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नया मंत्रिमंडलः साहसी पहल- डॉ. वेदप्रताप वैदिक

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भाजपा सरकार ने अपने कुछ नए राज्यपाल और नए मंत्री लगभग एक साथ नियुक्त कर दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पिछली पारी में तीन बार अपने मंत्रिमंडल में फेर-बदल किया था। अब इस दूसरी पारी में यह पहला फेरबदल है। मैं समझता हूं कि मंत्रिमंडलीय फेर-बदल की तलवार हर साल ही लटका दी जानी चाहिए और हर मंत्री को उसके मंत्रालय के लक्ष्य निर्धारित करके पकड़ा दिए जाने चाहिए या उसे इन लक्ष्यों को स्वयं निर्धारित करके घोषित कर देना चाहिए। मंत्रियों को यह पता होना चाहिए कि यदि उन्होंने घोषित लक्ष्य पूरे नहीं किए तो साल भर में ही उनकी छुट्टी हो सकती है।
वर्तमान फेर-बदल इस अर्थ में एतिहासिक और सराहनीय है कि राज्यपालों और केंद्रीय मंत्रियों में जितना प्रतिनिधित्व महिलाओं, पिछड़ों आदिवासियों, अनुसूचितों, उच्च शिक्षितों और युवा लोगों को मिल रहा है, उतना अभीतक किसी मंत्रिमंडल में नहीं मिला है। महिलाओं की जितनी बड़ी संख्या मोदी मंत्रिमंडल में है, उतनी बड़ी संख्या भारत की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में भी नहीं थी। इसी प्रकार शायद इतना बड़ा फेर-बदल किसी मंत्रिमंडल में पहले नहीं हुआ। यह अदभुत भूल सुधार है। इसके लिए बड़ी हिम्मत चाहिए।
वर्तमान फेरबदल के पीछे कई दृष्टियां हैं। पहली तो यह कि अगले साल जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, उनके कुछ प्रभावशाली नेताओं को दिल्ली की गद्दी पर बिठाया जाए ताकि उन राज्यों के मतदाताओं का हित-संपादन विशेष रूप से हो, जिसके कारण भाजपा का वोट-प्रतिशत बढ़े। दूसरी दृष्टि यह है कि जिन मंत्रियों के कामकाज में कमियां पाई गईं या उन्हें लेकर अनावश्यक विवाद हुए, उनसे सरकार को मुक्त कर दिया गया। कुछ मंत्रियों ने अपने इस्तीफे पहले ही दे दिए। तीसरी दृष्टि यह रही हो सकती है कि अब कोरोना का खतरा लगभग समाप्त-सा दिखाई दे रहा है तो देश की राजनीति में ताजगी लाई जाए। इसीलिए युवाओं के मंत्री बनने से अब मोदी मंत्रिमंडल की औसत आयु 58 वर्ष हो गई है लेकिन यहां एक पेंच है। वह बड़ा खतरा भी सिद्ध हो सकता है।
मोदी मंत्रिमंडल की सबसे बड़ी कमी उसकी अनुभवहीनता है। प्रधानमंत्री बनने के पहले मोदी खुद कभी केंद्र में मंत्री नहीं रहे। उनके मंत्रियों में राजनाथ सिंह जैसे कितने मंत्री हैं, जो पहले केंद्र में मंत्री रह चुके हों। आप योग्यता आसानी से जुटा सकते हैं लेकिन अनुभव तो अनुभव से ही आता है। उसका कोई विकल्प नहीं है। यह नया मंत्रिमंडल पता नहीं कैसा काम करके दिखाएगा ? यह भी देखना है कि यह नया मंत्रिमंडल 2024 में मोदी सरकार की वापसी को कैसे मजबूत करेगा?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और जाने-माने स्तंभकार हैं।)

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