फॉलो करें

गजल

27 Views

शायद…

रेत पर लिखे ,वो सारे हर्फ ,जो तूने कहे जो मैंने कहे
एक ही लहर से बह जाएंगे शायद..
वो सारे सपने ,वो सारे किस्से,
 अधूरे अनकहे ही रह जाएंगे शायद..
 तकदीर को दरकिनार गर कर भी दूं
 पांव में पड़ी जंजीर में फंसे रह जाएंगे शायद..
 फिर सारे साजा वो आवाज और ये अंदाज
 बैरंग लौटे अपने ठिकाने
बड़ी उम्मीद ने से सजाया था दरबार ,
सोचा था अनकहा कह जाएंगे शायद..
रेत पर लिखे ,वो सारे हर्फ ,जो तूने कहे जो मैंने कहे
एक ही लहर से बह जाएंगे शायद..

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

फकीराग्राम मुंसिपल बोर्ड मे जनतायो का भीड़, फकीराग्राम मुंसिपल बोर्ड पीएमवाई और एनयुएलएम आदि आँचनी (योजना ) रूपान नहीं कर सकता – फकीराग्राम मुंसिपल बोर्ड के अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार शर्मा

Read More »

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल