गुवाहाटी, 28 जनवरी । म्यांमार में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन उल्फा-स्वा के कैंप में कोई भी जासूस भेजने से इनकार किया है। असम पुलिस ने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने मानस बरगोहाईं नामक किसी व्यक्ति को उल्फा-स्वा के शिविर में नहीं भेजा। पुलिस ने कहा कि विभाग ने 2021 में मानस बरगोहाईं नामक किसी व्यक्ति को पुलिस की विशेष शाखा में भर्ती भी नहीं किया। असम पुलिस का यह बयान उल्फा-स्वा द्वारा आज जासूसी के संदेह वाले अपने एक कैडर का बयान वाला वीडियो जारी करने के जवाब में आया है।
ज्ञात हो कि यूट्यूब पर साझा किए गए एक वीडियो में उल्फा-स्वा नेताओं को संगठन के संविधान का ‘उल्लंघन’ करने के लिए मानस बरगोहाईं उर्फ मुकुट असम की गिरफ्तारी की घोषणा करते हुए दिखाया गया है।
अपनी गिरफ्तारी के बाद, मुकुट असम ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से आरोप लगाया कि उसे असम पुलिस के अधिकारियों ने उल्फा-स्वा की जासूसी करने के लिए भेजा था। उन्होंने 2021 से असम पुलिस की विशेष शाखा के साथ अपने काम और उल्फा-स्वा की गतिविधियों पर नजर रखने के मिशन में लगाने का आरोप लगाया।
कथित जासूस ने वीडियो में कहा कि उसे मानव चालिहा और दिगंबर पांडे द्वारा मिशन का हिस्सा बनाया गया था, जबकि उसे जीपी सिंह, पार्थ सारथी महंत और भास्करज्योति महंत द्वारा मिशन के लिए निर्देशित किया गया था। 2021 में भास्कर ज्योति महंत डीजीपी थे। उसने यह भी आरोप लगाया कि प्रलोभन देकर अन्य युवा पुरुषों और महिलाओं को भी मिशन के लिए भर्ती किया गया।
मुकुट असम ने कहा कि उसे मिशन के लिए गुवाहाटी के काहिलीपारा में प्रशिक्षण दिया गया। उसका प्राथमिक प्रशिक्षण बायोमेट्रिक्स पर दिया गया था, यानी किसी भी वातावरण और स्थिति में उल्फा-स्वा द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सिस्टम को कैसे नष्ट किया जाए।
मुकुट असम ने मिशन के लिए प्राप्त प्रशिक्षण और उन कार्यों का भी खुलासा किया जिन्हें करने के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया गया था, जिसमें उल्फा-स्वा के सिस्टम को नष्ट करना और उन्हें अन्य देशों के सामने नकारात्मक रूप से पेश करना शामिल था। उसने बताया कि वह खुद सहित आठ लोगों की टीम का हिस्सा था, जो इस मिशन पर थे। असम पुलिस ने इन आरोपों पर त्वरित संज्ञान लेते हुए साफ शब्दों में इनकार कर दिया है।