उत्तराखण्ड राज्य में स्थित नैनीताल एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है जो दिल्ली से 287 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सप्ताहांत में छोटी दूरी की यात्रा के लिए यह बेहद उपयुक्त है। लोग अपनी गाड़ियों से सुबह जल्दी निकल पड़ते हैं और दोपहर तक नैनीताल पहुँच जाते हैं। नैनीताल में कई बार पर्यटकों की इतनी अधिक भीड़ हो जाती है कि गाड़ियों की मीलों लंबी लाइनें लग जाती हैं और होटलों में कमरे तक नहीं मिल पाते। ऐसे में कई बार बाहर से आने वाले पर्यटकों को शहर से पहले ही रोक देना पड़ता है। नैनीताल में पर्यटकों के इतनी अधिक संख्या में आने का क्या कारण है? वास्तव में
नैनीताल न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है अपितु यहाँ का मौसम भी बड़ा सुहावना होता है। गर्मियों में ही नहीं अब तो सारे साल ही यहाँ पर्यटकों का ताँता लगा रहता है। दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों में जब चिलचिलाती धूप होती है और लू चलती है तब यहाँ आकर बेहद सुकून मिलता है। यद्यपि सर्दियों में यहाँ बहुत सर्दी होती है और बर्फ पड़ती है लेकिन गर्मियों में यहाँ दिन का मौसम बहुत ख़ुशगवार रहता है और रात में जो थोड़ी ठंड रहती है वो भी अच्छी लगती है। मौसम के अतिरिक्त नैनीताल में आने का एक कारण यहाँ के अनेक सुदर स्थल भी हैं। नैनीताल समुद्र तल से 1938 मीटर की
ऊँचाई पर बसा हुआ है। नैनीताल के कुछ किलोमीटर के दायरे में ही दर्जनों ऐसे स्थान हैं जहाँ पर्यटक घूमने-फिरने का आनंद उठा सकते हैं। नैनी झील अथवा नैनीताल की खोज सन् 1839 में पी. बैरन नामक एक ब्रिटिश ने की थी जो चीनी का व्यापार करता था। उसे यह स्थान इतना अधिक पसंद आया कि उसने यहाँ पर एक यूरोपियन बस्ती बसाने का फैसला कर डाला। उसी ने यहाँ अपना पहला घर बनाया था।
नैनीताल के प्रमुख आकर्षण:
नैनी झील:
नैनीताल का प्रमुख आकर्षण है नैनी झील। ख़ूबसूरत व विशाल नैनी झील के चारों तरफ स्थित हरीभरी ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ झील के सौंदर्य को कई गुना बढ़ा देती हैं। शहर के किसी भी भाग से देखो झील बहुत सुंदर दिखलाई पड़ती है। आसपास की पहाड़ियों पर से तो यह और भी अधिक सुंदर दिखलाई पड़ती है। नैनी झील की परिधि तीन किलोमीटर से भी अधिक है। झील की लंबाई 1358 मीटर व चौड़ाई 458 मीटर है। इसकी गहराई भी 15 मीटर से लेकर 156 मीटर तक होने का अनुमान है। नैनी झील की स्थिति ऐसी है कि इसमें आसपास की पर्वत-शृंखलाओं और पेड़ों की छाया साफ नज़र आती है। इस प्रकृतिक सौंदर्य के अतिरिक्त झील में तैरती नौकाओं के मध्य तैरते बत्तखों के समूह भी कम आकर्षक नहीं लगते। जब आकाश में बादल छाए हों तो उनका प्रतिबिंब भी झील को और अधिक सुंदर बना देता है। और रात के समय नभमंडल में चमकते तारे और चाँद भी इसके सौंदर्य में कम वृद्धि नहीं करते।
माल रोड:
झील के साथ जो प्रमुख सड़क है उसका नाम है माल रोड। माल रोड पर घूमने का भी अपना ही मज़ा है क्योंकि माल रोड पर ही नैनीताल के अधिकांश होटल, रेस्टोरेंट्स, दुकानें, बैंक व कार्यालय वगैरा स्थित हैं जिससे यहाँ हर समय चहल-पहल बनी रहती है। रात के समय आसपास के स्थानों की रंग-बिरंगी रोशनियाँ जब झील के पानी पर झिलमिलाती हैं तो झील का सौंदर्य और भी बढ़ जाता है। लोग देर रात तक आइसक्रीम वगैरा खाते हुए झील के किनारे स्थित माल रोड पर टहलते रहते हैं। टहलते-टहलते थकान होने लगे और पैदल चलता मुश्किल हो जाए तो माल रोड पर मल्ली ताल से तल्ली ताल तक कहीं से भी रिक्शा लेकर अपने होटल तक पहुँचा जा सकता है। सभी होटल झील से ऊँचाई पर ही स्थित हैं अतः झील के सामने वाले होटलों के ऊपरी मंज़िलों के सामने के कमरों की खिड़कियों अथवा बालकनियों से भी झील की सुंदरता को निहारा जा सकता है। नैना पीक अथवा चाइना पीक:
हर हिल स्टेशन की तरह नैनीताल में भी कई ऐसी पर्वतीय चोटियाँ हैं जहाँ से झील और आसपास के क्षेत्रों का दृष्य बहुत सुंदर लगता है। ऐसी ही एक चोटी का नाम है नैना पीक अथवा चाइना पीक। यह नैनीताल की सबसे ऊँची चोटी है जो माल रोड से साढ़े पाँच किलोमीटर की दूरी पर है। नैना पीक समुद्र तल से 2615 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ तक सड़क मार्ग के अतिरिक्त रज्जु मार्ग अथवा रोप वे के ज़रिए भी पहुँचा जा सकता है। मौसम साफ हो तो यहाँ से दूरबीन द्वारा हिमालय की कई हिमाच्छादित चोटियाँ व पर्वत-शृंखलाएँ भी देखी जा सकती हैं। ये भी संभव है कि आने
अथवा जाने में आप एक ओर का रास्ता सड़क मार्ग से पूरा करें और दूसरी ओर का रास्ता रज्जु मार्ग अथवा रोप वे से।
टिफिन टॉपः
नैनीताल में ही एक और चोटी है जिसका नाम है टिफिन टॉप। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई है 2292 मीटर। यह नैनी पीक से कम ऊँची है लेकिन यहाँ जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिलता अतः घोड़ों पर अथवा पैदल ही चढ़ाई करनी पड़ती है। ट्रैकिंग करने वालों के लिए ये एक अच्छी जगह है। टिफिन टॉप तक पहुँचने के दो रास्ते हैं। एक रास्ता झील के पास से होकर जाता है तो दूसरा रास्ता श्री अरविंद आश्रम के पास से प्रारंभ होता है। एक रास्ता थोड़ा लंबा है लेकिन सरल है जबकि दूसरे रास्ते पर चढ़ाई थोड़ी कठिन है लेकिन रास्ता अधिक सुंदर है।
नैनादेवी मंदिर:
कुछ लोगों का कहना है नैनी झील नाशपाती के आकार की है जबकि कुछ का मानना है कि नैनी झील का आकार आँख जैसा है और इसी से इसका नाम नैनी झील पड़ा है। मल्ली ताल अथवा झील के ऊपरी हिस्से पर झील के किनारे पर ही नैनादेवी का प्रसिद्ध मंदिर भी है। नैनादेवी के नाम पर ही झील का नाम नैनी झील पड़ना अधिक स्वाभाविक लगता है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहाँ देवी के दर्शन व पूजा-पाठ करने आते हैं। साल में एक
बड़ा मेला भी यहाँ लगता है। नैनीताल आने वाले पर्यटक भी यहाँ हाज़िरी लगाना नहीं भूलते।
हिमालयन बॉटेनिकल गार्डन:
वर्ष 2005 में यहाँ नैनीताल में एक वनस्पति उद्यान भी स्थापित किया गया है जिसका नाम है हिमालयन बॉटेनिकल गार्डन। इसमें विविध प्रकार की वनस्पतियों और फूलों के पौधों को देखना एक विशेष अनुभव प्रदान करता है। यहाँ सभी वनस्पतियों और फूलों की अच्छी जानकारी भी दी गई है। जो लोग अपने आसपास के वनस्पति जगत को नहीं पहचानते अथवा पेड़-पौधों अथवा फूलों के नाम नहीं जानते उनके लिए इसे देखना बहुत
ज्ञानवर्धक सिद्ध होगा इसमें संदेह नहीं। विद्यार्थियों को अपनी पेड़-पौधों संबंधी जानकारी बढ़ाने के लिए यहाँ एक निश्चित अंतराल के बाद नियमित रूप से आते रहना चाहिए। बाहरी पर्यटकों के लिए भी यह उतना ही उपयोगी है जितना स्थानीय लोगों के लिए।
जी.बी.पंत हाई एल्टीट्यूड ज़ू:
देश-विदेश के जीव-जंतुओं की जानकारी प्रदान करने के लिए नैनीताल में एक चिड़ियाघर भी है जिसका नाम है जी.बी.पंत हाई एल्टीट्यूड ज़ू। यहा जीव-जंतुओं को विशेष रूप से हिमालय क्षेत्र के जीव-जंतुओं को उनके स्वाभाविक प्राकृतिक परिवेश में देखना संभव है जो बच्चों और बड़ों दोनों के लिए उपयोगी होगा।
गर्नी हाउस:
एक समय था जब पूरे उत्तराखण्ड में नरभक्षी तेंदुओं ने आतंक मचा रखा था। वहाँ के लोगों को इन नरभक्षी तेंदुओं के आतंक से बचाने के लिए जिस व्यक्ति ने उनका सफाया कर डाला उसका नाम था जिम कॉर्बेट। जिम कॉर्बेट गर्मियों में यहीं नैनीताल में रहते थे। गर्नी हाउस नाम से प्रसिद्ध उनका घर भी एक दर्शनीय स्थल से कम नहीं है। यद्यपि वह घर अन्य किसी व्यक्ति के खरीद लिए जाने के कारण उसकी व्यक्तिगत संपत्ति बन
चुका है लेकिन आज भी उसमें जिम कॉर्बेट से संबंधित वस्तुएँ सुरक्षित रखी हैं। अनुमति लेकर उसे भी देखा जा सकता है।
निकटवर्ती झीलें:
नैनीताल ज़िले को झीलों का ज़िला कहा जाता है। कहा जाता है कि एक समय था जब इस क्षेत्र में साठ झीलें थीं। आज साठ तो नहीं लेकिन बहुत सी झीलें अब भी मौजूद हैं जो नैनीताल के आसपास के क्षेत्रों में ही स्थित हैं। भीम ताल, नौकुचिया ताल, कमल ताल, सात ताल व खुरपा ताल आदि क्षेत्र की कुछ प्रसिद्ध झीलें हैं जिन्हें नैनीताल आने वाले पर्यटक अवश्य देखने जाते हैं। भीम ताल इनमें सबसे बड़ी झील है जो नैनी झील से
भी बड़ी है। एक समय था इन झीलों के आसपास कुछ नहीं था सिवाय प्राकृतिक सौंदर्य के। अब तो इन सब झीलों के आसपास बहुत सी कॉलोनियाँ बस गई हैं। झीलों तक पहुँचने के लिए घनी आबादी के बीच से होकर गुज़रना पड़ता है। लेकिन गनीमत है कि नैनी झील को छोड़कर शेष झीलें प्रदूषण की मार से अभी तक बची हुई हैं।
सीताराम गुप्ता,
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