूजा स्थल काफी चौड़ा बनाना होगा और उसे कई ओर से खुलकर रखना होगा। प्रत्येक पूजा स्थल एवं पूजा मंडप में दो लोगों के बीच न्यूनतम दूरी का पालन करना होगा। पूजा स्थलों एवं पूजा मंडपों के प्रवेश और निकास के लिए अलग से व्यवस्था होनी चाहिए। आयोजक प्रवेश द्वार से बाहर निकलने के लिए उपयुक्त पट्टिका लगाना होगा। पूजा स्थल एवं पूजा मंडप में एक ही समय में बड़ी संख्या में लोगों को एकत्र होने की अनुमति नहीं होगी। आयोजकों को व्यवस्थित तरीके से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने करते हुए लोगों के सुरक्षित आवागमन के लिए स्वयंसेवकों की नियुक्ति करनी होगी। अगर किसी में कोरोना के लक्षण दिखने पर आयोजन समिति को इस संबंध में तत्काल जिला प्रशासन को बताना होगा।
आयोजन समिति के प्रत्येक सदस्य, स्वयंसेवकों, उपासकों के साथ-साथ भक्तों को पूजा स्थल में आने वालों को कोरोन टीका की कम से कम एक खुराक लेना अनिवार्य होगा। बिना टीका वाले लोग कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे। जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि कमेटी के सदस्यों, स्वयंसेवकों, पुजारियों के टीका की रेंडम जांच के बाद अनुमति दी जाएगी। ऐसा नहीं होने पर अनुमति नहीं दी जा सकती है।
पूजा करने वालों को कम से कम एक टीका लगवाना जरूरी है। 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति जिन्होंने टीकाकरण नहीं करा पाया है वह पूजा मंडप या पूजा स्थल में प्रवेश नहीं कर सकेगा। इस संबंध में 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए छूट होगी। प्रत्येक पूजा स्थल या पूजा मंडप के प्रत्येक आयोजक, स्वयंसेवक और पुजारी के लिए पूजा शुरू होने से पहले पंचमी के दिन कोरोना परीक्षण कराना अनिवार्य है। एकादशी के दिन मूर्ति का विसर्जन होने के बाद भी प्रत्येक को फिर से कोरोना परीक्षण कराना होगा।
आयोजकों या पूजा समितियों को बड़ी संख्या में उन स्वयंसेवकों की तैनाती करनी होगी जो कोरोना टीकाकरण करवा चुके हैं। स्वयंसेवक यह सुनिश्चित करेंगे कि आगंतुक मास्क पहने, हाथों को साफ करने और न्यूनतम शारीरिक अंतराल से बचने के कोरोना नियमों का पालन करें और स्वयं इस नियम का भी पालन करेंगे। आयोजक अंजलि प्रसाद, प्रसाद वितरण, शाम की आरती को बहुत कम लोगों के छोटे समूहों में करना होगा। आयोजक स्वयंसेवकों के माध्यम से सुनिश्चित करेंगे कि पांडाल के अंदर आगंतुकों को एक ही स्थान पर इंतजार नहीं करना पड़े। पूजा पंडालों के सभी किनारों पर कम से कम एक व्यक्ति को टीका लगाने वाले व्यक्ति के लिए ही पूजा मंडप में प्रवेश की अनुमति शीर्षक वाली पट्टिका लगाना होगा।
आगंतुकों, आयोजकों, स्वयंसेवकों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य है। पूजा स्थल या मंडप के प्रवेश द्वार पर हैंड सैनिटाइजर की व्यवस्था करनी होगी। आयोजक को प्रतिदिन आगंतुकों के प्रवेश से पहले और रात को दो बार पूजा स्थल या मंडप को सेनिटाइज करना होगा।
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के सायंकालीन अधिनियम की समय सीमा का सभी को पालन करना होगा। सभी आयोजकों या पूजा समितियों को पूजा मंडप को आगंतुकों के लिए खुला रखने के लिए असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा निर्धारित समय सीमा का कड़ाई से पालन करना होगा। जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि रात के निर्धारित समय पर पूजा मंडप का प्रवेश द्वार बंद कर उस दिन के लिए पूजा मंडप कार्यक्रम संपन्न हो जाए।
सार्वजनिक सभाओं के मामले में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार दुर्गा पूजा से पहले और बाद में या पूजा के दिनों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन पर सख्त प्रतिबंध लगा रहेगा। न तो आयोजन समिति और न ही कोई और पूजा स्थल के बाहर या उसके पास कोई मेला आयोजित कर सकेगा। पूजा मंडप के पास सड़क पर दुकान आदि खोलने के लिए जिला प्रशासन से पूर्व अनुमति लेनी होगी। प्रशासन केवल कोरोना नियमों को लागू करने पर ही अनुमति देगा।
आयोजन समिति कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए ही दुर्गा पूजा मंडप का उद्घाटन समारोह और मूर्ति विसर्जन का आयोजन कर सकते हैं। पांडाल का उद्घाटन वर्चुअल तरीके से किया जाना बेहतर होना बताया गया है। आयोजन समिति को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित सीमित संख्या में लोगों द्वारा उठाए जा सकने वाली प्रतिमाओं को रख सकते हैं। ताकि लोग स्वयं उठाकर प्रतिमा का विसर्जन कर सकते हैं। प्रतिमा विसर्जन के संबंध में भी दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं।
मीडिया से पूजा के मद्देनजर सरकार ने आवश्यक कोरोना प्रोटोकॉल का पालन और टीकाकरण के लिए जागरूकता फैलाने का आह्वान किया गया है। जन अभियान में सभी को पूजा और मूर्ति विसर्जन के दौरान गलत समाचार, गलत सूचना और दुष्प्रचार फैलाने से परहेज करने का आह्वान किया गया। स्वास्थ्य विभाग 17 सितम्बर को प्रदेश में फिर से मेगा कोरोना वैक्सीन कार्यक्रम शुरू करेगा। उस दिन कम से कम आठ लाख लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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