बर्नीब्रिज किडनैप, रेप और मौत कांड गहरा रहस्य, पुलिस निष्क्रिय क्यों? प्रदर्शनकारियों पर एसपी का कोप क्यों?
प्रे. भा. क्राइम ब्यूरो शिलचर: हमारी एक टीम पूरे मामले की छानबीन करने के लिए रतनपुर, मोहनपुर और बर्नीब्रिज पीड़िता के घर तक गई और कुछ चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए जिसे हम पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत कर रहे हैं-
हाइलाकांदी जिले के बर्नी ब्रिज चाय बागान की 13- 14 साल की गरीब श्रमिक परिवार की लड़की जो रोज दो-तीन किलोमीटर कठिन और सुनसान रास्ते में चलकर स्कूल जाती थी। सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कर रही है अगर ऐसी घटनाएं घटती रही तो कौन बेटी को पढ़ाने के लिए स्कूल भेजेगा? घटना के बाद पुलिस द्वारा कार्रवाई के बजाएं लीपापोती की कोशिश के मायने क्या है? वह भी तब जब जिले में महिला पुलिस अधीक्षक है।
कहानी की शुरुआत यूं होती है की रतनपुर निवासी प्रहलाद रविदास 4 जुलाई को सुबह 10:30 बजे साइकिल से जा रहे थे और उन्हें पास ही एक टीले से एक लड़की के चीखने की आवाज सुनाई पड़ी, उन्होंने देखा एक अल्टो कार से दो लड़का और एक लड़की तथा बाइक से 2 लड़के भाग रहे थे। वो टीले के ऊपर गए तो देखा एक लड़का अंडरपैंट में भाग रहा है और वहां एक निर्वस्त्र लड़की पड़ी हुई है जो रो रही है। उन्होंने तत्काल बागान के चौकीदार को खबर दिया और लड़की को कपड़ा पहनाया। चौकीदार ने ग्राम रक्षा दल और असिस्टेंट मैनेजर महेश तिवारी को सूचित किया। उन्हें वहां पर 1 जोड़ी लड़के के कपड़े और एक मोबाइल भी मिला। लड़की का नाम पता पूछने पर वह बता नहीं रही थी। ग्राम रक्षा दल और असिस्टेंट मैनेजर लड़की के ड्रेस के आधार पर उसे मोहनपुर के अभया चरण एम ई स्कूल ले गए। विद्यालय के प्रधान शिक्षक ने लड़की को पहचान लिया और उसके घर खबर दिया। लड़की के पिता स्कूल आकर लड़की को घर ले गए। घर में लड़की की हालत धीरे-धीरे बिगड़ती गई। लड़की का घर बर्नी ब्रिज बाजार से 2 किलोमीटर अंदर है, जहां 1 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। चढ़ाई, उत्तराई और फिसलन से भरा रास्ता, रात को 11:00 बजे लड़की को लेकर उसके घर और पास पड़ोस वाले मोहनपुर पुलिस चौकी गए। पुलिस उन लोगों को लेकर स्थानीय हॉस्पिटल ले गई, जहां से उन्हें सिविल हॉस्पिटल हाइलाकांदी भेजा गया, सिविल हॉस्पिटल से शिलचर मेडिकल कॉलेज के लिए रिफर कर दिया जब वह लोग लड़की को शिलचर मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
5 जुलाई सुबह होते होते किडनैप, रेप और मौत की खबर आग की तरह पूरे बराकघाटी में फैल गई, इधर शिलचर मेडिकल कॉलेज में लड़की का पोस्टमार्टम हो रहा था और उधर मोहनपुर तिराहे पर उत्तेजित लोग आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए आंदोलन कर रहे थे। आंदोलनकारियों को जिला पुलिस अधीक्षक लीना दोलोई ने बताया कि दो आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं बाकी को भी 12 घंटे के अंदर पकड़ लेंगे। आंदोलनकारी शांत हुए भारी वर्षा के बीच लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
आज 8 दिन हो गए पूरे बराक बैली में जगह जगह धरना, प्रदर्शन, रैली चल रहा है, पुलिस आरोपियों को खोजने के बजाय प्रदर्शनकारियों पर दमनात्मक कार्रवाई कर रही है। आइए देखते हैं चूक कहां-कहां हो रही है:
चूक नंबर 1: किडनैप और रेप का मामला था, जब लड़की को लोगों ने विद्यालय पहुंचाया तो नजदीकी पुलिस चौकी में खबर दी जानी चाहिए थी। इसकी जहमत न तो स्कूल के प्रधान शिक्षक ने उठाई और ना ही घर वालों ने। अगर पुलिस को सूचित किया गया होता तो आज लड़की जिंदा होती। लड़की के घरवाले गरीब मजदूर है, पढ़े-लिखे नहीं है तो ज्यादा दायित्व स्कूल के प्रधान शिक्षक का बनता है।
चूक नंबर दो: लड़की को सीधे मेडिकल कॉलेज लाना चाहिए था घर वालों ने और पुलिस वालों ने इसमें लापरवाही की, यदि समय से चिकित्सा मिली होती तो शायद लड़की जिंदा होती।
चुक नंबर 3: पुलिस को लड़की के मां और उसकी दादी का बयान तुरंत लेना चाहिए था क्योंकि घटना के बाद लड़की उन लोगों के साथ थी, पुलिस ने अभी तक उनका बयान नहीं लिया है।
चूक नंबर 4: पुलिस को प्रहलाद रविदास का तत्काल बयान लेना चाहिए था जो एक हफ्ते बाद 11 जुलाई को शिलचर सर्किट हाउस में रिकॉर्ड किया गया।
चूक नंबर 5: पीड़िता की सहेली जो आरोपियों के साथ भाग गई थी, उसे भी हिरासत में लेकर सच्चाई उगलवाना चाहिए था जो पुलिस ने नहीं किया। यदि किया होता तो यह ना बोलते कि लड़की रजामंदी से गई थी और उसने आत्महत्या की है।
चूक नंबर 6: लड़की के मां का बयान है कि लड़की को जबरन कार में हाथ- पैर बांधकर ले जाया गया और उसके साथ दुष्कर्म किया गया और जब उसे घर लाया गया, उसकी तबीयत ठीक नहीं थी, हालांकि स्कूल जाने से पहले ही उसे बुखार था, आने के बाद वह खा पी नहीं पा रही थी। उसके गले और पेट में जलन हो रही थी अर्थात उसे कुछ खिला दिया गया था, जिसके कारण उसकी मौत हुई। पुलिस इसे आत्महत्या बता रही है।
चूक नंबर 7: पुलिस ने अभी तक लड़की के पिता का एफ आई आर नहीं लिया, और खोजबीन करने पर पता चला कि पुलिस ने लड़की के मामा से एफ आई आर लिया, प्रश्न उठता है कि लड़के के मां-बाप के रहते हुए मामा से एफ आई आर क्यों लिया गया?
चूक नंबर 8: पुलिस मामले को गंभीरता से लेने के बजाय केस को हल्का करने में क्यों जुटी है, यह बड़ा सवाल है? क्या पुलिस को ऊपर से ऐसा कोई निर्देश मिला है?
चूक नंबर 9: 10 जुलाई को एसपी द्वारा हाइलाकांदी में प्रदर्शनकारियों के साथ सौहार्दपूर्ण वार्ता की जगह दुर्व्यवहार किस बात का संकेत है? क्या भविष्य में हाइलाकांदी में हिंदू संगठन अपनी आवाज नहीं उठाने पाएंगे?
प्रश्न और भी है मसलन पुलिस अपनी ताकत आरोपियों को पकड़ने और घटना की सूक्ष्म जांच करने के बजाए प्रदर्शनकारियों को दबाने में क्यों लगा रही है? सुनने में आया है कि कुछ लोगों ने लड़की के परिवार को केस में नहीं जाने के लिए रुपया पैसे का लालच दिए थे। सामाजिक विचार से घटना की मीमांसा करने की योजना थी, कौन थे वे लोग जो अपराधियों को बचाना चाहते थे? घटना एक होती तो शायद समाज में इतनी प्रतिक्रिया नहीं दिखाई पड़ती, एक हफ्ते में 4-4 घटनाएं, किस बात का संकेत है? ईद के दिन सोशल मीडिया में खुलेआम हिंदुओं को धमकी दी गई और उसी के बाद इस प्रकार की कार्रवाई क्या बताती है ? क्या बराक घाटी बांग्लादेश बनने जा रही है? आप भी विचार करें!!