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हिंदी दिवस के अवसर पर 40 साहित्यकारों की रचनाओं से समृद्धि पुस्तक वसुंधरा प्रकाशित

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कोरोना की भयानक परिस्थिति के बाद पूरा विश्व झुलस सा गया है। ऐसे में साहित्य, सांस्कृतिक,कला आदि कार्यक्रमों पर एक तरह से रोक सा लग गया था। लेकिन जिस तरह हर अंधेरी और डरावनी रात के बाद सुनहरा सुबह का आगमन होता है, यह प्रकृति का चिर यथार्थ नियम हैं। उसी तरह करोंना के मार के बाद अब यह प्रस्थिति थोड़ी सुलझती दिख रही है। अब लोग अपने काम को लौट रहे हैं। जैसा कि कहा गया हैं- “साहित्य समाज का दर्पण होता हैं।” अर्थात अगर हम समाज को उन्नत करना चाहते हैं तो हमें पहले साहित्य को उन्नत करना होगा। 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत की 1.2 अरब आबादी में से 41.03 फीसदी की मातृभाषा हिंदी है । हिन्दी को दूसरी भाषा के तौर पर इस्तेमाल करने वाले अन्य भारतीयों को मिला लिया जाए तो देश के लगभग 75 प्रतिशत लोग हिन्दी बोल सकते हैं। लेकिन आज भी हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा नही हो पायी हैं इसे सिर्फ राजभाषा का ही दर्जा प्राप्त है। संविधान सभा द्वारा 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी भाषा को शासकीय भाषा के तौर पर स्वीकार किया गया,जिसके बाद से ही प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसको मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्व भर में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना और जागरूकता फैलना हैं। हिन्दी सिर्फ हमारी भाषा ही नहीं बल्की हमारी पहचान भी हैं।
         इसे ध्यान में रखते हुए ही ई-वसुंधरा प्रकाशन ने अपने छोटे से छोटे रचनाकारों को समाज और साहित्य में एक विशेष स्थान दिलाने के लिये अथक प्रयास कर रही है। इसी उद्देश्य से ई-वसुंधरा प्रकाशन इस हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में हिन्दी दिवस विशेषांक – “वसुधरा ” नामक पुस्तक का प्रकाशन किया है, जिसमें देश भर के अनके रचनाकारो को स्थान मिला हैं। इस पुस्तक का प्रकाशन – आकाश सिंह ” अभय ” जी (संपादक एंवम संचालक) तथा कुमार रंजन (संस्थापक एंवम सह-संपादक) जी किये।इस पुस्तक मे कुल 42 रचनाकार क्रमशः-गोविंद प्रसाद, राजस्थान,प्रदीप त्रिपाठी उ. प्र.,सीमा गर्ग, मेरठ,प्रेमचंद्र ठाकुर बोकारो,कृष्ण कुमार शर्मा,
अजमेर,भूपेंद्र सिंह,विवेक कामी कलचिनी,पद्ममुख पांडा,सिद्धार्थ गोरखपुरी,कुमार रंजन,पटना,कुन्ना चौधरी,गरिमा विनित भाटिया,हनुमान कुमार,ऋषि रंजन,जय कुमार सिंह,असम,मोना सिंह,गुजरात, अभय प्रताप सिंह,असम,इंजीनियर अतिवीर जैन,डॉ विनय कुमार श्रीवास्तव, मुरारी लाल नत्थानी,संजय बर्मन,प्रज्ञा आंबेरकर,जैनेन्द्र चौहान,असम,रामनाथ साहू,कवि विशाल,उदय झा,राजेश तिवारी,श्याम सिंह बिष्ट,समराज चौहान,असम,अतुल प्रकाश,अंजुली कुमारी,असम,अनामिका सिंह ‘अविरल’,उ. प्र.,शेषमणि शर्मा, रविशंकर मिश्रा,मंजु गुप्ता,कुमारी रितु शर्मा,पंकज जी,धनबाद,रशीद अहमद शेख ‘रशीद’ हरिओम भारतीय,निशा ‘अतुल्य’, ओयेनद्रिला राय,प.बंगाल,कृष्णा कुमार जी शामिल हैं। साथ ही यह पुस्तक Amazon और Playstore आदि जैसे इंटरनेट पटल पर भी उपलब्ध करायी गयी हैं, जिससे सभी रचनाकारों में हर्ष का माहौल बना है। प्रकाशन के संचालक और संस्थापक जी का कहना हैं कि हमारी प्रकाशन आगे भी आने वाले दिनों में निरंतर रचनाकारों के लिये पुस्तकें निकलती रहेंगी जिससे देश भर के छोटे से छोटे रचनाकार को साहित्य और समाज में एक अलग स्थान मिलेगा।

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