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प्रोफेसर प्रशांत चक्रवर्ती के खिलाफ इतिहास विकृति और बराकवासियों के अपमान का आरोप, बीडीएफ और बंगाली नवनिर्माण सेना ने दर्ज कराई एफआईआर

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सिलचर, 10 जून:
बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट (BDF) और बंगाली नवनिर्माण सेना (BNS) ने असम विश्वविद्यालय के इतिहास को विकृत करने और बराक घाटी के निवासियों को “रीढ़विहीन बराकी बंगाली” कहकर अपमानित करने के आरोप में बंगाली साहित्य सभा के महासचिव प्रोफेसर प्रशांत चक्रवर्ती के खिलाफ सिलचर सदर थाना में संयुक्त रूप से एफआईआर दर्ज कराई है।

प्रोफेसर चक्रवर्ती ने कथित तौर पर असम विश्वविद्यालय की स्थापना को “असम समझौते” का परिणाम बताया था, जिसे बराक घाटी के कई संगठनों ने ऐतिहासिक रूप से भ्रामक और अपमानजनक बताया। इसके बाद, उन्होंने बराक क्षेत्र के निवासियों को “रीढ़विहीन” कहकर संबोधित किया, जिससे विवाद और गहरा गया।

संगठनों की प्रतिक्रिया और मांगें
BDF के मीडिया सेल संयोजक जयदीप भट्टाचार्य ने बताया कि संगठन को उम्मीद थी कि प्रोफेसर अपनी टिप्पणी के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगेंगे। “लगभग एक माह तक प्रतीक्षा करने के बाद भी जब कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, तब हमें पुलिस शिकायत दर्ज करने का निर्णय लेना पड़ा,” उन्होंने कहा।

BDF के सह-संयोजक ऋषिकेश डे ने इस बयान को “गंभीर और विभाजनकारी” बताते हुए कहा कि बंगाली साहित्य सभा की कछार जिला समिति द्वारा इसे प्रोफेसर की ‘व्यक्तिगत राय’ करार देना, संगठनात्मक जवाबदेही से बचने का प्रयास है। उन्होंने मांग की कि साहित्य सभा यह स्पष्ट करे कि असम विश्वविद्यालय असम आंदोलन का नहीं, बल्कि बराक आंदोलन का परिणाम है। साथ ही उन्होंने मांग की कि विवाद को समाप्त करने के लिए सभा प्रोफेसर के बयान की निंदा करते हुए औपचारिक प्रस्ताव पारित करे।

बंगाली नवनिर्माण सेना की मांग
BNS के प्रतिनिधियों सुमन डे और दुलाल भौमिक ने बताया कि उन्होंने पहले ही प्रोफेसर से सार्वजनिक माफी की मांग की थी। “इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करना और बराकवासियों का अपमान करना अक्षम्य है,” उन्होंने कहा। BNS ने प्रशासन से मामले में शीघ्र और सख्त कार्रवाई की मांग की है।

पृष्ठभूमि में गहराता विवाद
यह विवाद केवल प्रोफेसर चक्रवर्ती के बयानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बराक और ब्रह्मपुत्र घाटियों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सामाजिक-राजनीतिक मतभेदों को भी उजागर करता है। इससे पहले भी BDF ने ब्रह्मपुत्र घाटी के कुछ लोगों के खिलाफ इसी प्रकार की शिकायतें दर्ज करवाई थीं।

अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या यह विवाद किसी समाधान की दिशा में बढ़ता है या क्षेत्रीय असंतोष को और बढ़ावा देता है।

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