अनोखा है भारत देश हमारा,
है सच्चे इंसानों का ढेर यहां,
भरे पड़े हैं देश समस्त,
खेत खलिहानों से जगमगाया सारा,
है जगह-जगह पहाड़ यहां,
मैदान यहां।
पठारो और रेगिस्तान का ढेर यहां,
गर्मी और बौछारों के सदाबहार यहां,
मौसम को देख बदलते,
रंग बिरंगे फूलों का त्यौहार यहां,
होड़ लगी पड़ी अच्छी इंसानों की ढेर यहां।
है देश हमारा राम के विचारों से परिपूर्ण,
कृष्ण की पावन जन्म भूमि यहां,
संतों की पावन कर्मभूमि से जुड़े हम,
बुनियाद जोड़ी तुलसी की दोहो से,
है कबीर की गाथाओं में हम भीगे,
हवाओ में लहरे देशभक्त की खुशबू,
गा रही गाथाएं कुर्बानी लहु की,
हे समर्थ हम दे दे सलामी राष्ट्रध्वज की।
है भिन्न-भिन्न जाति यहां,
भाषाओं का भरमार वहां,
जब आए विपत्ति हो जाए एक जग सारा,
विजय हो जाए एकमात्र उद्देश्य हमारा,मुश्किलों में निखरते कुछ इस तरह हम,
हो जाए सब आप से आप महान।
हमी से यह हमारा देश बना महान,
माना स्वेद हो श्रमिकों का,
किसानों की हो मेहनत,
करें याद हम वीर जवानों को,
आज खड़े हम मनाने,
देश की 75 वीं वर्षगांठ
मुबारक हो ये दिन नया साल हमारा।।
जय हिंद, जय भारत।।
डोली शाह