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हिन्दी पर प्रहार हिन्दुस्थान की आत्मा पर प्रहार है… आनंद शास्त्री

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मित्रों ! मैं जानता हूँ कि वर्तमान परिदृश्य भारतीय अर्थव्यवस्था, संस्कृति,संघीय धारणाओं,जातिगत आधार पर जनगणना, आरक्षण,धार्मिक व्यवस्था,दलगत राजनीति इत्यादि अनेकानेक संदर्भ में इस कठिन काल में कुछ भ्रमित और कुछ शिव संकल्पित विचारधारा से जूझ रही है ! ये निश्चित है कि हिन्दुस्थान के पुनरुद्धार हेतु हिन्दू को चाहे-अनचाहे बहुत सारे
विचारों को आत्मसात करना पडेगा ! कुछेक अनुत्तरित यक्ष-प्रश्नों को भविष्य की धारा में यूँ ही अनाथों की तरह छोडना होगा,
जब हम पीओके के भारतीय महासंघ में विलय की बात कहेंगे ! जब हम वर्तमान परिवेश में चीन की ओर झुकते मालदीव, नेपाल,श्रीलंका,म्यांमार,बांग्लादेश आदि को चीन द्वारा भ्रमित करते देखेंगे ! जब हमारे सीमावर्ती क्षेत्रों में दुश्मनी की आग फैलाते अलगाववादी और आतंकवादियों के खालिस्तान समर्थित नशीले पदार्थों,गौ,मानव तश्करी एवं नकली मुद्रा के साथ-साथ भयानक हथियारों को आते देखेंगे, सीमावर्ती क्षेत्रों को जलता देखेंगे ! तो हमारे भीतर एक ज्वालामुखी धधक उठता है ! किन्तु फिर भी किंकर्तव्यविमूढ़ सी स्थिति बन जाती है हमारी।
न जाने कितने बलिदान देना शेष है हमारी आगामी पीढियों को अभी ! संसद में जब असंसदीय भाषा का उपयोग होते देखते हैं तो दिग्भ्रमित हो जाते हैं कि ये हमारे सपनों के भारत की संसद है ? किसी ने कोट के ऊपर जनेऊ पहन रखा है और कोई कहता है कि उसकी आत्मा ही जनेऊधारी है ! किन्तु हम भारत के सामान्य नागरिक कौन हैं ? हमारा हितैषी कौन है ? शत्रु कौन है ? पीओके का विलय भारत में करनें के लिये निःसंदेह धर्मनिरपेक्ष होना आवश्यक है ! किन्तु उसपार के वे लोग जैसे ही भारतीय महासंघ के घटक बनेंगे ! जैसे ही उनको भरपेट रोटी मिलेगी वैसे ही वे भरपेट-“बोटी” के लिये हमें शांति से जिंदा रहने देंगे ये यक्ष-प्रश्न है। मित्रों ! बांग्लादेश के लिये हमने जितने बलिदान दिये उसके बदले हमें क्या मिला ? हमारी गौ वंश की हत्या,मादक पदार्थों की खेप,आतंकवादियों की घुसपैठ, और इन सबसे बढ-चढ कर मिला हमें-“हिन्दी हिन्दू और हिन्दुस्थान का अपमान।
यदि दक्षिण भारत के किसी राजनैतिक दल ने हिन्दी की अनिवार्यता समाप्त की होती तो ह्रदय पे चोट लगती ! जरूर लगती ! किन्तु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की क्षत्रछाया में यहाँ असम में बनी भारतीय जनता पार्टी की सरकार में ! और वो भी भारतीय जनता पार्टी के विश्व प्रसिद्ध -“तीन व्यक्तियों”में अर्थात हमारे यशस्वी प्रधानमन्त्री जी,श्रीमहंत आदित्य नाथ योगी जी एवं हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री श्रीमान हेमन्तो बिस्वशर्मा जी ही हैं !
और इनमें हमारे मुख्यमंत्री जी द्वारा हिन्दी पर किये गये वज्रपात से आज समूचा भारत स्तब्ध है।
बेसिक शिक्षा बालकों की रीढ होती है ! जब कक्षा छे से लेकर आठ तक हिन्दी की अनिवार्यता समाप्त कर दी जायेगी तो क्या होगा हिन्दी का भविष्य ? और जिस प्रान्त में हिन्दी का भविष्य कुचल दिया जायेगा वहाँ हिन्दू का भविष्य कैसा होगा ? ये हिन्दुस्थान की आत्मा पर प्रहार है ! और दुर्भाग्य से हमारे हिन्दी भाषी लोगों में इस विषय पर अभीतक जागरण का अभाव है ! मित्रों ! आप ध्यान देना जिस प्रकार कश्मीर घाटी से कश्मीरी पण्डितों को चुन-चुन कर बाहर निकाल दिया गया ! उनकी सम्पत्ति लूट ली गयी ! वे अभी तक जम्मू और दिल्ली की गलियों में अभिशप्त जीवन व्यतीत करने को बाध्य हैं ! और-“कश्मीर फाईल्स” के नाम पर घडियाली आँसू बहाने वाले लोग अभीतक कश्मीरी पंडितों के प्रति सोये हुवे हैं ! जिन लोगों ने मणिपुर के विष्णुप्रिया और मैतेयी लोगों तक पर आरोप लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ! वे लोग कल को आपको बराक उपत्यका में रहने देंगे ?
आज उन्होंने बेसिक शिक्षा में हिन्दी की अनिवार्यता समाप्त की है ! कल वह हिन्दी शिक्षकों की नियुक्ति समाप्त कर देंगे ! बच्चों और शिक्षकों का कहीं समायोजन कर देंगे ! तदोपरान्त वे हिन्दी में प्रसारित होते कार्यक्रमों, समाचार पत्रों पर प्रतिबंध लगाने के उपरान्त सम्पूर्णतया ये घोषणा करेंगे कि-“हिन्दी भाषी असम छोड़ दें” हमारे बच्चों को आजीविका नहीं मिलेगी ! चायबागान उद्योग अपने सर्वाधिक बुरे समय से गुजर रहा है ! चायबागान धीरे-धीरे बंद होते जा रहे हैं ! बागानों की जमीन पर भाषायी भाई होने का लाभ लेकर बंगलादेशी घुसपैठियों ने अपना अधिकार पहले से कईयों गुना अधिक बढा दिया है।
मित्रों ! मै अपने बांग्ला भाषी भाईयों से हांथ जोड कर आग्रह करता हूँ कि आप-“हिन्दी” पर हो रहे अत्याचार की निंदा करो !
अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों के बाद यदि हिन्दी विरोधी सरकार आयेगी तो वो निश्चित रूप से हिन्दु और हिन्दुस्थान विरोधी भी होगी। हमारे पथ पाथेय दिलीप और सीमा कुमार के आग्रह को नकारते हुवे हमारे बहुत से भाईयों ने जनगणना के अवसर पर गंभीरतापूर्वक अपनी भाषा-“हिन्दी” पंजीकृत नहीं करायी ! और ही ही लोकसभा एवं विधानसभा क्षेत्रों के नवीन सीमांकन का हमने विरोध किया ! मित्रों ! बराक उपत्यका आज अपनी बेबसी पर रो रही है ! जिस प्रकार मुम्बई को भव्य महानगरी बनाने वाले शिल्पी आज भी शिवसेना,मनसे, एवं महाराष्ट्रवादी बीजेपी के लिये-“भईया” अर्थात बेवकूफ माने और पुकारे जाते हैं ! जिस प्रकार कोरोना काल में उनको हजारों हजार कीमी की पैदल यात्रा कर पलायन करना पडा बिलकुल उसी प्रकार हम अर्थात-“कुली” लोगों को भी यही हमारे ही मतदान से सत्ता में आयी सरकार हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करेगी जैसा कभी कश्मीरी पंडितों के साथ हुवा था….… आनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्कांक 6901375971″

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