बराक घाटी के प्रतिष्ठित साहित्यकार आशुतोष दास असम सरकार के साहित्यिक सम्मान से होंगे अलंकृत
प्रेरणा संवाद, हाइलाकांदी, 6 दिसंबर:
असम सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी नवीनतम सूची में हाइलाकांदी जिले के प्रख्यात साहित्यकार आशुतोष दास को प्रतिष्ठित लिटरेरी अवॉर्ड के लिए चयनित किया गया है। सरकार की इस सूची में कुल 18 नाम शामिल हैं। उल्लेखनीय रूप से श्रीभूमि के सुभाष चंद्र सिन्हा भी इस सूची में स्थान पाए हैं, जबकि कछार जिले से इस वर्ष किसी साहित्यकार का नाम नहीं है। पूरे असम से केवल 10 व्यक्तियों को साहित्यिक पेंशन के लिए चुना गया है, जिनमें बराक घाटी के प्रतिनिधि के रूप में केवल आशुतोष दास का नाम शामिल है। सम्मान के रूप में उन्हें ₹50,000 की मासिक पेंशन प्रदान की जाएगी।
पचास वर्षों की रचनात्मक यात्रा
बराक घाटी की साहित्यिक परंपरा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने वाले आशुतोष दास पिछले पचास वर्षों से बंगला भाषा में लेखन कर रहे हैं। वे एक प्रतिष्ठित कवि, कथा–लेखक, नाटककार और शोध–लेखक के रूप में व्यापक रूप से सम्मानित हैं। प्रेम को केंद्र में रखकर लिखी गई उनकी रचनाएँ हिंसा, संघर्ष और उपभोक्तावाद की अंधेरी पृष्ठभूमि में भी मानवीय संवेदनाओं और उम्मीद की रोशनी जगाती हैं।
शिक्षक से लेकर वैश्विक पहचान तक
हाइलाकांदी में जन्मे अशुतोष दास पेशे से विद्यालय के प्रधानाचार्य रहे। सेवानिवृत्ति के बाद वे पूर्णतः साहित्यिक और सामाजिक गतिविधियों में संलग्न हैं। उनकी कविताओं को देश–विदेश के वाचिक कलाकार प्रस्तुत करते हैं और वे भारतीय प्रवासी समुदाय में भी बेहद लोकप्रिय हैं।
18 से अधिक पुस्तकों के रचयिता
अब तक उनकी 18 से अधिक कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें कविता–संग्रह, उपन्यास, नाटक और शोध–उपन्यास शामिल हैं। उनकी चर्चित रचनाओं में जलेस्थले भालोबासा, मेघे ओढ़े भालोबाशार उत्तरिया, आज आमादेर उत्सव तथा ऐतिहासिक उपन्यास मालिनी बीलर आख्यान प्रमुख हैं।
उनकी कई कहानियों पर पुरस्कार-विजेता निर्देशकों ने टेलीफ़िल्में बनाई हैं। उन्होंने रेडियो–नाटक, डॉक्यूड्रामा से लेकर दूरदर्शन के लिए भी अनेक पटकथाएँ लिखी हैं।
बराक की संस्कृति और भाषा–आंदोलन के शोधकर्ता
बराक घाटी की बंगाली संस्कृति और 1961 के भाषा आंदोलन पर उनका शोधकार्य अत्यंत महत्व का माना जाता है। वे पिछले पाँच दशकों से प्रतिष्ठित लघु पत्रिका “बेलाभूमि” का संपादन कर रहे हैं, जो क्षेत्र की साहित्यिक चेतना का प्रमुख केंद्र है।
राष्ट्रीय–अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित
साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उनके गहन योगदान को देखते हुए देश–विदेश की अनेक संस्थाओं ने उन्हें समय–समय पर सम्मानित किया है। उनकी रचनाएँ कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संकलनों में शामिल की जा चुकी हैं।
बराक घाटी के लिए यह सम्मान न केवल गर्व का विषय है, बल्कि क्षेत्रीय साहित्यिक परंपरा को नई दिशा देने वाला क्षण भी है।





















