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डलु में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए चाय बागान की जमीन खाली कराने का काम शुरू

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काछार (असम), 12 मई (हि.स.)। बराकघाटी के काछार जिला में बनने जा रहे ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा के लिए डलू कंपनी के तीन चाय बागान की कुल जमीन में से 350 एकड़ जमीन को प्रशासन ने गुरुवार से खाली कराने का कार्य आरंभ कर दिया। भारी संख्या में पुलिस बल और जेसीबी की मदद से चाय के पौधों को हटाने का कार्य आरंभ किया। प्रशासन के इस कार्य का चाय श्रमिकों ने विरोध करना शुरू किया। हालांकि, भारी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी में चाय श्रमिकों का विरोध सिर्फ नारेबाजी तक ही सीमित होकर रह गया।

उल्लेखनीय है कि डलू कंपनी के तीन चाय बागान आसपास में स्थित हैं। जिसमें मैनागढ़, लालबाग और डलू हैं। हवाई अड्डा के लिए सबसे अधिक जमीन मैनागढ़ चाय बागान की ली जा रही है। जबकि लाल बाग और डलू चाय बागान की जमीन का भी कुछ हिस्सा इसमें शामिल किया गया है।

उल्लेखनीय है कि डलू चाय बागान प्रबंधन, श्रमिक यूनियन के साथ पहले ही प्रशासन का समझौता हो गया था। जिसके चलते चाय बागान प्रबंधन को मुआवजा भी प्रदान किया जा चुका है। बावजूद इसके चाय श्रमिक इस बात को लेकर विरोध कर रहे हैं कि उनके लिए कोई भी व्यवस्था नहीं की गयी। वे अब अपनी आजीविका कैसे चलाएंगे।

प्रस्तावित एयरपोर्ट इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात

चाय बागान को खाली कराने के लिए पिछले तीन दिनों से पुलिस की टीम इलाके में फ्लैग मार्च कर रही थी। काछार जिला प्रशासन ने इलाके में बीती रात को ही धारा 144 लागू कर दिया। भारी संख्या में पुलिस बल दर्जनों जेसीबी मशीन के साथ चाय के पौधों को हटाने का कार्य आरंभ कर दिया।

उल्लेखनीय है कि जब से चाय बागान की जमीन पर हवाई अड्डा बनाने की बात सामने आई, उसके बाद से ही चाय श्रमिक इसका विरोध कर रहे हैं। प्रशासन की ओर से चाय श्रमिकों को कई बार समझाने की भी कोशिश की गयी। लेकिन श्रमिक अपनी बात पर अड़े हुए हैं।

चाय के पौधों को उजाड़े जाने का श्रमिकों ने किया भारी विरोध

काफी संख्या में चाय श्रमिक सरकार के इस कदम का विरोध करते देखे गये हैं। इस अभियान का नेतृत्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जीपी सिंह ने किया। चाय श्रमिकों के अनुसार 40 लाख चाय के पौधों को हवाई अड्डा के लिए नष्ट किया जाएगा।

चाय श्रमिकों का कहना है कि चाय बागान में सैकड़ों की संख्या में स्थायी श्रमिक हैं, जबकि कैजुअल श्रमिकों की संख्या इससे कहीं अधिक है। प्रशासन ने श्रमिकों को यह आश्वासन दिया है कि चाय बागान प्रबंधन के पास उनका जो भी बकाया है, वह उन्हें मुहैया करा दिया जाएगा। सवाल फिर से यही उठ रहा है कि चाय श्रमिक यहां से हटने के बाद कैसे अपनी आजीविका चलाएंगे। इसके मद्देनजर यह कहा गया है कि चाय कंपनी के पास लगभग 270 एकड़ खाली जमीन है, जहां पर फिर से प्लांटेशन किया जाएगा। हालांकि, चाय के पौधों को तैयार होने में पांच से छह वर्ष का समय लगता है, इतने समय तक चाय श्रमिक क्या करेंगे, यही सवाल सबसे बड़ा है। हालांकि, भारी पुलिस बल की मौजूदगी में चाय बागान को खाली कराने का कार्य जारी है।

असम टी ट्राइब स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने घटना का किया विरोध

डलू चाय बागान में चाय के पौधों को हटाने के कदम का विरोध करते हुए असम टी ट्राइब स्टूडेंट्स एसोसिएशन के केंद्रीय महासचिव जगदीश बराइक ने कहा है कि विशेष डीजीपी जीपी सिंह के नेतृत्व में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की एक बड़ी टीम द्वारा की गयी कार्रवाई का हम कड़ा विरोध करते हैं। बराइक ने कहा कि सभी सरकार सिर्फ चाय श्रमिकों का शोषण करती आई है। चाय श्रमिकों पर चलाए गये उत्पीड़न की हम कड़ी निंदा करते हैं और अगर आने वाले दिनों में सरकार मजदूरों के रोजगार लिए कोई कदम नहीं उठाती है तो बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार/ अरविंद

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