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यदि इसे राम-राज्य कहते हैं तो -“रावण-राज्य कैसा होगा ? 

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यदि इसे राम-राज्य कहते हैं तो -“रावण-राज्य कैसा होगा ? – आचार्य आनंद शास्त्री
पिछले कुछ वर्षों से शांतिपूर्वक अपने जीवन को व्यतीत करते सिल्चर नगर की शांति को अंततः शांतिदूतों ने अपने प्रसिद्ध पर्व -“बकरीद” पर भंग कर ये स्पष्ट संकेत और संदेश दे दिया है कि-
मजहब हमें सिखाता काफिर से वैर रखना।
मुस्लिम हैं हम वतन है पाकीस्तां हमारा॥
जिस गौवंश की रक्षा हेतु महाराज दिलीप,अहिल्याबाई,क्षत्रपति शिवाजी,महाराजा रणजीत सिंह आदि हजारों हजार गौरक्षकों ने अपने प्राणों से अधिक-“गौ माता” को चाहा ! जिन गौ माता की जै-जैकार सभी हिन्दू देवालयों और धार्मिक सार्वजनिक कार्यक्रमों में होती है ! जिसकी रक्षा हेतु हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री श्रीमान हेमन्तो बिस्वशर्मा जी द्वारा दो दो विधेयक लाये गये ! जिसे -“अघ्न्या,माँ,धेनु,गायत्री,अपर्णा के नाम से वेदों ने कहा है,उसे हिन्दू समुदाय की छाती पर अर्थात सार्वजनिक स्थल पर मन्दिर,मस्जिद के समक्ष रख कर-“हलाल” अर्थात अत्यंत ही नृशंसता से तीन बार गला रेत कर काटना इनकी वो आसमनी किताब सिखाती है जिसे-“पैगाम ऐ मोहम्मदी”, पैगाम ऐ मखलूकी इमदाद” के नाम से ये तथाकथित आततायी पुकारते हैं। “शरीफ” ऐ खास किताब ये कहती है कि कयामत में गाय को काटकर उसके गोश्त को डालने से मुर्दे कब्र से जिंदा होकर दौडने लगेंगे। बाइबिल में भी ऐसा ही कुछ है, गाय के बछड़े का खून छिडकने से खराब चीजें पवित्र हो जाती हैं।
आप सभी जानते हैं कि गौवध पर अभी भी हमारा संविधान और न्यायपालिका भ्रमित है ! एक ही देश में दो-दो कानून अलग-अलग कैसे हो सकते हैं ? मेघालय,नागालैण्ड,मणीपुर,त्रिपुरा, मीजोरम,गोवा, दमन और दीव,दादरा और नगर हवेली, पांडिचेरी,केरल,अरुणाचल और पश्चिम बंगाल में गौ हत्या पर वहां की सरकार ने छूट दे रखी है ! किन्तु हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने पिछली बकरीद पर ही असम में गौवंश हत्या पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया ! वैसे तब भी अन्यान्य तथाकथित उन सेक्युलर दलों ने इसका विरोध किया था जो कहीं न कहीं गौवंश की तश्करी में सम्मिलित थे।
मैं अपने जैनी भाईयों को स्मरण दिलाना चाहता कि 14 अप्रैल 2021 में पारित विधेयक के अनुसार किसी भी मन्दिर से पांच कीमी की दूरी तक किसी भी पशु-पक्षी की हत्या और उनके विक्रय पर प्रतिबंध है किन्तु मेहरपुर में शिव मन्दिर तथा विशाल जैन देरासर के बिल्कुल सामने खुलेआम बकरे काटे और बेचे जाते हैं किन्तु समस्या ये है कि खरीदने वाले वही हैं जो अपने आप को गर्व से हिन्दू कहते हैं ।
जहाँ दास कालोनी-चेन कुरी रोड के पास स्थित शांतिदूतों के प्रसिद्ध स्थान पर ९०% हिन्दू महिलाएं और पुरूष जाकर मोमबत्ती जलाकर सजदा करते हैं ! जहाँ हिन्दूओं की हितैषी  सरकार के माननीय (MLAअर्थात ये ऊपर वाली जेब भर जाय तो नीचे वाली में ले) बकरीद के पूर्व पुलिस बल को सचेत नहीं कर सके किन्तु वहाँ जाकर गौ हत्या करने के उपहार स्वरूप लाखों रुपये दे दिया ! और पीडित हिन्दू समाज पर ही लाठियाँ बरसाई गयीं ! जब तथाकथित हिन्दुओं की हितैषी सरकार के राज्य में हिन्दू सुरक्षित नहीं हैं तो आने वाले कल जब इनकी सरकार पुनश्च आयेगी तो इनको सिल्चर के हिन्दुओं की स्थिति मणिपुर के मैतेयी समाज के जैसी करने में देर लगेगी ?
आज हिन्दू समाज बराक उपत्यका में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल ,विश्व हिन्दू परिषद की ओर न्यायोचित कदम उठाने हेतु गम्भीरता से देख रहा है।
“डर लागै और हांसी आवै गजब जमाना आया रे” मैं आश्चर्य चकित हूँ कि हमारे जनप्रतिनिधि चुनाव हेतु आजकल इतने व्याकुल हैं ? ये लोग सोचते हैं कि ये बिचारे हिन्दू जायेंगे कहाँ ? जनसंघ के जमाने के ये लोग हिन्दुत्व के मानसिक गुलाम हैं ! इन्हें मारो-पीटो बाद में पांव छूकर वोट तो मिल ही जायेगा ! मैं अपने आप से पूछता हूँ  कि क्या इसीलिये हमलोग इनके लिये “मोदी-मोदी” करते हैं ? क्या ये शांतिदूत इनको वोट दे देंगे ? ये आयातित लोग यूँ ही निर्यात होते रहेंगे ? और हम अपने बच्चों को ! अपने गौ वंश को यूँ ही कटते देखते रहेंगे ? यदि इसे राम-राज्य कहते हैं तो -“रावण-राज्य कैसा होगा ?
हम भारत सरकार के प्रधानमंत्री जी, असम के मुख्यमंत्री जी एवं स्थानीय जन प्रतिनिधियों के साथ-साथ प्रशासन से आग्रह करते हैं कि इस पर्व पर घटित इस घटना की निष्पक्षता से विवेचना करने के उपरांत उचित कदम उठाने की कृपा करेंगें। अन्यथा हिन्दू समाज के लिये बराक नदी में जल समाधि लेने के उपरांत और कोई समाधान का मार्ग निकट भविष्य में नहीं दिखता -“आनंद शास्त्री”

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