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प्रेरणा भारती शीतल निर्भीक ब्यूरो
नई दिल्ली। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के महिला विंग की राष्ट्रीय महासचिव एवं सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट रीना एन सिंह की पहल पर केंद्र सरकार ने क्षत्रिय समाज के हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। रीना एन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर क्षत्रिय कल्याण बोर्ड के गठन की मांग की थी, जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने गंभीरता से लिया है।
रीना एन सिंह ने पत्र में उल्लेख किया था कि वर्तमान समय में क्षत्रिय समाज के इतिहास को विकृत करने के प्रयास हो रहे हैं, जो समाज के मूल्यों और गौरव को ठेस पहुंचा रहे हैं। उन्होंने क्षत्रिय कल्याण बोर्ड के गठन की मांग करते हुए कहा कि इससे न केवल क्षत्रिय समाज की सांस्कृतिक धरोहर और रीति-रिवाजों का संरक्षण होगा, बल्कि अखंड भारत की समृद्धि विरासत को भी संरक्षित किया जा सकेगा।
रीना एन सिंह का मानना है कि क्षत्रिय समाज ने सदैव राष्ट्र की सुरक्षा और समृद्धि के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में इस योगदान को नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने पत्र में प्रधानमंत्री से आग्रह किया था कि क्षत्रिय समाज के गौरव को बनाए रखने और उसे सही रूप में प्रस्तुत करने के लिए एक कल्याणकारी बोर्ड का गठन किया जाए।
पत्र मिलने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले को समाज कल्याण मंत्रालय के पास भेजा। जानकारी के अनुसार, मंत्रालय ने इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए एक अपर निदेशक स्तर के अधिकारी की नियुक्ति कर दी है, जो क्षत्रिय कल्याण बोर्ड के गठन की प्रक्रिया की देखरेख करेंगे।
एडवोकेट रीना एन सिंह ने इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय का आभार जताते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने सदैव क्षत्रिय समाज के त्याग, समर्पण और राष्ट्रभक्ति को सराहा है। यह कदम समाज के इतिहास और संस्कृति को संरक्षित करने में मील का पत्थर साबित होगा।”
उन्होंने कहा कि इस बोर्ड के गठन से क्षत्रिय समाज की सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक उन्नति के लिए कई योजनाएं बनाई जाएंगी, जिससे समाज के युवा और महिलाएं अधिक सशक्त हो सकेंगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह बोर्ड क्षत्रिय समाज के अधिकारों की रक्षा करेगा और उनके सम्मान को बनाए रखने में सहायक सिद्ध होगा।
इस खबर के प्रसार के साथ ही क्षत्रिय समाज में खुशी की लहर दौड़ गई है। कई प्रमुख क्षत्रिय संगठनों और नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे समाज के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया है।