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संघ के सरकार्यवाह ने असम में भूमि सुपोषण अभियान का किया शंखनाद

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बाक्सा (असम), 14 अप्रैल । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने बाक्सा जिला के तामुलपुर में भूमि सुपोषण अभियान का शंखनाद करते हुए भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए जन जागरुकता फैलाने की पहल की। यह अभियान आगामी वर्षाकाल तक पूरे देश में चलाया जाएगा। भूमि सुपोषण अभियान का शुभारंभ देश के अलग-अलग हिस्सों में मंगलवार को नव वर्ष के अवसर पर किया गया।

भारतीय किसान संघ (बीकेएस) की ओर से रंगाली बिहू और असमिया नव वर्ष के अवसर पर बाक्सा जिला के तामुलपुर में भूमि सुपोषण अभियान का शुभारंभ मंगलवार को किया गया। इस मौके पर काफी संख्या में स्थानीय किसान मौजूद थे। सभी किसान अपने खेतों से मिट्टी लेकर पहुंचे थे। खेतों की मिट्टी को एक स्थान पर रखकर उस पर कलाश स्थापित कर वैदिक विधिविधान के साथ भूमि का पूजन किया गया।

भूमि सुपोषण अभियान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लेते हुए आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा, हर वर्ष देश में भूमि पूर्णिमा मनाने की परंपरा है। अश्विन में दशहरा के बाद जो पूर्णिमा आती है, उसे भूमि पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गांव वाले भूमि की पूजा करते हैं। ऐसा मनना है कि भूमि वर्ष भर हमारा पोषण करती है। इस दौरान हमसे भूमि के साथ कुछ अन्याय होता है। जैसे खेतों में फावड़ा लेकर खोदना, भूमि को गंदा करना आदि शामिल है। हालांकि, यह सब हम मां स्वरूपा भूमि की गोद में करते हैं। इसलिए मां से हम क्षमा प्रार्थना करते हैं। और, वार्षिक पूजा कर प्रार्थना करते हैं, मां जैसा वात्सल्य देकर हमको आगे बढ़ाओ। इस तरह हम प्रति वर्ष भूमि पूर्णिमा का आयोजन कर भूमि का पूजन करते हैं। यह हमारा पृथ्वी के प्रति कर्तव्य है कि हम भूमि की पूजा अर्चना करें।

उन्होंने कहा, हम शैव परंपरा से जुड़े हुए लोग है। भारत के लोग, हिंदू, लोग वैदिक लोग, आर्सेय लोग, हम लोग इस परंपरा से हैं। अपनी संस्कृति को ऋषि संस्कृति कहते हैं। यह अरण्य संस्कृति है। हमने अरण्य को, जंगल को थोड़ा-थोड़ा काटकर गांव बसाकर जमीन को फसल उगाने के योग्य बनाकर कृषि करते हैं। यह हमारी कृषि संस्कृति है। ऐसे भारतीय लोगों ने अपनी संस्कृति को प्रारंभ किया।

उन्होंने कहा, हमने प्रारंभ से कहा कि भूमि हमारी मां है। अथर्ववेद के मंत्र “माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या”, पृथ्वी माता है, हम सब इसकी संतान हैं। इसलिए भूमि हमारे लिए मां होने के कारण जैसे मां अपने बच्चों के लिए साथ वात्सल्य बनाकर रखी है। वैसी ही भूमि भी है। यह भूमि है इसलिए पेड़ है, पहाड़, जमीन, नदी, पानी है। इसलिए अपने जीवन के लिए मां जैसा काम भूमि ने किया। ऐसे में उनके प्रति हमारी श्रद्धा है। उन्होंने कहा, अपनी जन्म भूमि को हम स्वर्ग से भी बढ़कर मानते हैं। ऐसी भूमि के प्रति अपार श्रद्धा और प्रेम हम व्यक्त करते आए हैं। उसी प्रेम व श्रद्धा को व्यक्त करते हुए भूमि सुपोषण अभियान को शुरू किया गया है।

कार्यक्रम के पश्चात मीडिया से बात करते हुए होसबोले जी ने कहा, ग्राम विकास में लगे हुए लोग, एक साथ मिलकर भूमि सुपोषण संवर्धन के लिए अनुष्ठान किया है। आज से लेकर वर्षाकाल प्रारंभ होने तक देश के भिन्न-भिन्न स्थानों पर यह कार्यक्रम आयोजित होगा। इसमें धार्मिक अनुष्ठान के साथ-साथ भूमि के उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए आवश्यक जैविक प्रयत्न, वैज्ञानिक ढंग से जो सिद्ध हुआ है, उसी के आधार पर भूमि के सुपोषण शक्ति को बढ़ाने का कार्य हमने अपने हाथ में लिया है। देश में लाखों कृषक ग्राम विकास में लगे हुए हैं। ऐसे लोग इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए साथ आए हैं। हम इसको देश भर में एक मौन अभियान के रूप में कर रहे हैं। इसके साथ-साथ भूमि के प्रदूषण को मुक्त करते हुए उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए एक जन जागरण अभियान भी साथ-साथ चलेगा। और, भूमि के अंदर उर्रवरा शक्ति को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक प्रयास भी चलेगा। उन्होंने इस कार्य में सभी से अपना सहयोग दोने का भी आह्वान किया।

इस मौके पर अतिथि के रूप में आरएसएस के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख सुनिल देशपांडेय, आरएसएस के असम क्षेत्र प्रचारक उल्लास कुलकर्णी, आसएसएस के असम क्षेत्र संघ चालक डॉ उमेश चक्रवर्ती, सह क्षेत्र प्रचारक बशिष्ठ बुजरबरुवा, क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुनिल मोहंती, उत्तर असम प्रांत प्रचारक नृपेन बर्मन, दक्षिण असम प्रांत प्रचारक गौरांग राय के साथ ही काफी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद थे।

कार्यक्रम के समापन के बाद किसान कार्यक्रम स्थल से एक-एक मुट्ठी मिट्टी अपने साथ ले गये। उन्होंने बताया कि इस मिट्टी को वे अपने खेतों में मिलाएंगे, जिससे उनकी जमीन भी शुद्ध हो जाएगी। वहीं कार्यक्रम के दौरान भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया गया।

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