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देश की विकास दर चौथी तिमाही में 7.8% रही, आठ बुनियादी क्षेत्रों की वृद्धि दर अप्रैल में 6.2 फीसदी

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नई दिल्ली. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च, 2024 को समाप्त तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही. यह केंद्रीय बैंक की ओर से अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में किए गए जीडीपी से अधिक है.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया था. पूरे वित्तीय वर्ष 2024 की बात करें तो सरकारी आंकड़ों के अनुसार यह 8.2 प्रतिशत रहा. इसे पिछली तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर) में जीडीपी वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही थी. जबकि जुलाई-सितंबर तिमाही में वृद्धि दर 7.6त्न थी.

वित्तीय वर्ष 2023-2024 की चौथी तिमाही (एफवाई24) के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के आंकड़े शुक्रवार को जारी किए गए. कई प्रमुख वित्तीय संस्थानों ने जीडीपी दर की घोषणा के पहले विकास दर पिछली तिमाही की तुलना में मार्च तिमाही में धीमी पड़ने के अनुमान जताए थे. एफवाई24 की पहली तिमाही में भी भारत की जीडीपी 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी. अर्थव्यवस्था को केंद्र की ओर से पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में बड़े पैमाने पर किए गए इजाफे और लगातार दो कमजोर तिमाहियों के बाद मांग में तेजी आने का लाभ हुआ था.

वित्तीय वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में सालाना आधार पर 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई दर्ज की गई थी, जो वित्तीय वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही के बाद से सबसे मजबूत तिमाही वृद्धि थी. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के आंकड़ों के अनुसार, यह वृद्धि दर तीसरी तिमाही में संशोधन के बाद 8.1 प्रतिशत से अधिक हो गई, जो 6.6 प्रतिशत के पूर्वानुमान से अधिक था.

आठ बुनियादी क्षेत्रों की वृद्धि दर अप्रैल में 6.2 फीसदी रही

प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों और बिजली के उत्पादन में स्वस्थ विस्तार से अप्रैल में आठ प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की वृद्धि दर बढ़कर 6.2 प्रतिशत हो गई. मार्च में आठ क्षेत्रों के उत्पादन में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इन प्रमुख क्षेत्रों में- जिनमें कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल हैं, की वृद्धि अप्रैल 2023 में 4.6 प्रतिशत थी. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में उर्वरक उत्पादन में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई.

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