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काछार जिले के तापांग ब्लाक के आलमबाग जीपी के चेनदुआर बस्ती पार्ट 2 के निवासियों के दुर्दशा की कहानी-आजादी के 76 वर्षों बाद भी आने जाने का रास्ता नहीं!

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*आधे घरों में जल जीवन मिशन का पेयजल भी नहीं पहुंचा

*बीमारों को ले जाने के लिए टांग कर ले जाना पड़ता है

*बारिश के समय बच्चों का स्कूल आना जाना मुश्किल हो जाता है

*जीपी ऑफिस ब्लॉक ऑफिस जाने के लिए 20-25 किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता है

*सांसद, विधायक, ग्राम पंचायत वीडियो सबके पास दौड़े किसी ने नहीं सुनी ग्राम वासियों की बात

*पैदल चलने के लिए ग्राम वासियों ने खुद पैसा संग्रह करके रास्ता बनाया है

*नेताओं से भरोसा उठा लोगों ने मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री से लगाई गुहार

आलमबाग, चेनदुआर से विशेष प्रतिनिधि की एक रिपोर्ट: काछार जिले का उपेक्षित अंचल है तापांग ब्लॉक, क्योंकि उसके सांसद और विधायक करीमगंज और हाइलाकांडी के हैं, जिनको केवल वोट लेने से मतलब है। उसी तपांग ब्लॉक के आलमबाग जीपी के वार्ड नंबर 9 चेनदुआर बस्ती पार्ट 2 का दौरा किया, हमारे विशेष प्रतिनिधि ने। चेनकुड़ी से चेनदुआर के रास्ते में एक बस्ती है, जहां लगभग 100 हिंदू और मुस्लिम परिवार रहते हैं। आने जाने के लिए एक पतली सी पगडंडी है जो ग्राम वासियों ने खुद अपने पैसे से और मेहनत से बनाई है। आजादी के 76 वर्षों बाद भी रास्ता नहीं बना। ग्राम वासियों ने स्थानीय विधायक निजामुद्दीन के यहां कई चक्कर लगाया लेकिन कोई सुनवाई नहीं। दो बार से विधायक निजामुद्दीन ने एक बार भी गांव वासियों की खोज खबर नहीं ली। ग्राम पंचायत सभापति सनी लाल दास के यहां भी दौड़े लेकिन उनके ऊपर भी कोई असर नहीं पड़ा। यहां तक कि वीडियो ने भी गांव वालों की कोई सुनवाई नहीं की। ग्राम वासियों ने बताया कि जिला परिषद चेयरमैन अमिताभ राय के सहयोग से गांव में बिजली तो आ गई लेकिन पानी अभी भी सभी घरों में नहीं पहुंचा। गांव में यदि कोई बीमार पड़ गया तो ना तो एंबुलेंस जा सकती है ना ही कोई गाड़ी या आटो। मरीज को टांग कर ले जाना पड़ता है। बारिश के मौसम में तो बहुत ही खतरा रहता है। ढाई साल पहले गांव के 60 वर्षीय वरुण तंतुबाई का गिरकर पैर टुट गया, अब डंडा लेकर चलते हैं। गांव वालों ने मदद करके उनका इलाज कराया। बारिश के समय रास्ता इतना खराब हो जाता है कि बच्चों का स्कूल आना जाना बंद हो जाता है। हाई स्कूल पढ़ने के लिए 5-6 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। कॉलेज के लिए तो बस 12 किलोमीटर दूर शिलचर ही जाना पड़ता है। जीपी ऑफिस या ब्लॉक ऑफिस कोई काम होने से 20- 25 किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता है। ग्राम वासियों का कहना है कि दुनिया कहां से कहां जा रही है और हम लोगों के यहां आज तक रास्ता ही नहीं बना। गांव के बड़े बुजुर्ग, बच्चे, महिलाएं, जवान सभी ने इकट्ठा होकर अपना दुखड़ा हमारे प्रतिनिधि को बताया। जिसमें रविजूल अली बड़भूइंया (73), तैबुर रहमान माझरभूंइया (62), अर्जुन बावरी, दीपक सिंह छत्री, असीम खान, बाबुल उद्दीन, कुतुबुद्दीन, अली हुसैन आदि शामिल थे। इसी वार्ड के पुराना लाइन के विनोद घटवार और मनु घटवार ने बताया कि 70-80 परिवारों की भी यही स्थिति है।

इस बारे में हमारे प्रतिनिधि ने करीमगंज के सांसद कृपानाथ माला, स्थानीय वीडियो, ग्रामपंचायत सभापति से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उनकी तरफ से कोई उत्तर नहीं मिला। जिला परिषद चेयरमैन अमिताभ राय ने ग्राम वासियों से सहानुभूति प्रकट करते हुए कहा कि गांव वासी विधायक की उपेक्षा के शिकार हैं। उनके स्तर से जो भी सहयोग हो सकता है, वह कर रहे हैं। 

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