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शिवकुमार शिलचर 24 अगस्त;सोनाई विधानसभा क्षेत्र के शिलचर से सटे ग्रामीण इलाकों में सूदखोरों की प्रताड़ना एक बार फिर से सिर उठाने लगी है, जिससे क्षेत्र के लोगों में दहशत का माहौल पैदा हो गया है। लोकसभा चुनाव से पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने सूदखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था। उस समय, कुछ सूदखोरों की गिरफ्तारी भी हुई थी, जिससे जनता को राहत मिली थी और लोगों ने महसूस किया था कि सरकार उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।लेकिन चुनाव समाप्त होने के बाद, स्थिति फिर से चिंताजनक होती जा रही है। सूदखोरों ने अपनी पुरानी गतिविधियों को दोबारा शुरू कर दिया है और पहले से भी अधिक आक्रामक तरीके से काम कर रहे हैं। वे अब न केवल आर्थिक शोषण में लिप्त हैं बल्कि दलालों के माध्यम से ग्रामीणों को गाली-गलौज, धमकियां और जबरन वसूली का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण से, ग्रामीण इलाकों में डर और आक्रोश का माहौल व्याप्त है, और लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। शिलचर से सटे गंगापुर के निवासियों ने भी सूदखोरों द्वारा की जा रही प्रताड़ना की कई घटनाओं का जिक्र किया है। उनका कहना है कि सूदखोरों की धमकियों और अत्याचारों के चलते वे मानसिक और शारीरिक रूप से बेहद परेशान हैं। गंगापुर के ग्रामीणों का आरोप है कि चुनाव के बाद से प्रशासन ने सूदखोरों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिससे इन असामाजिक तत्वों का मनोबल और बढ़ गया है, और वे अपने काले धंधे में अधिक सक्रिय हो गए हैं।
इन सूदखोरों का अत्याचार न केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इससे समाज के सामाजिक ताने-बाने को भी गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। दलालों का उपयोग कर ग्रामीणों का अपमान करना और उन्हें धमकाना न केवल मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है, बल्कि यह समाज की नैतिकता और सामाजिक व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।ग्रामीण जनता अब इस समस्या के समाधान के लिए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रही है। उनका कहना है कि सूदखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। सोनाई विधानसभा क्षेत्र की मौजूदा स्थिति बेहद गंभीर है, और यदि प्रशासन ने इस पर तुरंत ध्यान नहीं दिया तो यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है, जिससे क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
स्थिति को देखते हुए, यह जरूरी है कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से लें और आवश्यक कदम उठाएं, ताकि सूदखोरों के आतंक से प्रभावित लोगों को राहत मिल सके और समाज में फिर से शांति और सुरक्षा की भावना बहाल हो सके।