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असम के शिक्षा मंत्री ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि इस बार नौकरी के आवेदन के लिए माध्यमिक और उच्च माध्यमिक परीक्षाओं की मार्कशीट पर विचार नहीं किया जाएगा। डेमोक्रेटिक युवा फ्रंट बराक ने इस मुद्दे पर नाराजगी व्यक्त की।
फ्रंट के मुख्य संयोजक कल्पनार्व गुप्ता ने कहा कि सरकार का फैसला जल्दबाजी में और अनुचित है। इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ेगा। यदि नौकरी आवेदन के मामले में टेस्ट मार्कशीट स्वीकार नहीं की जायेगी तो मूल्यांकन प्रक्रिया का क्या महत्व है? पूरे देश में बेरोजगारी की समस्या खतरनाक अनुपात में पहुंच गई है। बराक घाटी में सरकारी पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या दो लाख से अधिक है।बेरोजगारी की समस्या से निजात दिलाने के लिए सरकार ने यह नई रणनीति अपनाई है।सरकार के इस लापरवाह फैसले से छात्र और उनके अभिभावक चिंतित हैं।
फ्रंट के एक अन्य संयोजक इकबाल नसीम चौधरी ने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए माक्स, सैनिटाइजर का उपयोग करके और सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए परीक्षा आसानी से लिया जा सकता था। छात्र साल भर से परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और वे परीक्षा देने के लिए उत्सुक हैं। संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए परीक्षा कैसे किया जाए, इस पर विशेषज्ञों ने विभिन्न सुझाव दिए।लेकिन चुनावों से पहले, राज्य सरकार ने परीक्षाओं के मुद्दे पर ध्यान से विचार नहीं किया तो अब ऐसी उलझन है।
कल्पनार्ब ने कहा कि सरकार को तुरंत फैसला वापस लेना चाहिए। बराक डेमोक्रेटिक यूथ फ्रेंड छात्रों को उनके भविष्य के जीवन से खिलवाड़ नहीं करने दे सकता है, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक परीक्षाएं छात्रों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। तो नौकरी आवेदन के मामले में इन दो परीक्षाओं के परिणामों को मान्य करना होगा। नहीं तो आने वाले दिनों में बराक डेमोक्रेटिक यूथ फ्रंट को घाटी के छात्रों के साथ एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने पर मजबूर होना पड़ेगा।