हर घर में तिरंगा फहराये
किसने हुंकार भरी थी यह ,
‘मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी ‘,
किसने ललकारा गोरों को ,
‘है स्वतंत्रता जन्माधिकार ‘I
‘अंग्रेजों अब भारत छोड़ो ‘
यह नारा किसने किया बुलंद,
उद्घोष किया था यह किसने ,
‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूँगा ‘I
‘कलम आज उनकी जय बोल’
किसके थे ये बोल ,
‘भगवान भारतवर्ष में गूँजे हमारी भारती’ ,
किसने लिखकर
सबका लिया ह्रदय टटोल I
‘सत्यमेव जयते ‘ कहकर,
किसने मशाल दिखलायी ,
वह कौन महाभट था जिसने ,
डायर को मृत्यु दिलायी I
हाथों में राष्ट्रध्वजा लेकर ,
कितने अनाम कितने असंख्य ,
बलिदान हुए औ रुधिर बहे ,
कितनों ने अपने प्राण दिये I
तब जाकर आया यह शुभ दिन ,
उन्निस सैतालिस पंद्रह अगस्त ,
हो गये ब्रिटिश हौसले पस्त ,
सर्वत्र तिरंगा जन गण मन I
बज उठे बिगुल ,
बज उठी हिन्द की शहनाई ,
उन्मुक्त राष्ट्र ने ली अंगड़ाई ,
नाचा झूमा पूरा भारत भाई भाई I
हर घर प्रसन्नता निज निसान ,
आबाल वृद्ध झूमे किसान,
हर हाथ तिरंगा लहराया ,
हर तरफ तिरंगा फहराया I
नेहरू पटेल शास्त्री कलाम ,
इंदिरा अटल नरसिम्ह राव ,
राजेन बाबू राधाकृष्णन,
थे प्रणव हिन्द जैसे ललाम I
ले राष्ट्र पताका हाथों में ,
करगिल गलवन निज शीश दिये,
फहरा त्रिवर्ण मंगल मयंक ,
अंकार्टिक औ अंबुधि सुअंक ।
शिक्षा क्रीड़ा कृषि प्रविधि क्षेत्र ,
अब नवाचार आयुध प्रक्षेत्र ,
सीमाओं पर सैनिक सचेत ,
संस्कृति संस्कृत काशी त्रिनेत्र I
आजादी का अमृत उत्सव ,
यह वीर हुतात्मा दीपोत्सव ,
मंजुल कृतज्ञता का उत्सव ,
जन जन हृद बने महोत्सव यह ।
अब लालचौक से लालकिले ,
कामाक्षि कच्छ रामेश्वर तक ,
हर दिल में तिरंगा बस जाये ,
सर्वत्र तिरंगा छा जाये ,
हर घर में तिरंगा फहराये ।