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सरोज सिंह जी के कहानी “करियट्ठी” पर काम बहुत महीना से सुरु रहे बाकिर एक्टर लोकेशन इत्यादि के काम सितम्बर में सुरु भईल, मित्र अंकित आनंद भाई छपरा के अपहर गांव के रहेवाला बाड़ें, आपन घर देलन शूटिंग ला | अक्टूबर में तीन चार हाली उनकर गाँवे गईनी, सब फाइनल भईल |
फिल्म में बहुत जगह पांच सात बारिस से लेके एगारह बारह बरिस के लईकी लईका, अट्ठारह – सतरेह बारिस तक के लोग के जरुरत रहे | बगले में एगो बढियाँ स्कूल रहे |
भिखारी ठाकुर के लोग शेक्सपियर कहेला | एकरा पर बहस नईखे | भिखारी ठाकुर के कई गो रचना भोजपुरी भासा के थाती ह | महिला प्रधान आ महिला के केंद्र में रखकर आजु से पचास सई बरिस पहिले भिखारी ठाकुर नाटक आ गीत लिखलन | उनकारा साथे काम करेवाला राम चंद्र माझी जी के पद्मश्री तक मिलल |
आज २०२४ के चौखट पर भोजपुरी कहाँ ठाड़ बाटे ?
शूटिंग २८ से सुरु भईल अपहर गांव में, अपहर अमनौर ब्लॉक में पड़ेला, पटना से साठ किलोमीटर बाटे इ गाँव | शूटिंग के बखत बहुत लोग से भेंट होखे जइसे के गांव में होला, बहुत भीड़ होला | वइसे हमरा बहुत आश्चर्य ना भईल बाकी परेशानी, उदासी, मन अझुराइर जरूर रहे, अभियो बा | आसपास के गांव में खासतौर पे खासतौर पे अगड़ा जाति चाहि संपन्न स्थिति वाला लोग के बच्चा आपसो में भोजपुरी ना बोलेला लोग | जइसे के हम अपनो घर में देखले बानी बचपन से | घर में, मोहल्ला बाज़ार स्कूल के अंदर बाहर, सड़क पर, ई रेक्सा में जात, मेला में घूमत हम इहे सुननी आ देखनी के पांच बरिस से लेके अट्ठारह बरिस तक के बच्चा सब भोजपुरी ना के बराबर बोलेला | रउवा अपना आस पास के गांव में देखीं का स्थिति बाटे ?
रउवा अगर भोजपुरी भासी क्षेत्र से बानी त अपना आसपास के गांव देहात सहर के बाजार दोकान हाट घर इत्यादि में देखीं के युवा/नवहा लोग के भासा केतना बदल गईल बा |
शूटिंग के चार दिन बीतल ओहिजे एगो महिला से भेंट भईल जिनकर एगारह महीना के बेटी रहे | हम उनकरा से पूछनी के गाँव में युवा लोग हिन्दीए बोलता, भोजपुरी ना त रउवा एकरा के कईसे देखेनी ?
आरती पहिले त हस देली जेकर कवनो खास वजह ना रहे, गांव में तनी लोग सहर वाला लोग से लजइबो करेला, फेरु कहली के “हिंदी सीखेगा तबे ना सब आगे बढ़ेगा” | पूरा बातचीत के इहे सार रहे | हम बच्चा चाहे अभिभावक लोग के दोस ना देब काहेकि इ पूरा सिस्टम जे बनल बा जेकरा में एगो आम आदमी “Socio – Economic Security” जोह रहल बा ओकरा में राउर मातृभासा खातिर कवनो अस्थाने नईखे | अभिभावक के अपना बच्चा के भविस्य देखे के बा ओकरा में भोजपुरी मना त शिक्षा में ह ना रोज़गार में | त कैटेलिस्ट का ह ? एगो कहावत ह “बिन भय होत न प्रीत” | भोजपुरी भासा खतम हो जाओ एकर भय बिहार नीयन पलायनवादी मानसिकता वाला समाज में नईखे | हमनी के बस आपन पेट पाले के बा | जहां रोजगार मिले, भागअ | मिडिल ईस्ट से लेके अमरीका चाहे चीन सिंगापोर | हम शारीरिक रूप से पलायन के पलायन ना मानेनि जब तक राउर मानसिक पलायन नईखे भईल | जइसे हमार पलायन कबो बिहार से ना भईल भले में बरिस में दस महीना बम्बई में रहत होखब | हमनी के कवनो टाइप के रोजगार भेंटा जाओ, भासाई रोजगार जवना भासा में होखी ओकरे के सीख लेब | जइसे आज कल खूब बिहारी गायक लोग पंजाबी भासा में गए रहल बा | हम एगो आरा के लाइको के जानीला | हमारा शिकायत नईखे | उहो बेचारु का करे | भोजपुरी भासी लोग बंगाल से लेके मराठी सिनेमा में बाटे | हिंदी के थोप बड़ा प्यार से भोजपुरिया लोग के भोजपुरी से अलग कर देलस आ रउवा जान ना पवनी | काहे ? काहेकि रउवा जातिवाद, हिन्दू – मुस्लिम, भाजपा राजद कांग्रेस जदयू लेफ्ट राइट में लागल रहीं आ लागल बानी |
हमनी के शूटिंग एगारह के ख़तम भईल ओकरा से एक दिन पहिले एगो स्कूल में शूटिंग रहे आ हम बहुत लड़की लोग से बात कईनी उ लोग के बात लुका के सुननी आ हम देख सकत रहीं के लड़की लोग फर्राटेदार भोजपुरिया – हिंदी बोलत रहे जेकरा में स्त्रीलिंग पुलिंग खातिर कवनो स्थान ना रहे | बाकिर भोजपुरी बोले में लाज साफ़ झलकत रहे चेहरा से | एगो लड़की से बात भईल त कहली के “पापा कहते हैं हिन्दीए बोलने के लिए” | पापा त ठीके कह रहल बाड़ें | लड़की पढ़ी लिखी नौकरी करि बाहर जाइ त भोजपुरी के कवन काम |
भिखारी ठाकुर छपरा के कुतुबपुर में आपन मातृभासा भोजपुरी में कई गो रचना कईले रहलन बाकी भोजपुरी केतना दिन अवरी कुतुबपुर दियारा में रही इ देखे के बात होखी | फेसबुक वाल से साभार