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दु्मदुमा प्रेरणा भारती 7 सितंबर —असम के तिनसुकिया और डिब्रूगढ़ जिला इटभटा मालिक संस्था द्वारा आज तिनसुकिया प्रेसक्लब में संयुक्त रूप से एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया।इस पत्रकार वार्ता में दोनो ही जिलों के ईटाभाटा मालिक संस्था के पदाधिकारीयो द्वारा वर्तमान उत्पन्न परिस्थितियों को लेकर ईटाभाटाओ पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर उपस्थित पत्रकारो को अवगत कराया गया। तिनसुकिया जिला ईटाभाटा मालिक संस्था के अध्यक्ष धर्मेंद्र बरुआ,उपाध्यक्ष प्रभु साहू,डिब्रूगढ़ जिला के अध्यक्ष बिनय भद्र,महासचिव कृष्णा दिहिंगिया,सहित दोनो ही जिलों के पदाधिकारीयो की उपस्थिति में आयोजित इस पत्रकार वार्ता में दोनो ही जिले के पदाधिकारियों ने वर्तमान की उत्पन्न परिस्थितियों के कारण जो प्रभाव ईटाभाटा उद्योग पर पड़ रहा है या पड़ने की संभावना है उसको लेकर चिंता व्यक्त करते हुये पूरी परिस्थिति के संदर्भ में उपस्थित पत्रकारो को अवगत कराया गया।वर्तमान में जो परिस्थितिया है उसमें लोअर असम के श्रमिक ऊपरी असम के इटाभटा में काम करने हेतु आने में कतरा रहे है और अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे है।इटाभटा में काम करने वाले श्रमिकों की काफी कमी हो रही है।इटाभटा उद्योग जिसमे स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में प्रत्येक और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुये है अगर लोअर असम से श्रमिक नही आयेगा तो इटाभटा उद्योग एक तरह से मृत्यु के मुख में पड़ने के समान हो जाएगा।संस्था के पदाधिकारियों ने असम सरकार से मांग की है कि सरकार इस विषय मे उपयुक्त कदम उठाये और लोअर असम के श्रमिकों के सुरक्षा सुनिश्चित करने की व्यवस्था करे ताकि वह बेजीझक काम करने आ सके और ऊपरी असम इटाभटा उद्योग सुचारू रूप से चल सके।
वही ऊपरी असम के तिनसुकिया और डिब्रूगढ़ जिले के ईटाभाटा में लोअर असम से काम करने हेतु आने वाले श्रमिको की सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार सरकार से सहयोग की कामना मीडिया के माध्यम से कर रहे है।
पिछले कुछ समय से ऊपरी और लोअर असम को लेकर हालिया स्थिति उत्पन्न हुई है इस कारण से,हमारे इटाभाटा में कार्यरत लोअर असम के श्रमिकों ने अपने जीवन के प्रति असुरक्षा के कारण हमारे उद्योग में काम करने में अनिच्छा व्यक्त की है।जिसके परिणामस्वरूप, हमारी लगभग सभी इटाभटा बंद होने में कगार पर है।संस्था द्वारा मीडिया के माध्यम से सरकार को यह बताया गया कि इटाभटा सरकार की सभी नीतियों के तहत चलती रही हैं।सभी प्रकार के टैक्स से लेकर हर नियमो का पालन हम करते है।असम के कोयला,तेल और चाय संपद हैं।इसी तरह हमारे इटाभाटा उद्योग भी असम की संपदा से कम नहीं हैं।इटाभाटा में काम करने के लिए आने वाले मजदूरों को इटाभाटा मालिकों को 3-4 महीने पहले प्रत्येक मजदूर को एक बड़ी रकम का भुगतान करना पड़ता है,और यह देना अनिवार्य है।इटाभाटा पर आने वाले मजदूरों से तीन या चार महीने तक काम कराना और फिर उन्हें उनके गृह जिलों में वापस भेजना अनिवार्य है।प्रत्येक इटाभाटा में, लगभग तीन से चार सौ स्थानीय श्रमिक अपने परिवारों का भरण-पोषण करने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस उद्योग में शामिल होते हैं।इटाभटा केवल तीन से चार महीने का व्यवसाय है। इसलिए, यदि इन महीनों के दौरान इटाभटा में श्रमिकों को समय पर नियोजित नहीं कर सकते हैं, तो स्थानीय श्रमिक अपने परिवारों का भरण-पोषण करने से वंचित हो जाएंगे।तिनसुकिया जिले 44 और डिब्रूगढ़ जिले में 56 के लगभग ईटाभाटा है जिसमे हर ईटाभाटा में डेढ़ से दो सौ श्रमिक नियुक्त है।जिसमे से 80 प्रतिशत ईटाभाटा लोअर असम के श्रमिक काम करते है।अगर वह नही आते है तो इस उद्योग की दयनीय स्थिति हो जायेगी।
राज्य में विभिन्न आवास निर्माण कार्यों में सीधे तौर पर ईंटाभाटा उद्योग से जुड़ा हुआ हैं।उदाहरण के तौर विभिन्न सरकारी कार्यालयों,उद्योगों,सार्वजनिक घरों, विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत घरों आदि के निर्माण के लिए ईंटों की आवश्यकता होती है।इसलिए, मीडिया के माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहते है की सरकार अतिशीघ्र इस विषय पर उचित निर्णय ले।
उन्होंने बताया कि इटाभटा कई स्थानीय श्रमिक कार्यरत हैं लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं। हमारे उद्योग को जीवित रखने के लिए सरकार तत्काल कार्रवाई करते हुए अतिशीघ्र व्यवस्था ग्रहण करे।