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क्रांतिवीर में नाना पाटकर ने कैसे किया अभिनय?

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“नाना से कहा गया कि तुम्हारा एक भी नया कपड़ा नहीं बनाया जाएगा। तुम अपने पुराने कपड़े हमें लाकर दो। उन्हीं को हम रेडी करेंगे। और चूंकि तुम्हारा किरदार खटिया पर सोता है तो कपड़ों पर प्रैस भी नहीं होगी।” ये बात मेहुल कुमार ने नाना पाटेकर से उस समय कही थी जब वो नाना को क्रांतिवीर की कहानी सुनाने जा रहे थे। हालांकि मेहुल जी को डर था कि कहीं नाना इन्कार ना कर दें। लेकिन नाना ने इन्कार नहीं किया। बल्कि पूरी दिलचस्पी वो उस किरदार में ले रहे थे। कपड़े तो छोड़िए, फिल्म में क्रांतिवीर में आपने नाना को जिन चप्पलों में देखा था वो भी उनके खुद के थे। फिल्म जब रिलीज़ होकर सफल हो गई तो डायरेक्टर मेहुल कुमार ने नाना को कई जोड़े नए कपड़े बनाकर दिए। मेहुल कुमार ने स्वंय ये बात एक इंटरव्यू में बताई।
साथियों आज क्रांतिवीर को रिलीज़ हुए 30 साल पूरे हो गए हैं। 22 जुलाई 1994 को क्रांतिवीर रिलीज़ हुई थी। बड़ी शानदार फिल्म है। आज भी कोई क्लिप इंटरनेट पर देखने को मिल जाती है तो लोग वो पूरी क्लिप देखना पसंद करते हैं। चलिए साथियों, इस फिल्म से जुड़ी कुछ रोचक कहानियां जानते हैं।
क्रांतिवीर उस साल की तीसरी सबसे सफल फिल्म थी। तीन करोड़ रुपए के बजट में बनी क्रांतिवीर ने 20 करोड़ 67 लाख रुपए की बंपर कमाई की थी। उस साल पहले नंबर पर सलमान खान की हम आपके हैं कौन रही थी। दूसरे नंबर पर थी अक्षय और सुनील शेट्टी की मोहरा। कहीं-कहीं क्रांतिवीर को 1994 की दूसरी सबसे सफल फिल्म बताया जाता। है। लेकिन वो गलत है। क्रांतिवीर तीसरे नंबर पर रही थी। चौथे नंबर गोविंदा की राजा बाबू थी।
मेहुल कुमार का उन दिनों कुछ ऐसा जलवा था कि डिस्ट्रीब्यूटर्स को जैसे ही पता चलता था कि मेहुल कुमार कोई फिल्म शुरू करने जा रहे हैं, वो पैसा लेकर उनके पास पहुंच जाते थे। जिस दिन क्रांतिवीर का मुहुर्त था उस दिन भी मेहुल कुमार के सभी डिस्ट्रीब्यूटर्स आए थे। किसी को कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन राजस्थान और मध्य प्रदेश के डिस्ट्रीब्यूटर्स को फिल्म में नाना पाटेकर के हीरो होने पर आपत्ति थी। उन्होंने मेहुल कुमार से कहा कि आपने तिरंगा में नाना को लिया था और वो फिल्म चल भी गई थी। क्योंकि उसमें राज कुमार थे। लेकिन इस फिल्म में कोई सिर्फ नाना को क्यों देखने आएगा? आपने तो कोई बड़ा स्टार भी नहीं लिया है फिल्म में। मेहुल कुमार ने उन डिस्ट्रीब्यूटर्स से कहा कि नाना पाटेकर ही उस कैरेक्टर में फिट बैठते हैं। कोई और नहीं। मेहुल कुमार ने उन डिस्ट्रीब्यूटर्स से ये भी कहा कि आप पैसा मत दीजिए। जिस दिन फिल्म कंप्लीट हो जाएगी उस दिन फिल्म देखकर पैसा दीजिएगा। ये था नाना पाटेकर के टैलेंट पर मेहुल कुमार का भरोसा।
मेहुल कुमार ने जब डिंपल कपाडिया को उनका कैरेक्टर नैरेट किया था तब डिंपल जी काफी कन्फ्यूज़ हो गई थी। क्योंकि वो एकदम नॉन ग्लैमरस कैरेक्टर था। जबकी डिंपल जी को लगा था कि उन्हें कोई ऐसा कैरेक्टर ऑफर होगा जो फुल ऑफ ग्लैमर हो। उन्होंने अपने संकोच का ज़िक्र जब मेहुल कुमार से किया तो मेहुल जी ने उन्हें समझाया कि आप एक पोटेंशियल एक्ट्रेस हो। इसलिए इस तरह के किरदार भी आप निभा सकती हो। और लोग आपको ऐसे किरदारों में भी पसंद करेंगे। डिंपल जी को मेहुल भाई की बात समझ में आई और उन्होंने क्रांतिवीर साइन कर ली। और कमाल देखिए, आज भी कई लोग डिंपल जी को क्रांतिवीर की कलम वाली बाई कहते हैं।
क्रांतिवीर के कई आइकॉनिक सीन्स में से एक था वो वाला सीन जिसमें नाना पाटेकर अपनी और उल्लास की उंगली पत्थर से फोड़कर, और फिर दोनों का खून मिलाकर उससे पूछते हैं कि बता इसमें कौन सा खून हिंदू का है और कौन सा मुसलमान का है। ये सीन जब चांदिवली स्टूडियो में पिक्चराइज़ किया जा रहा था उस वक्त लगभग 500 जूनियर आर्टिस्ट बुलाए गए थे। एक इंटरव्यू में मेहुल कुमार जी ने उस सीन को याद करते हुए बताया था कि जब नाना पाटेकर को ये सीन सुनाया गया था तो वो बहुत खुश हुए थे। उन्हें वो सीन काफी पसंद आया था। जिस दिन चांदिवली स्टूडियो में सीन फिल्माया जा रहा था उस दिन अच्छी-खासी भीड़ वहां थी। लेकिन ये सीन शूट करते वक्त हर कोई शांत था। सब चुपचाप इस सीन को शूट करते नाना पाटेकर को देख रहे थे। जबकी आमतौर पर होता ये है कि जब इतनी बड़ी तादाद में जूनियर आर्टिस्ट आते हैं तो वो चुप नहीं होते। वो आपस में कुछ ना कुछ बात करते रहते हैं। मगर उस सीन की इंटेंसिटी इतनी ज़्यादा थी कि कोई भी कुछ बोल ना सका। वो सीन कंप्लीट होने के बाद मेहुल जी ने नाना पाटेकर से कहा कि नाना, ये सीन तो हिट हो गया। नाना ने हैरान होते हुए पूछा, कैसे? मेहुल जी ने जवाब दिया कि जब तुम सीन शूट कर रहे थे तब एक भी जूनियर आर्टिस्ट बात नहीं कर रहा था। सब पूरे ध्यान से तुम्हें देख रहे थे। अब तुम खुद सोच लो कि थिएटर में लोग इस सीन को कैसे देखेंगे। मेहुल भाई की वो बात सच भी साबित हुई। वो सीन वाकई में क्रांतिवीर के बेस्ट सीन्स में से एक बन गया।
क्रांतिवीर के बारे में उस वक्त मुंबई में ये अफवाह उड़ गई थी कि इस फिल्म में बाला साहेब ठाकरे जी की बुराई की गई है। बाला साहेब के समर्थक इस बात से काफी नाराज़ थे और भड़के हुए थे। एक दिन मेहुल कुमार को बाला साहेब के ऑफिस से फोन आया और उनसे इस मामले में बात की गई। मेहुल कुमार और बाला साहेब एक-दूजे को पहले से जानते थे। दोनों की अच्छी जान-पहचान थी। बाला साहेब ने मेहुल से पूछा कि उनके बारे में कुछ निगेटिव दिखाया गया है क्या? तो मेहुल जी ने उन्हें जवाब दिया कि बाला साहेब, आपके बारे में कोई गलत बोल सकता है क्या? आप चाहें तो फिल्म देख सकते हैं। बाला साहेब ने मेहुल से अपने लिए एक ट्रायल शो रखने को कहा। और फाइनली जब बाला साहेब ने पूरी फिल्म देखी तो उन्होंने मेहुल जी से कहा कि इसमें तो कुछ भी गलत नहीं है। बल्कि इसमें तो सच्चाई दिखाई गई है।
दिलीप कुमार ने भी क्रांतिवीर फिल्म देखी थी। उन्होंने सुनील दत्त साहब के अजंता थिएटर में हुए प्रीमियर में क्रांतिवीर देखी थी। फिल्म खत्म होने के बाद दिलीप साहब थिएटर से बाहर निकले और अंजता पिक्चर्स के ऑफिस में मौजूद नर्गिस जी की एक बड़ी सी तस्वीर के सामने जाकर बैठ गए। मेहुल कुमार दिलीप साहब को ही देख रहे थे। वो जानना चाहते थे कि दिलीप साहब इस फिल्म पर क्या रिएक्शन देंगे। दिलीप साहब की नज़र जब मेहुल कुमार पर पड़ी तो उन्होंने इशारे से मेहुल जी को अपने पास बुलाया। मेहुल जब उनके पास पहुंचे तो उन्होंने मेहुल को अपने बराबर में बैठाया और बोले,”तुमने ऐसी फिल्म बनाई है कि उसका हैंगओवर हो गया है मुझे।” फिर दिलीप साहब ने नर्गिस जी की तस्वीर की तरफ इशारा करते हुए मेहुल जी से कहा,”मदर इंडिया का ट्रायल देखने के बाद मैंने नर्गिस से कहा था कि तू अब कुछ भी कर ले। मदर इंडिया का लेबल तेरे साथ हमेशा रहेगा। नाना को बोल देना कि अब वो चाहे जो कर ले। क्रांतिवीर का लेबल उसके साथ रहेगा। बहुत अच्छी फिल्म बनी है।” मेहुल कुमार ने नाना पाटेकर को भी बताया कि दिलीप साहब ने उनके बारे में क्या कहा है। वो सुनकर नाना को भी बहुत खुशी मिली थी।
क्रांतिवीर का सबसे आखिरी वाला सीन इसकी जान माना जाता है। हालांकि ये सीन फिल्माने से पहले मेहुल कुमार बहुत चुनौतियों में घिर गए थे। हुआ कुछ यूं था कि मेहुल जी ने फिल्म सिटी में इस सीन की शूटिंग के लिए जगह बुक कर ली थी। 800-900 जूनियर आर्टिस्ट भी हायर कर लिए गए थे। लेकिन शूटिंग जिस दिन होनी थी उससे कुछ दिन पहले ही नाना पाटेकर की तबियत खराब हो गई। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ गया था। मेहुल कुमार नाना पाटेकर से मिलने अस्पताल पहुंचे। उन्होंने नाना से कहा कि नाना, हम शूटिंग कैंसिल कर देते हैं। जब तुम ठीक हो जाएगे तब शूटिंग कर लेंगे। नाना ने मेहुल से कहा कि तुम्हारी फिल्म तो कंप्लीट है। बस वही सीन रह गया है। क्या देरी करनी। मैं छुट्टी लेता हूं अस्पताल से। हम उसी दिन शूटिंग करेंगे।शूटिंग वाले दिन मेहुल ने नाना पाटेकर को सीन की थीम समझाई और कहा कि जो तुम्हें समझ में आए तुम वही डायलॉग बोल देना। नाना ने एक घंटा तक प्रैक्टिस की और जब शूटिंग का दिन आया तो नाना पाटेकर ने वो पूरा डायलॉग एक ही टेक में बोल दिया। मेहुल कुमार ने चार कैमरों के ज़रिए वो पूरा सीन शूट किया था। मेहुल कुमार कहते हैं कि आज कोई यकीन नहीं करेगा कि उन्होंने एक ही टेक में वो सीन रिकॉर्ड किया था। नाना पाटेकर की ज़बरदस्त अदाकारी के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था।
साभार फेसबुक

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