जब मैं समाज की बात करता हूं तो सभी समाज की हित की बात करता हूं, जिसमें ब्राह्मण समाज भी है – डा. गोपाल जी मिश्र

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जब मैं समाज की बात करता हूं तो सभी समाज की हित की बात करता हूं, जिसमें ब्राह्मण समाज भी है - डा. गोपाल जी मिश्र

शिलचर 4 फरवरी सारेे संंगठनो से मेरा एक ही अनुरोध है कि हम किसी को नुकसान पहुंचाने नही आये हैं। हम जोड़ने आये हैं। उपरोक्त बातें रविवार को दक्षिण असम के प्राचीनतम ऐतिहासिक स्थल बरमबाबा मन्दिर परिसर में अखिल ब्राह्मण विकास प्रतिष्ठान असम शाखा के तत्वाबधान में हुई ब्राह्मण महासम्मेलन में असम शाखा के प्रमुख मार्गदर्शक तथा असम विश्वविद्यालय समाज कार्य विभाग के प्रोफेसर डा. गोपाल जी मिश्र ने कही। उन्होंने कहा कि हम समाज को मजबूती देना चाहते हैं, जब मैं समाज की बात करता हूं तो केवल ब्राह्मण समाज की बात नही करता हूं, मैं पूरे समाज की बात करता हूं । जिसमें ब्राह्मण समाज भी है। मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि कोई भी संगठन किसी भी जाति का हो, किसी भी समुदाय का हो उसे संगठित रूप से चलना पड़ेगा तभी ही उस समाज का विकास हो जायेगा।

डा. गोपाल ने आगे कहा कि संघ शक्ति कलियुग। हमारी जो शक्ति है वह आप सभी लोग हैं। आप सभी लोग हमारी शक्ति तभी बनेंगे जब अच्छे आचरण के साथ चलेंगे। उन्होंने कहां कि हम दूसरों से उम्मीद करते हैं कि वह अनुशासन का पालन करे। लेकिन हम खुद जो हैं अपने लिए नहीं करते। सिर्फ प्रवचन व भाषण देने से समाज का उत्थान नही होगा। समाजोत्थान के लिए काम करने की आवश्यकता है। और वह भी सभी समाज के हित में काम करना होगा। डा. मिश्र ने कहां कि हम कबतक हम भिक्षु बने रहेंगे, कबतक याचक बने रहेंगे। हमारी इतनी बड़ी शक्ति है हम उसको अगर जाग्रत कर लें तो बात बन जायेगी। इतिहास इस बात का साक्षी है कि बड़े – बड़े राजे राजवाड़े नतमस्तक हुआ करते थे।

जरुरत इस बात की है कि यह जो संगठन है यह केवल पंडित कमलेश रामयज्ञ पाण्डेय या पंडित अनिल प्रताप त्रिपाठी जी का नही है। यह संगठन आप सभी का है। उन्होंने तो केवल रौशनी फैलाने का कार्य किया। अब इस रौशनी को आप कहां तक फैला सकते हैं यह आप पर निर्भर करता है कि आप कितना सफल बनाते हैं । क्योंकि कड़ी से कड़ी जुड़ती है। डा. मिश्र ने और कहा कि यह तब हो सकता है जब हम खुद में अपनी योग्यता पैदा करेंगे। उन्होंने कहा कि हम कर्मकाण्ड करते हैं और कर्मकाण्ड में कुछ ना कुछ जोड़ने की कोशिश करते रहते हैं। लेकिन इस कर्मकाण्ड में कहां गलतियां होती है। कहां समस्याएं आती है इस पर विचार नही करते। मेरा एक सपना है कि यहां पर एक संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना हो और इस महा विद्यालय से विद्वान निकले और अपनी रौशनी जन जन तक फैलाएं।

आज पूर्वोदय शिलांग व शिलचर के संवाददाता योगेश दुबे को लेखन श्री पुरस्कार पत्र से सम्मानित किया गया। क्योंकि विशेष कारणो के चलते वे ब्राह्मण महासम्मेलन में वे उपस्थित नही हो पाये थे । आज प्रतिष्ठान के असम प्रदेश शाखा के अध्यक्ष पंडित जवाहर लाल पाण्डेय व सह-सचिव अरविंद पाठक ने विधिवत मानपत्र पढ़कर, अंगोछा ओढ़ाकर और मेमोन्टो देकर उन्हें सम्मानित किया। श्री योगेश जी ने संगठन के लिए उत्तरोत्तर वृद्वि कामना किया।

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