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काठीघोङा विधानसभा क्षेत्र में पेयजल की किल्लत महिलाओं ने किया विरोध प्रदर्शन

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काठीघोङा समष्टि के गड़ेरभितर जीपी के बिहारा बाज़ार क्षेत्र के हजारों लोग पिछले दो वर्षों से शुद्ध पेयजल से वंचित हैं। महिलाओं ने 15 दिनों की समयसीमा तय करके ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया।
जल जीवन मिशन परियोजना के नाम पर करोड़ों रुपये आवंटित किए गए, लेकिन वास्तविकता में लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिला। PHE शिलचर डिवीजन वन के तहत कछार जिले के कठिगड़ा समष्टि के गड़ेरभितर गांव पंचायत क्षेत्र के बिहारा पार्ट वन और पार्ट टू पेयजल परियोजना के पुनर्निर्माण के लिए लगभग एक करोड़ तेरह लाख रुपये आवंटित किए गए थे।
लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि कागजों में परियोजना का कार्य पूरा कर नियमित जल आपूर्ति दिखाया गया, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है। इस परियोजना के तहत आने वाले बिहारा बाज़ार क्षेत्र के हजारों लोग पिछले दो वर्षों से शुद्ध पेयजल से वंचित हैं।
शुद्ध पेयजल की समस्या के बारे में बार-बार शिकायत करने के बावजूद विभागीय अधिकारियों ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। मजबूर होकर आज गांव की सैकड़ों महिलाएं बिहारा पार्ट वन और पार्ट टू पेयजल परियोजना के सामने इकट्ठा होकर शुद्ध पेयजल की मांग को लेकर ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया।
ग्रामीणों ने मीडिया के सामने आरोप लगाया कि बिहारा पार्ट वन और पार्ट टू पेयजल परियोजना के पुनर्निर्माण कार्य में भयानक भ्रष्टाचार हुआ है। इस परियोजना के पुनर्निर्माण के लिए लगभग एक करोड़ तेरह लाख रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन नए पाइप न लगाकर पुरानी टूटी पाइपलाइन में जोड़-तोड़ करके परियोजना का कार्य किया गया। जहां नए पाइपलाइन बिछाई गई है, उसकी गहराई भी बहुत कम है। इसके अलावा पुराने काम पर केवल रंग लगाकर सजाया गया है।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर घर नल, हर घर जल की बात करते हैं, लेकिन वास्तविकता में कई ग्रामीणों से दस्तावेज़ एकत्र करने के बावजूद आज तक उनके घरों में जल हाइड्रेंट नहीं लगाया गया। ग्रामीणों ने मीडिया के सामने शिकायत की कि जल जीवन मिशन की इस बड़ी परियोजना के बावजूद, शुद्ध पेयजल की कमी के कारण वे पिछले दो वर्षों से पीने के पानी के लिए भारी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
इस क्षेत्र के लोगों के लिए पीने के पानी का एकमात्र सहारा रेल लाइन के पार स्थित एक निजी स्लीपर फैक्ट्री है। ग्रामीण महिलाएं हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर रेल लाइन पार करके उस स्लीपर फैक्ट्री से पीने का पानी लाती हैं। कुछ महिलाएं बहुत मुश्किल से रेलवे स्टेशन से भी पानी लाकर अपना गुजारा करती हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार और इस परियोजना के प्रभारी कर्मचारी असित देव की घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण वे लंबे समय से शुद्ध पेयजल से वंचित हैं। बिहारा पार्ट वन और पार्ट टू पेयजल परियोजना के पुनर्निर्माण कार्य में हुए भ्रष्टाचार में असित देव सीधे तौर पर शामिल हैं। जिसके परिणामस्वरूप, कागजों में इस परियोजना को चालू दिखाकर पैसा हड़प लिया गया, लेकिन वास्तविकता में पिछले दो वर्षों से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हुआ।
सब कुछ जानते हुए भी अज्ञात कारणों से स्थानीय एक प्रसिद्ध क्लब और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने इस जल परियोजना को चालू करने के मामले में चुप्पी साधी हुई है। मजबूर होकर आज क्षेत्र की सैकड़ों महिलाएं परियोजना के सामने इकट्ठा हुईं और शुद्ध पेयजल की मांग करते हुए 15 दिनों की समयसीमा तय कर ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया।
ग्रामीणों ने जल्द से जल्द शुद्ध पेयजल आपूर्ति की मांग करते हुए कछार के जिलाधिकारी रोहन कुमार झा और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से हस्तक्षेप की अपील की है।

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