मेघालय-नगालैंड में आदिवासी करेंगे असली खेल, जानिए कैसे निभाते हैं पार्टियों की हार-जीत में मुख्य भूमिका

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मेघालय-नगालैंड में ऐसे 95 फीसदी सीटें हैं जो आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं.

नई दिल्ली। पूर्वोत्तर भारत के 3 राज्यों में मेघालय, त्रिपुरा और नगालैंड में विधानसभा चुनाव के आ रहे हैं. त्रिपुरा समेत नगालैंड और मेघालय में फरवरी के आखिरी सप्ताह में वोटिंग की गई थी. लेकिन आपको बता दें कि मेघालय-नगालैंड में ऐसे 95 फीसदी सीटें हैं जो आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं.
आदिवासी आरक्षित हैं 95 प्रतिशत सीटें
नगालैंड और मेघालय पूर्वोत्तर भारत के ऐसे राज्य हैं जहां आदिवासी बहुल इलाके हैं. ऐसी वजह से इन राज्यों की लगभग 95% सीटें आदिवासी आरक्षित हैं. नगालैंड में 60 में से 59% और मेघालय में 60 में से 55% सीटें आदिवासी लोगों के लिए आरक्षित हैं. आपको बता दें कि मेघालय में वोटरों की संख्या नगालैंड की तुलना में ज्यादा है. नगालैंड में 13.17 लाख वोटर हैं. वहीं, मेघालय में 21.64 लाख मतदाता हैं. चुनाव आयोग की रिफ से मेघालय में 3482 और नगालैंड में 2315 पोलिंग बूथ बनाए गए थे.
59-59 सीटों पर ही हुआ मतदान
आपको बता दें कि मेघालय और नगालैंड दोनों ही राज्यों में विधानसभा की 60-60 सीटें हैं, लेकिन इन दोनों ही राज्यों में 59-59 सीटों के लिए ही हुआ था. इसके पीछे की वजह ये रही कि नगालैंड की 1 सीट पर भाजपा के उम्मीदवार को निर्विरोध चुन लिया गया. जबकि, मेघालय में 1 उम्मीदवार की मौत हो गई जिसके चलते चुनाव स्थगित कर दिया गया.
यहां ज्यादा हुआ मतदान
राजनीतिज्ञों के अनुसार 59-59 सीटों में से अधिकतर सीटों के वोटर आदिवासी ही हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक मेघालय में 74.32% और नगालैंड में 83.36% वोटिंग हुई. इसका सीधा सा मतलब ये है कि यहां वोटिंग पर्सेंटेज अन्य भारतीय राज्यों की तुलना में ज्यादा रहा है. ऐसे में बढ़ी हुई वोटिंग पार्टियों की हार-जीत के लिए काफी अहम है.


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