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भारतीय राजभाषा विभाग के नगरीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति की एक इकाई जवाहर नवोदय विद्यालय, पैलापूल कछार असम में एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन बड़े उत्साह और प्रभावशाली ढंग से किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य हिंदी में कार्य करने की प्रेरणा और इसके क्रियान्वयन पर केंद्रित था।
कार्यशाला की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से हुई, जिससे एक आध्यात्मिक और प्रेरणादायक वातावरण बना। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य श्री विश्वास कुमार ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और विषय पर बहुत ही प्रभावशाली ढंग से विचार रखे। श्री विश्वास कुमार ने हिंदी के महत्व और उसे कार्यस्थलों पर अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि हिंदी एक सशक्त और सुलभ भाषा है। उन्होंने हिंदी के व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता की बात की । श्री विश्वास कुमार ने बताया कि हिंदी की प्रयोजन मूलकता इस बात से सिद्ध होती हैं की विश्व के सभी देश हिंदुस्तान की ओर व्यापार के लिए देख रहे है और हिन्दी सीख तथा सीखा रहे है। हिंदी भारत ही नहीं विश्व भाषा बनेगी । व्यवसाय एवम रोज़गार के पर्याप्त अवसर हिन्दी के क्षेत्र है।
आगे इन्होंने हिंदी के संवैधानिक स्वरूप की चर्चा भी किया तथा कर्मचियों से और बच्चों से आग्रह भी किया कि ज्यादा से ज्यादा हिंदी का प्रयोग करें गलती से बिल्कुल न विचलित हों बस बोलचाल में दैनिक पत्राचार में हिंदी का प्रयोग ही कार्यशाला की सही सफलता होगी।
कार्यक्रम का संयोजन प्रवीण यादव (पीजीटी हिंदी)ने किया, जिन्होंने कार्यशाला के सफल संचालन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके उत्कृष्ट प्रबंधन और समन्वय ने कार्यशाला को सुव्यवस्थित और जानकारी पूर्ण बनाने में मदद की। श्री यादव ने कार्यक्रम की योजना, व्यवस्थापन और प्रतिभागियों की सुविधा का पूरी तरह ध्यान रखा।
कार्यशाला का समापन विकास कुमार उपाध्याय, राजभाषा प्रभारी, के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। श्री उपाध्याय ने सभी अतिथियों, वक्ताओं, और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और कार्यक्रम की सफलता के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने हिंदी के प्रोत्साहन में योगदान देने वाले सभी लोगों की सराहना की और इसे एक सकारात्मक दिशा में ले जाने की ओर प्रेरित किया ।
इस कार्यशाला ने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने और उसके उचित क्रियान्वयन के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया। यह आयोजन न केवल भाषा के प्रचार में सहायक रहा, बल्कि यह सभी प्रतिभागियों को हिंदी में कार्य करने की प्रेरणा देने में भी सफल रहा। भविष्य में भी ऐसे आयोजनों की आवश्यकता है जो हिंदी के महत्व को समझने और अपनाने में मदद करें।