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।। एक जुट।। -नरेश बारेठा

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।। एक जुट।।

एक जुट एक मंच
          मिलकर हमे बनाना है
  आपसी मतभेद भूल कर
             सबको हाथ बढाना है।।
हैं बिखरे हुवे बादल
        जो बिन बारिश घूम रहे हैं
बादल जब जुड़ जाय तो,
          गरज कर बरसता है।।
छोटे छोटे संगठनों से,
         भला हम क्या कर पायेगें
हो जायेंगे एक जब जुट,
         सरकार भी हमसे डर जायेगें
एकजुटता दिखाने को,
         हमे एक संगठन बनाना है।।
हिन्दी भाषी हो या चाय जनगोष्ठी
        आपसी मतभेद भुलाना होगा
जनगणना में सब मिलकर,
         केवल हिन्दी ही लिखाना होगा,
इस बार के जनगणना में,
           हमारा अस्तित्व बचाना है।।
तीन जिलों के भाई बहनों को,
            एक जुट बन जाना है।।
               ****** नरेश बारेठा

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