गुवाहाटी, 20 मई। काशी से कामाख्या तक की तिब्बत मुक्ति यात्रा सोमवार को गुवाहाटी पहुंच गई।भारत-तिब्बत सहयोग संघ के प्रांत सचिव डॉ. अंजनी कुमार मिश्र के नेतृत्व में 15 मई को काशी से प्रारंभ हुई थी।
भारत-तिब्बत सहयोग संघ की ओर से संचालित यह यात्रा आरा, मुजफ्फरपुर, सिलीगुड़ी होते हुए कामाख्या में संपन्न हुई। समापन के अवसर पर डॉ. मिश्र ने कहा कि भारत की सुरक्षा के लिए तिब्बत की आज़ादी जरूरी है। भारत और चीन के बीच तिब्बत एक बफर स्टेट के रूप में काम करता था, जिसके परिणाम स्वरूप भारत को अपनी सीमा सुरक्षा के लिए एक पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ता था। दूसरी ओर भारत से चीन की सीमा मिल जाने के बाद भारत को काफी पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
यात्रा में राजस्थान से आये विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी रामानंद पाठक ने कहा कि तिब्बत पर चीन का कब्जा हो जाने के बाद से भारतवासियों को अपने ही आराध्य का दर्शन करने के लिए कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए बीजा और पासपोर्ट की आवश्यकता पड़ रही है। अतः किसी भी कीमत पर तिब्बत की मुक्ति जरूरी है, ताकि हम बिना किसी अवरोध के कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर सके।
यात्रा में काशी से आये प्रतिनिधि मंडल के सदस्य डॉ. प्रतिमा मिश्रा, सूरुचि प्रिया एवं कृष्ण प्रिया ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए। इस पांच दिवसीय यात्रा के दौरान यात्रा का भव्य स्वागत किया गया।