२९ जुलाई सिलचररानू दत्ता- एआईडीएसओ की कछार जिला समिति ने भारत के पुनर्जागरण आंदोलन के महानतम विचारकों में से एक ईश्वरचंद्र विद्यासागर की १३४ वीं पुण्य तिथि मनाई। इस अवसर पर संगठन की अध्यक्ष स्वागता भट्टाचार्य ने अन्य जिला नेताओं के साथ आज सुबह ९ बजे सिलचर के शहीद खुदीराम मूर्ति के चरणों में ईश्वरचंद्र विद्यासागर का चित्र स्थापित किया। ईश्वरचंद्र विद्यासागर के उद्धरणों की एक प्रदर्शनी भी है। स्वागत भट्टाचार्य ने वहां उपस्थित छात्रों के सामने ईश्वरचंद्र विद्यासागर की पुण्य तिथि मनाने का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि जब भारतीय समाज में आम लोग और विशेषकर लड़कियां मध्ययुगीन बर्बरता, कुरूपता, कट्टरता की शिकार थीं, तब ईश्वरचंद्र विद्यासागर प्रचलित ध्यान अवधारणा के खिलाफ खड़े हुए थे। धार्मिक शिक्षा के अलावा उन्होंने न केवल समाज में आधुनिक शिक्षा प्रणाली शुरू करने के महत्व पर प्रकाश डाला, बल्कि उन्होंने संघर्ष कर आधुनिक शिक्षा प्रणाली का निर्माण भी किया। पत्नी ने शिक्षण संस्थान शुरू किया। उन्होंने विधवा विवाह की शुरुआत और बहुविवाह की समाप्ति जैसे साहसिक कदम उठाए। ईश्वरचंद्र विद्यासागर भारत में एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, विज्ञान-आधारित शिक्षा प्रणाली शुरू करना चाहते थे। स्वागत भट्टाचार्य ने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार ने शिक्षा को वैयक्तिक, व्यवसायीकरण और सांप्रदायिक बनाने के उद्देश्य से २९ जुलाई, २०२० को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, २०२० तैयार की है। इस शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से देश की जनता द्वारा बनाये गये हजारों सरकारी शिक्षण संस्थानों को बंद किया जा रहा है। शिक्षा को और अधिक महँगा बनाकर गरीब परिवारों के विद्यार्थियों के लिए शिक्षा प्राप्त करने के अवसर कम किये जा रहे हैं। उन्होंने विद्यासागर के विचारों को लागू करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति, २०२० को पूरी तरह से रद्द करने की मांग को लेकर एक मजबूत आंदोलन का आह्वान किया।
