मित्रों ! जैसे कभी चीन ने तिब्बत को अपना बनाया साथ ही तिब्बती संस्कृति को बेगाना बना दिया ! तिब्बतियोंको चायनीज ही पढनी होगी ! ऐसे कानून गढ दिये ! परिणामतः धीरे-धीरे तिब्बती संस्कृति मर रही है ! ये वही चीन था जो पहले तिब्बती संस्कृति को चीन की प्राचीन विरासत कहता था ! बिलकुल इसी प्रकार असमिया सरकार में बैठे कुछ लोग हिन्दी की हत्या करना चाहते हैं ! वो हिन्दू हित की बात करते हैं ! किन्तु हिन्दी से नफरत करते हैं।
हमारे मुख्यमंत्री श्रीमान हेमन्तो बिस्वशर्मा जी ! हम अपना बहुमूल्य वोट आपको ही देंगे ! आदरणीय प्रधानमंत्री जी ! हम हिन्दू हैं ! हमारा डीएनए म्लेक्षों का नहीं है ! हम अपना वोट आपको ही देंगे ! “भारतीय जनता पार्टी” को ही देंगे ! ये हमारी मजबूरी है कि-“कांग्रेस वर्किंग कमेटी” जिसने राष्ट्रीय विरोध की सभी हदों का पार करते हुवे फिलिस्तीन और हमास का समर्थन किया किन्तु कभी-कभी दिल से लहू रिसता है-
“दोस्ती तुमसे निबह जाये बडा मुश्किल सा दिखता है।
मेरा तो इरादा साफ है पर उनका कोई इरादा ही नहीं ।।”
मित्रों ! अन्याय करने वाले की अपेक्षा अन्याय सहने वाला बडा पापी होता है ! अपने राज्य दरबार के द्वारा किये जा रहे अन्याय पूर्ण निर्णयों के विरूद्ध जो समाज अपनी आवाज़ बुलंद नहीं करता ! जिसकी लेखनी की स्याही सूख गयी वह समाज भी सूख जाता है ! मर जाता है ! हमारे बुद्धिजीवी हिन्दू और हिन्दुस्थान के लोग भलीभांति जानते हैं कि यदि असमिया सरकार के द्वारा हिन्दी के लिये- लिये गये निर्णय कार्यान्वित होते हैं तो आनेवाले दिनों में यहाँ भारतीय संस्कृति अर्थात हिन्दू संस्कृति अपने-आप मर जायेगी।
मित्रों ! मैंने सुना है कि हमारे कुछ भटके हुए पूर्वज घर में बेटी पैदा होने पर उसे बचपन में ही मार देनें की नाना युक्तियाँ अपनाते थे ! माँ के स्तनों पर विष लगाकर स्तनपान कराकर मौत की नींद में सुला देते थे,दूध से भरे भगोने में डूबा कर मार डालते थे अथवा सामाजिक लोकलाज और राजदण्ड से बचने हेतु बचपन से ही बेटियों को नहीं के समान भोजन देकर हाड़तोड़ श्रम करवाते थे -बीमार होने पर औषधियों से वंचित रखते हुवे ! शिक्षा से वंचित रखते हुवे स्वतः ही उसे मर जाने के लिये मजबूर कर देते थे ! और बिलकुल ऐसा ही आज असमिया सरकार कुछेक भ्रामक संदेशों के कारण हिन्दी के लिये करने जा रही है। और इसके दोषी हमलोग भी हैं ! हमारे अपने कुछेक तथाकथित बुद्धिजीवियों(?) ने कहा है कि चाय बागानों में कोई भी हिन्दी भाषी नहीं है ! ये वही बुद्धिजीवी हैं जो प्रान्त सरकार के कुछ भ्रष्ट लोगों के फेंके हुवे टुकड़ों को खाकर उस कट्टर मानसिकता का समर्थन करते हैं जिसके पुतले विजयादशमी पर समूचे विश्व में फूंके जाने की परम्परा है।
मित्रों ! हमारे गुप्तचर विभाग ने स्पष्ट संदेश दिया है कि म्यांमार मार्ग से नशीले पदार्थों,भयानक शस्त्र,आतंकवादी एवं कम्यूनिस्ट विचारधारा के होते सतत आयात का परिणाम आज जलता मणिपुर है। मैं ह्रदय से स्वीकार करता हूँ कि असम में- “हिन्दु ह्रदय सम्राट श्रीमान हेमन्तो बिस्वशर्मा जी” हमारे मुख्यमंत्री हैं ! वे हमारे चक्रवर्ती सम्राट हैं’ अहोम राजदण्डाधिकारी हैं वे’ और अहोम राज्य का ये सर्वजनहिताय सिद्धांत रहा है, उसने युगों युगों से अखण्ड भारतवर्ष के हिन्दुओं की’ हिन्दी की’ सुरक्षा करने हेतु प्राणप्रण से हमारे साथ रहा है। समूचे उत्तर प्रदेश,बिहार,बंगाल को रौंदते चले आ रहे-“काला पहाड़” के आतंक से हिन्दुओं को मुक्ति इसी अहोम राजवंश ने दिलायी थी।
मैं समझता हूँ कि हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी’शिक्षा मंत्री जी’ स्थानीय सांसद जी’ विधायक जी’ सभी चायबागान युनियन के पदाधिकारी, ग्रामीण अंचलों के प्रख्यात व्यक्ति ‘ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित पदाधिकारी,कांग्रेस आदि सभी दलों के समर्थक समवेत स्वर में राजभाषा हिन्दी को स्थानीय स्तर पर अपनी अस्मिता और गौरव के साथ स्थापित करेंगे।
मित्रों – मुझे भलीभांति विश्वास है कि हमारे राजनैतिक प्रतिनिधि दिसपुर को यहाँ की वास्तविक धरातलीय स्थिति अवस्य ही बतायेंगे।वे मुख्यमंत्री जी को स्मरण दिलायेंगे कि विधानसभा चुनावों में उन्होंने हिन्दी भाषी समुदाय के हितों की सुरक्षा का वादा किया था-उन्होंने वादा किया था कि बांग्ला भाषी और हिन्दीभाषी लोगों के मूल अधिकारों का वे ध्यान रखेंगे।
ये अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिनके नाम पर आज भी -“शिक्षक दिवस” मनाने की परम्परा रही है उन तथाकथित महानुभाव डा•राजेंद्र प्रसाद जी ने स्वतंत्रता के पश्चात देवभाषा संस्कृत का पहले ही विरोध किया ! ये सभी जानते हैं कि स्वतंत्र भारत की संसद में भारत की राजभाषा का अनेकों बार अपमान करनेवाले कुछेक हिन्दी भाषी लोग ही थे जिन्होंने हिन्दी के अपमान में अपने छुद्र स्वार्थों की सफलता देखी ! और आने वाले कल कुछ ऐसा ही बराक उपत्यका में भी देखने को मिलता है तो उसका भी हमें हमारे समाज और राजनैतिक प्रतिनिधियों के साथ मिलकर हमको उत्तर देना होगा …. आनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्कांक 6901375971″
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हिन्दी हिन्दुस्थान में नहीं तो अफगानिस्तान में पढाई जायेगी ?
सम्माननीय मित्रों ! आज भारत के सीमांत क्षेत्रों में ! हमारे पडोसी तथाकथित मित्र देश बांग्ला देश में ! हमारे भयानक शत्रु पाकिस्तान से लेकर अफगानिस्तान तक -“हमास” की बर्बरता को उसके उस अस्तित्व से जोड़कर देखने की सलाह देते हैं जिसे-“फिलिस्तीन” कहा जाता है ! निःसंदेह द्विराष्ट्र का वो सिद्धांत आज उसी तरह टूट चुका जिसके भविष्य को पूज्य गुरुदेव गोलवलकर जी ने कभी स्पष्ट रूप से नकार दिया था ! डाक्टर हेडगेवारजी,वीर सावरकर से लेकर देवरस जी एवं दत्तोपंत ठेंगडे जी सभी ने कभी न कभी ये कहा है कि भारत-विभाजन के मूल में कट्टर ईस्लाम की वही सोच थी जिसका प्रतिनिधित्व आज हिजबुल्लाह,हमास,अल कायदा,तालिबान से लेकर आईएसआईएस करते आ रहे हैं ! उनका यहाँ एक ही नारा है-“गजवा ऐ हिन्द”।
आज दुर्भाग्य से हमारे मुख्यमंत्री श्रीमान हेमन्तो बिस्वशर्मा जी,श्रीमहंत आदित्य नाथ योगी जी के अतिरिक्त ऐसे लोगों का अकाल पडता जा रहा है जो डंके की चोट पर ये कह दें कि -“नहीं चाहिये हमें हमास के समर्थकों का वोट” ये तो निश्चित है कि जिनके लिये -“वन्देमातरम” कहना बुत परस्ती है वे भारत माता की जै भला कैसे कह सकते हैं ? मैंने कभी विश्वहिन्दू परिषद द्वारा आयोजित एकात्मता यात्रान्तर्गत गुजरात की पालनपुर की जनसभा में गुजरात विश्व विद्यालय के कुलपति पद्मश्री श्रीमान के•का•शास्त्री •जी के उद्गार सुने थे’उन्होंने कहा था कि-“एक हिन्दू कटा उतना भारत बंटा” ! वे मेरे घनिष्ठ मित्र थे ! उनके उनके वे शब्द आज भी मेरे भीतर महाभारत में हुवे पाञ्चजन्य के शंखनाद की तरह गूंजते रहते हैं।
किसी राष्ट्र की,भाषा और समुदाय की हत्या करनी हो तो आप बस उसकी संस्कृति की हत्या कर दो,अपने-आप वो राष्ट्र मर जायेगा ! हमारी वेषभूषा, हमारी धार्मिक मान्यता,हमारे तीर्थक्षेत्र सभी एक हैं ! आप बांग्ला भाषी हों अथवा असमिया या उडिया,कर्नाटक,दक्षिण भारत, महाराष्ट्र से लेकर जम्मू-कश्मीर तक प्रत्येक हिन्दू ये चाहता है कि उसकी अस्थियों को तीर्थराज प्रयाग में प्रवाहित किया जाय, प्रत्येक हिन्दू की इच्छा होती है कि उसे -“गया जी ” में अंतिम स्थान दे दिया जाय ! विष्णुपाद में उसका पिण्ड मिलकर ब्रम्हाण्ड में पुनश्च विलुप्त हो जाये ! वो कहता है कि-
“अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैकाः मोक्ष दायिका।।”
मित्रों ! चारों धाम की यात्रा से लेकर द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन,चौरासी शक्तिपीठों की यात्रा करना,ध्यान,व्रत,स्तोत्र पाठ, संध्या,आरती से लेकर नाना प्रकार के यज्ञों को करने -कराने की अंतःइच्छा,भगवान महावीर स्वामी,महात्मा बुद्ध,गुरू ग्रन्थ साहिब,अमृत सरोवर के दर्शन करने की इच्छा हर हिन्दू चाहता है।
मित्रों ! शंकरदेव,माधवदेव द्वारा लिखित असमिया धर्म ग्रंथों में जिस वैष्णव धर्म के साथ-साथ सूर्योपासना की अनुशंसा की गयी है ! हमारे पूर्वज उसी सूर्य के आदि उपासक हैं ! भगवान शिव को असमिया साहित्य में योग्यतम भिखु अर्थात उसी कीर्तन,दशम्,घोसा को चतुर्वेदों अर्थात असमिया कृषक शंकर के रूप में गाया गया है ! हिन्दुओं का कोई भी कर्मकांड असमिया ताम्बूल की अनुपस्थिति में संभव होगा ?
यशस्वी मुख्यमंत्री जी ! हम आप हिन्दू हैं ! हमारा मक्का मदीना अरब इराक में नहीं है ! हमारा संचालन वेटिकन सिटी से नहीं होता ! हमारे सभी वेद,पुराण,उपनिषद,गीता,रामायण,
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- Admin
- October 15, 2023
- 7:45 am
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जिस लेखनी की स्याही सूख गयी वह समाज भी सूख जाता है ! आनंद शास्त्री
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