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पावन दिवस नवरात्रा में माँ तेरा अभिनन्दन
तृतीय दिवस माँ चन्द्रघटा देवी को हैं वंदन ,
चमक रहा मुख तेरा ,तेरी छवि मनोहारी
अर्धचन्द्र शीश सोहे , माँ तू दुष्ट संहारी,
स्वर्ग में आतंक बढ़ा जब महिसासुर का
हुई प्रकट माँ चंद्रघंटा, सुन कंपन्न देवों का ,
सब देवों ने मिलकर दिया अपने शस्त्र का उपहार
शंकर ने त्रिशूल विष्णु ने चक्र सूर्य ने तेज तलवार ,
क्रोधित देवी अट्टहास करती पहुँची महिसासुर पास
तलवार, गदा, धनुष शोभित किया महिसासुर विनाश,
क्रोध भर विकराल नेत्र लाल किया असुरों का संहार
हर्षाये ब्रह्मा विष्णु,महेश,हुआ देव,ऋषि,संत का उद्वार
इंद्र ने पाया फिर से अपने स्वर्ग का दरबार
किया देवतायों ने सभी चंद्रघंटा माँ का आभार ,
चंद्रघंटा माँ जगजननी,हो तेरी जय जय कार,


_सुषमा पारख
सिलचर ,असम