फॉलो करें

राष्ट्र चिंतन  नड्डा और शाह ने डूबोयी मोदी की लूटिया  — आचार्य विष्णु श्रीहरि

240 Views
अपनी दुर्गति के लिए, अपनी हार के लिए, अपनी छबि धूमिल कराने के लिए, विपक्ष की किस्मत चमकाने, सहयोगी दलों को ब्लैकमैलिंग करने की शक्ति देने के लिए, खुद की पार्टी के अंदर जातिवादी यूनियनबाजी पर आंख मुंद कर रहने के दोषी तो खुद नरेन्द्र मोदी हैं। नरेन्द्र मोदी दोषी कैसे हैं? दोषी इसलिए हैं कि उन्होंने अपने चुनावी युद्ध का सेनापति सर्वश्रेष्ठ और अनुभवी राजनीतिज्ञ को नहीं बनाया, जेपी नड्डा और अमित शाह का विकल्प तैयार नहीं किया, अफवाह फैलाने के लिए विरोधियों को खुला छोड़ दिया गया, अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कोई कानून नहीं बनाया, प्रवक्ताओं की ऐसी टीम खडी नहीं की जो आरक्षण समाप्त करने और संविधान बदलने की झूठी खबर फैलाने वाले विपक्ष का सामना कर सके और करारा जब दे सके, उनकी पार्टी भाजपा भी नरेन्द्र मोदी की जीवनरक्षक और कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने में क्यों विफल रही? कहने का अर्थ यह है कि नरेन्द्र मोदी के साथ उनकी पार्टी यानी भाजपा भी पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ खडी नहीं थी।
                   जगतप्रकाश नड्डा जब राष्टीय अध्यक्ष बनाये गये थे उसी समय प्रश्न खडे हुए थे, उनकी संगठन क्षमता और दूरदर्शिता को लेकर उंगली उठायी गयी थी, उस समय कहा गया था कि भाजपा में मजबूत संगठन की क्षमता वाले और राजनीतिक दूरदर्शिता रखने वाले तथा चुनावी रणनीतिकार की कोई पसंद नही करता है, इसलिए नड्डा जैसे साधारण और मजबूत राजनीतिक क्षमता विहीन व्यक्ति ही चलेगा, ऐसा व्यक्ति सबकी सुनेगा और सबका बाजा बजायेगा। यह बात हिमाचल प्रदेश के पिछले विधान सभा चुनाव में भी प्रमाणित हुई थी। हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव की पूरी जिम्मेदारी नड्डा के पास थी, खूब अपनी चलायी,खूब उछले, अपनी जाति को भी खूब प्रसन्न किया पर चुनाव परिणाम नकारात्मक रहा, आत्मघाती रहा, भाजपा की सरकार जमींदोज हो गयी, जबकि उस समय कांग्रेस बहुत ही कमजोर थी और कांग्रेस ने कोई खास चुनावी नीति को भी अंजाम नहीं दिया था। हिमाचल प्रदेश में भाजपा की करारी हार की कोई समीक्षा नहीं हुई, नड्डा की कमजोरी और अदूरदर्शिता पर कोई मंथन नहीं हुआ, उनकी कमजोरी को दूर करने की कोई नसीहत नही पिलायी गयी। सिर्फ इतना हीं नहीं बल्कि 2024 तक उनका राष्टीय अध्यक्ष के दायित्व का विस्तार कर दिया गया। पार्टी आधारित चुनावी लोकतंत्र में पार्टी अध्यक्ष का दायित्व और जिम्मेदारी अव्वल दर्जे की होती है, सर्वश्रेष्ठ होती है, पार्टी को सत्ता में पहुंचाने का दरोमदार भी होता है। नड्डा से भी ऐसी ही उम्मीद नरेन्द्र मोदी की रही होगी। 2019 में जिस प्रकार से अमित शाह ने अपनी कुशल और दूरदर्शिता की नीति के बल पर नरेन्द्र मोदी को फिर से केन्दीय सत्ता में स्थापित करने का करिशमा दिखाया था उसी प्रकार से नड्डा नरेन्द्र मोदी को तीसरी बार सत्ता तक पहुंचाने में विफल रहे। मैंने 2022 में ही एक आर्टिकल लिखा था जिसका शीर्षक था  ‘नरेन्द्र मोदी के लिए भस्मासुर साबित होंगे जेपी नड्डा‘। मेरा यह आर्टिकल विभिन्न अखबारों में प्रकाशित भी हुआ था। 2024 के केन्द्रीय चुनाव में नरेन्द्र मोदी की हुई दुर्गति यह प्रमाणित करती है कि नड्डा के प्रति मेरी अवधारणा और दृष्टिकोण बहुत ही सटीक और चाकचैबंद थी।
                      नरेन्द्र मोदी की दुर्गति के लिए दो ही नेता अधिक जिम्मेदार और भस्मासुर साबित हुए हैं। पहला जेपी नड्डा और दूसरा अमित शाह। उपर्युक्त तथ्यों के अलावा भी नड्डा के अपराध हैं जिस पर चर्चा होनी चाहिए, जिस पर मंथन होना चाहिए। भाजपा का केन्द्रीय कार्यालय में कौन लोगों का वर्चस्व है, कौन लोग जातिवादी यूनियनबाजी चलाते हैं? इसकी पडताड होनी चाहिए। अगर पडताल करेंगे तो पायेंगे कि एक जाति का वर्चस्व है। एक जाति का वर्चस्व क्यों हैं? इसके पीछे खलनायक तो राष्टीय अध्यक्ष ही होता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास इतना समय ही नहीं था कि वह देखे कि पार्टी के आंतरिक स्थिति कैसी है। पार्टी प्रवक्ताओं का आकलन कर लीजिये। कांग्रेस के समूह के अफवाह और गलत बयानी का सही जवाब नड्डा और उनके पालतू प्रवक्ताओं के पास नहीं था, अन्य पार्टी पदाधिकारियों के पास नही था। उदाहरण के लिए आरक्षण समाप्त करने के अफवाह को ही ले लीजिये। कांग्रेस और उसके समूह के लोगों ने यह अफवाह फैलायी कि नरेन्द्र मोदी तीसरी बार सत्ता में आयेंगे तो फिर दलितो और पिछडों का आरक्षण समाप्त कर देंगे। जबकि नरेन्द्र मोदी की ऐसी कोई योजना या नीति नहीं रही है। दलितों का आरक्षण तो कांग्रेस ही छिनना चाहती है उसमें बंटवारा चाहती है। मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान दलित के कोटे में ईसाइयों और मुसलमानों को आरक्षण देने की योजना बनायी गयी थी, एससीएसटी आयोग के अध्यक्ष बूटा सिंह ने कोर्ट मे समर्थन भी कर दिया था। अभी भी यह प्रसंग कोर्ट में लंबित है। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने दलितों के आरक्षण में मुसलमानों और ईसाइयों को शामिल करने के खिलाफ रही है। इस तथ्य को नड्डा और उनकी टीम के पदाधिकारयों और प्रवक्ताओं ने सही ढंग से रखा ही नहीं। अगर सही ढंग से दलित आरक्षण के प्रसंग को रखा जाता तो नरेन्द्र मोदी को इतना बडा नुकसान होता ही नहीं।
          अब आप अमित शाह की करतूत और अंहकार जान लीजिये, उसकी हवाहवाई किलेबंदी की शक्ति का बेपर्द दरवाजा देख लीजिये। 2014 में उत्तर प्रदेश में भाजपा को बहुत बडी सफलता मिली थी। उस सफलता के पीछे अमित शाह का योगदान माना गया था क्योंकि उस दौरान अमित शाह उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी हुआ करते थे। इस सफलता के बल पर अमित शाह पहले पार्टी अध्यक्ष और फिर गृह मंत्री बन गये। अमित शाह के बारे में कहा जाता है कि उसे अपने कार्यकर्ताओं और नेताओ पर भरोसा नहीं, अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को वे कीडे-मकौडे और नालायक से ज्यादा समझते नहीं है। वे सिर्फ और सिर्फ इवेंट कंपनियों पर विश्वास करते हैं, जो चुनावों के पहले सर्वे करती हैं, चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी निभाती हैं और यह फीडबैक देती है कि कौन नेता में कितना दम है, कौन नेता कितना लोकप्रिय है, चुनाव कैसे जीता जा सकता है। 2019 में इवेंट कंपनियों का यह प्रयोग सफल रहा था, क्योंकि मोदी के खिलाफ विपक्ष 2024 की तरह लामबंद नहीं था। अमित शाह ने 2014 और 2019 की नीतियों पर ही 2024 का चुनाव लडा जो आत्मघाती साबित हुआ, 2024 की चुनौतियां अलग थी। बडे-बडे भ्रष्टचारी और कदाचारी विपक्ष के नेताओं को जानबुझ कर भाजपा में शामिल कराया गया, उन्हें पद और सम्मान दिया गया। उदाहरण कोई एक नहीं बल्कि अनेक हैं। महाराष्ट में उद्धव ठाकरे स्वयं की गलतियों और पापों से संहार को प्राप्त होते, उद्धव ठाकरे के साथ ही साथ कांग्रेस और एनसीपी भी डूबती। अजित पवार जैसे भ्रष्ट नेता को इन्होंने अपने गठबंधन में शामिल कराया। परिणाम सामने हैं। महाराष्ट में भाजपा को कितना बडा झटका लगा, यह भी स्पष्ट है।
झारखंड में भाजपा का दाह संस्कार कर्म करने वाले बाबूलाल मरांडी को पार्टी में शामिल करा लिया जो चर्च और कसाइयों का सहचर व समर्थक बन गया था, झारखंड की सभी पांच आदिवासी आरक्षित सीटें भाजपा हार गयी। उत्तर प्रदेश में भाजपा को एक बार लात मार कर भागने वाले और भाजपा को छोल-छोल कर गालियां देने वाले, बांस करने वाले ओमप्रकाश राजभर को इन्होंने फिर से सरकार में ले लिया। संदेश यह गया कि जो भ्रष्टचारी भाजपा में शामिल हुआ उसका भ्रष्टचार मिट गया और वह ईमानदार हो गया। जनता के बीच इस तरह का संदेश आत्मघाती गया।
                    अफसरशाही के प्रति अमित शाह को मोह भी मोदी के लिए काल बन गया। इन्होंने एक बदनाम और अखिलेश-मायावती के प्रिय नौकरशाह नवनीत सहगल को प्रसार भारती का अध्यक्ष बनवा दिया। खासकर उत्तर प्रदेश में कई नौकरशाहों और उनके बेटों को भाजपा से टिकट दिया गया। नृपेन्द्र मिश्र कौन हैं? नृपेन्द्र मिश्र वर्तमान में राममंदिर टस्ट के अध्यक्ष हैं और अमित शाह-नरेन्द्र मोदी के विश्वास पात्र हैं। पर इनकी यह असली पहचान नहीं है। नृपेन्द्र मिश्र की असली पहचान यह है कि ये मुलायम सिंह यादव के सबसे प्रिय नौकरशाह थे और उनके प्रिंसपल सेक्रेटरी थे, कारसेवकों पर गोलियां चलाने के आदेश देने वाले नृपेन्द्र मिश्र ही थे। नृपेन्द्र मिश्र के बेटे को अमित शाह ने श्रावस्ती से टिकट दिलाया था पर नृपेन्द्र मिश्र के बेटे चुनाव हार गये। हजारों कारसेवकों की हत्या कराने का पाप जिस नौकरशाह के उपर है उस नौकरशाह के प्रति अमित शाह और नरेन्द्र मोदी की चरणवंदना कैसे स्वीकार हो सकती है? सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि हर भाजपा राज्यों में विभिन्न बोर्डो और आयोगों में नौकरशाहों की भर्ती होती है, ये नौकरशाह भाजपा के लिए काम करने की जगह अपनी जेबें गर्म करते हैं और अपने रिश्तेदारों की किस्मत चमकाते हैं। आरक्षण समाप्त करने और संविधान बदलने के साथ ही साथ डीपफेंक अपराध जिसके कारण सोशल मीडिया पर भाजपा के खिलाफ अभियान चलाया गया को रोकना गृहमंत्री के तौर पर अमित शाह का ही दायित्व था।
         जीत तो सेनापति के चातुर्य और वीरता से मिलती है। महाभारत में पांडवों की जीत श्रीकृष्ण के कारण मिली थी, श्रीकृष्ण के चमत्कार और मार्गदर्शन में अर्जुन के तीर तबाही मचाती थी। कोई राजा की जीत तभी होती थी जब सेना की वीरता सर्वश्रेष्ठ होती थी। नरेन्द्र मोदी की अपनी हार इसीलिए हुई कि उनके पास सेनापति के रूप में अमित शाह और जगत प्रकाश नड्डा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर सके। दोषी तो खुद नरेन्द्र मोदी भी हैं क्योंकि उन्होंने जगत प्रकाश नड्डा और अमित शाह का विकल्प खोज नहीं पाये और इन पर आंख मुंद कर विश्वास करना उनके लिए ही घातक सि़द्ध हुआ।
===================
 संपर्क:
 आचार्य विष्णु श्रीहरि
 नई दिल्ली
मोबाइल … 9315206123
===================

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल