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शिवकुमार शिलचर, 3 दिसंबर: आज शिलचर पंचायत रोड स्थित डिजायर फॉर लाइफ के ऑफिस में संस्था की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष गीता पांडेय ने प्रेस मीट कर कहा कि एक न्यूज चैनल बिना किसी तथ्य और प्रमाण के उनके खिलाफ लगातार भ्रामक खबरें प्रसारित कर रहा है। गीता पांडेय ने बताया कि बबली दास द्वारा लगाए गए ₹1,20,000 और ₹1,60,000 के भुगतान संबंधी आरोप पूरी तरह झूठे हैं। उन्होंने कहा कि जब बबली दास पहली बार संस्था के पास पहुंचीं, तब उनके पास किराए और दवाई तक के लिए पैसे नहीं थे। उस समय संस्था की ओर से कई बार आर्थिक मदद की गई, कपड़े और स्वेटर तक दिए गए। इसके बाद वे कई महीने तक संस्था के साथ सक्रिय रहीं और कार्यक्रमों में शामिल होती रहीं। अध्यक्ष ने कहा कि संस्था से निकाले गए एक पूर्व सदस्य सुमित्रा साहनी पर पहले भी आर्थिक अनियमितता के आरोप लगे थे। शिकायतें मिलने पर उसे संस्था से बाहर किया गया था। अब वही लोग मिलकर झूठे आरोपों को हवा दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि चैनल ने एक ही मामले में कभी ₹1,60,000, कभी ₹1,00,000, कभी ₹20,000 या ₹15,000 जैसी अलग-अलग रकम बताकर लोगों को भ्रमित किया। यदि किसी ने पैसा दिया होता तो उसके पास कोई रसीद, बैंक ट्रांजैक्शन या लिखित प्रमाण होना चाहिए, जबकि उनके पास ऐसा कोई सबूत नहीं है। गीता पांडेय ने यह भी कहा कि चैनल ने उनकी लाइव वीडियो और प्रोफाइल से स्क्रीनशॉट बिना अनुमति इस्तेमाल किए, जो पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि यदि उनका स्पष्टीकरण या माफीनामा वीडियो भी था, तो चैनल ने उसे क्यों नहीं दिखाया।
प्रेस मीट के दौरान गीता पांडेय ने सबसे गंभीर मुद्दा सोशल मीडिया पर आए जातिसूचक और क्षेत्रीय कमेंट बताए। “बिहारी भगाओ” और “बिहारी बेटी” जैसे आपत्तिजनक शब्दों पर उन्होंने कहा कि यह सिर्फ किसी महिला पर नहीं, बल्कि पूरे समाज के उपर हमला है। उन्होंने कहा कि ऐसे कमेंट समुदायों के बीच अविश्वास पैदा करते हैं, आपसी संबंध कमजोर करते हैं और नौजवानों के मन में नकारात्मक सोच भर देते हैं। काछार और बराक घाटी हमेशा से बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक समाज रहा है, जहाँ बंगाली, हिंदीभाषी, मणिपुरी, मुस्लिम और कई समुदाय साथ रहते हैं। जातिसूचक हमले इस सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाते हैं। गीता पांडेय ने कहा कि किसी महिला को “बिहारी भगाओ” कहना बेहद शर्मनाक है। इससे महिलाओं में असुरक्षा की भावना पैदा होती है और यह समाज में गलत संदेश देता है कि बाहर से आए व्यक्ति को अपमानित करना ठीक है। उन्होंने कहा कि वे खुद यहीं की चाय बागान क्षेत्र से हैं, इसलिए ऐसे कमेंट पूरी तरह अन्यायपूर्ण और अनुचित हैं।
प्रेस मीट में गीता पांडेय ने कहा कि जातिसूचक और क्षेत्रीय कमेंट करने वाले लोग केवल किसी व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे समाज का नुकसान करते हैं। उन्होंने कहा कि यह मानसिकता आज के समय में बेहद खतरनाक है, क्योंकि दुनिया आगे बढ़ रही है और महिलाएं अंतरिक्ष तक पहुंच रही हैं, लेकिन कुछ लोग अभी भी पुराने और संकुचित विचारों में फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ जाति या क्षेत्र के आधार पर टिप्पणी करना न सिर्फ उनकी गरिमा को ठेस पहुँचाता है, बल्कि समाज में गलत माहौल भी पैदा करता है। इससे युवाओं को गलत संदेश मिलता है कि किसी को उसकी जाति या स्थायी पता के आधार पर अपमानित करना ठीक है। ऐसे लोग समाज को पीछे धकेलते हैं और विभिन्न समुदायों के बीच नफरत फैलाते हैं। गीता पांडेय ने कहा कि असम जैसे बहुसांस्कृतिक क्षेत्र में ऐसी सोच और भी ज्यादा हानिकारक है। यहाँ सभी समुदाय साथ रहते आए हैं। अगर कुछ लोग जातिवाद को हवा देते हैं तो यह सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने जैसा है। उन्होंने इसे समाज के लिए घातक मानसिकता बताया और कहा कि प्रशासन को ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि जातिसूचक व्यवहार को रोका जा सके। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि ऐसे भड़काऊ और विभाजनकारी टिप्पणी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि समाज में नफरत फैलाने की कोशिश को रोका जा सके। गीता पांडेय ने कहा कि यदि आरोप लगाने वाले कोई भी प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाते, तो संस्था मानहानि का मामला दायर करेगी। साथ ही यह भी जांच की मांग की जाएगी कि चैनल और उससे जुड़े संगठन कानूनी रूप से पंजीकृत हैं या नहीं।





















