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हिंदी – ताकि भारत के सब लोग एक दूसरे को समझ पाएँ – भावना सक्सैना

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आज एक सितंबर है, आग़ाज़ हैं उस माह का जिसमें संविधान सभा द्वारा हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया था। 14 सितंबर 2024 को हिंदी को राजभाषा बने हुए पचहत्तर वर्ष पूरे हो रहे हैं।
आज जब हम भारत के अमृतकाल में हैं, हमारे लिए यह मंथन करना बहुत आवश्यक हो जाता है कि हिंदी के लिए इस अमृत काल में क्या संभावनाएँ हैं? हिंदी भाषी हो या भारत के अन्य भाषा भाषी, आज की युवा पीढ़ी क्यों अपनाएं हिंदी को? और हिंदी के साथ ही क्यों ज़रूरी है देवनागरी लिपि को अपनाना? तो आइए प्रयास करते हैं इसे संक्षेप में समझने का।
भारत जैसे बहुभाषी देश में एक दूसरे को समझने का माध्यम रही है हिंदी। आज से नहीं सदियों पहले से! सौ वर्ष पहले जब भारत की जनता अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत थी उस समय पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण एक दूसरे की बात को समझने का, परस्पर समाचार पहुँचाने का माध्यम एकमात्र हिंदी ही थी। उस समय अंग्रेजी सामान्य लोगों की भाषा नहीं थी। हमारे पूर्वजों ने हिंदी के माध्यम से आपस में संप्रेषण किया, अपनी एकजुटता का प्रमाण दिया। संविधान सभा में जब हिंदी को राजभाषा बनाने पर बहस हुई तो उसका समर्थन सबसे अधिक उन सदस्यों ने किया जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं थी।
आज भी हिंदी सिर्फ़ एक भाषा नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति, हमारी पहचान, और हमारे इतिहास का एक अहम हिस्सा है। हिंदी हमारी संस्कृति और सभ्यता की धरोहर है। ये भाषा हमारी परंपराओं, लोक कथाओं, कहावतों, और लोकगीतों को जीवित रखती है। हिंदी के माध्यम से हम अपने संस्कारों और रीति-रिवाजों को समझ सकते हैं और अगली पीढ़ियों तक पहुँचा सकते हैं।
भारत में हिंदी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है। 53 करोड़ लोग हिंदी बोलते, पढ़ते और समझते हैं। इसके चलते हिंदी में संवाद और कम्युनिकेशन करना बहुत आसान हो जाता है, चाहे वो व्यक्तिगत स्तर पर हो या व्यापारिक। शिक्षा और ज्ञान का माध्यम है हिंदी। आज हिंदी में शिक्षा का स्तर काफी बढ़ रहा है। बहुत से स्कूल, कॉलेज, और विश्वविद्यालय हिंदी में शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। हिंदी में किताबें, रिसर्च पेपर, और अन्य शैक्षिक संसाधन उपलब्ध हैं, जिससे छात्रों को अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करने का मौका मिलता है।
आर्थिक और व्यावसायिक अवसरों को प्रदान कर रही है हिंदी। हिंदी जानने से आपको कई क्षेत्रों में करियर के अवसर मिल सकते हैं। चाहे वो मीडिया हो, अनुवाद, मार्केटिंग, या फिर सरकारी नौकरी—हिंदी का ज्ञान आपको एक एडवांटेज देता है। कई इंटरनेशनल कंपनियाँ भी भारतीय मार्केट में प्रवेश करने के लिए हिंदी में कंटेंट बना रही हैं।
हिंदी एक ऐसी भाषा है जो विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों को जोड़ने का काम करती है। ये हमारे देश की विविधता में एकता का प्रतीक है। हिंदी के माध्यम से हम अलग-अलग क्षेत्रों और समुदायों के लोगों के साथ बेहतर तरीके से जुड़ सकते हैं।  वर्तमान में डिजिटल और सोशल मीडिया पर हिंदी की पकड़ बढ़ी है। इंटरनेट पर हिंदी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। हिंदी ब्लॉग्स, यूट्यूब चैनल्स, और सोशल मीडिया पेजेज़ की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इससे न सिर्फ़ हिंदी बोलने वालों को अपनी बात कहने का मौका मिलता है, बल्कि हिंदी भाषी दर्शकों को भी ढेर सारा कंटेंट उपलब्ध होता है।
इन सब तथ्यों के साथ ही एक तथ्य यह भी है कि हिंदी केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में बोली जाती है। खासकर उन जगहों पर जहाँ भारतीय मूल के लोग बसे हैं। इस तरह, हिंदी वैश्विक स्तर पर भी एक पहचान बना रही है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपनी जगह बना रही है।
इस तरह यह हमारे जीवन का एक अनमोल हिस्सा है। यह सिर्फ़ एक भाषा नहीं है, बल्कि एक माध्यम है जिससे हम अपने विचार, भावनाएँ, और संस्कृति को व्यक्त करते हैं। हिंदी हमें जोड़ती है, सिखाती है, और हमारे अस्तित्व को एक पहचान देती है। तो बढ़ाइए एक कदम हिंदी की ओर, अपने आसपास जो अन्य भारतीय भाषाएं बोलते हैं, उनकी भाषा सीखिए और उन्हें सिखाइए हिंदी और कीजिए एक ऐसे भारत का निर्माण जहाँ भाषा आपसी यवहार  बाधा न रहे। आप पूरब जाएँ पश्चिम जाएँ या दक्षिण जाएँ सब एक दूसरे को समझ पाएँ।

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