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ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम मान सरोवर से नहीं हुआ है।

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दुमदुमा प्रेरणा भारती 7 फरवरी :– हालांकि यह लंबे समय से ज्ञात था कि ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत में सांगपो नाम से मानसरोवर से निकलती है, लेकिन बाद में उपग्रह चित्रों से यह साबित हो गया कि वास्तव में यह मान सरोवर के ऊपर स्थित चेमा ईयुंडुंग ग्लेशियर से प्रकृति रूप से उत्पत्ति हुई है।  डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के प्रायोगिक भूविज्ञान के पूर्व प्रोफेसर और प्रख्यात नदी विशेषज्ञ डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा गुरुवार को हुनलाल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के सभागार में असम विज्ञान सोसायटी, दुमदुमा शाखा द्वारा आयोजित फटिक चंद्र बरुआ स्मृति समारोह में यह बात कही । डॉ शर्मा ने विश्व  की सबसे चौड़ी नदी के रूप में स्वीकृति प्राप्त तिब्बत से बंग्लादेश तक ब्रह्मपुत्र नदी के सम्पूर्ण गतिपथ के बारे में बताया। ब्रह्मपुत्र नदी के मुख पर चीन द्वारा वृहद नदी बांध निर्माण के संदर्भ में डां शर्मा ने कहा कि पानी वितरण के क्षेत्र में यह हमारे लिए कोई समस्या उत्पत्ति पैदा नहीं कर सकती क्योंकि नदी का 80% पानी असम और अरूणाचल प्रदेश के विभिन्न उपनदियों का है। इसका मात्र 20 प्रतिशत पानी ही चीन की नदियों से आता है । लेकिन उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि चीन सांगपो में प्रस्तावित विशाल बांध का उपयोग ‘जल बम’ के रूप में कर सकता है, जिससे निचले क्षेत्र में तबाही मच सकती है। जो असम अरुणाचल के लोगों के लिए हितकर साबित नहीं होगा।
इस सभा के प्रारंभ में माजुली सांस्कृतिक विश्वविद्यालय के उपाचार्य अध्यापक निरोद बरूआ ने 1958 सन् में हुनलाल हाई स्कूल को उच्चतर माध्यमिक तक विकास करने में विशेष सहयोग करने में अपने पिता स्व फटिक चन्द्र बरूआ के स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित किया और अंग्रेजी और साहित्य उभय भाषा में डबल एम ए होने के बाद भी पिता के शिक्षा के प्रति रुचि के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। गुवाहाटी विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एम ए करने के बाद और अवसर लेने के बाद डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय से पि एच डी डिग्री हासिल की । रिटायर होने के बाद वे एक विशिष्ट अधिवक्ता के रूप में तिनसुकिया की अदालत में वकालत किए थे ।
सभापति डॉ मीना देवी बरूआ के अध्यक्षता में आयोजित सभा में रुनुमनी दत्त और उनके सहयोगियों ने असम विज्ञान समिति का चिन्ह गीत ” ज्ञानर हीमनार हुरूज आमि ” शीर्षक समावेश गीत गाया ।सभा आरंभ किए जाने से पूर्व असम विज्ञान समिति के पूर्व सभापति तथा काटन कालेज के पूर्व अध्यक्ष डॉ अनिल कुमार गोस्वामी के स्मृति में एक मिनट का मौन रखा गया ।
 सभा में असम विज्ञान समिति के पूर्व सभापति तथा डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. परमानंद महंत उपस्थित रहे । विज्ञान सन्मत मानसिकता विकास के लिए छात्र-छात्राओं को  वैज्ञानिक मानसिकता विकसित करने की सलाह देते हुए  उसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के दुष्प्रभावों और मोबाइल के माध्यम से जनता के आभासी अस्तित्व के कारण मानव-से-मानव के संस्पर्श  की कमी पर आशंका व्यक्त की ।
सभा में बीर राघव मोरान सरकारी आदर्श महाविद्यालय के अध्यक्ष  डॉ. अमरजीत सैकिया , दुमदुमा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. कमलेश्वर कलिता और  काकोपथार  के पद्मनाथ गोहाई बरुआ सरकारी आदर्श महाविद्यालय  प्राचार्य डॉ. थानूराम मनिंदर ने सभा को सम्बोधित किया । सचिव धीरेन डेका ने सभा की उद्देश्य व्याख्या करते हुए कार्यक्रम में अंश ग्रहण किए सम्माननीय अतिथि डॉ निरोद बरूआ का परिचय दिया। शाखा के आजीवन सदस्य रूनुमनी दत्त भुयां और प्रकाश दत्त ने मुख्य अतिथि क्रमशः डॉ परमानंद महंत और फटिक चन्द्र बरूआ स्मारक वक्तृता के मुख्य वक्ता डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा के परिचय दिया।
आम अधिवेशन और स्मृति सभा के दो दिवसीय आयोजित असम विज्ञान समिति दुमदुमा शाखा का द्विवार्षिक सम्मेलन का समापन हुआ। कल दुमदुमा नाट्य मंदिर में आयोजित साधारण सभा में वर्ष 2025-2027 के लिए 17 सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया जिसमें डॉ मीना देवी बरूआ को सभापति , झीकानंद बरगोंहाई को कार्यकारी सभापति , धीरेन डेका को साधारण सचिव , उत्पल पुजारी को सहसचिव , रूनुमनी दत्त और रूबी चौधरी को सहसचिव, अर्जुन बरूआ को कोषाध्यक्ष का चयन कर नई कार्य निर्वाहक समिति का गठन किया गया ।

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