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अश्वस्थ पत्र सा रक्तवर्ण ,
वाहिनियों से परिपूर्ण पर्ण ,
बहता रग रग में क्षीर तोय ,
ऐसा है अपना हृदय- पर्ण ।
प्रकृति के अनूठे संसार में हमें कभी कभी ऐसे उदाहरण मिलते हैं जो हमारे शरीर के विभिन्न भागों से मिलते जुलते दृश्य प्रदान करते हैं । ऐसा ही दृश्य आजकल पीपल के कोमल नव किसलय पत्तों को देखने पर मिलता है । ये पत्ते मानव हृदय के समान लोहित वर्ण के वाहिनियों से उसी प्रकार परिपूर्ण होते हैं जैसे मानव हृदय धमनियों ,शिराओं और तांत्रिकाओं से भरपूर रहता है । आवश्यकता इस बात की है कि हम अपनी हृदय नलिकाओं को कोलेस्टेरॉल के कचरे , ताव-तनाव से क्षत -विक्षत तथा धूम्रपान -तंबाकू से प्रदूषित न कर दें । अश्वस्थ के नव किसलय हमें यही हृदय संदेश दे रहें हैं ।
– डाक्टर श्रीधर द्विवेदी । चित्र संयोजन: डाक्टर सबा, सुश्री ईसा खान ।