रूपक हेल्थ हब का 34वाँ वर्षगाँठ उत्सव
कल, 16 नवंबर 2025 को शिलचर आश्रम रोड स्थित रूपक हेल्थ हब द्वारा आयोजित 34वाँ वार्षिक दिवस अत्यंत गरिमा एवं उत्साह के साथ मनाया गया। रूपक हेल्थ हब मूलतः विन चุง कुंग-फू मार्शल आर्ट प्रशिक्षण केंद्र है। प्रशिक्षक शिफु रूपक दास के एकल प्रयास का ही परिणाम है यह प्रशिक्षण केंद्र। विभिन्न अनुभवों, निरंतर प्रयासों तथा अनेक उतार–चढ़ावों को पार करते हुए आज यह संस्था 34 वर्ष में प्रवेश कर गई।
शाम 6:30 बजे आमंत्रित विशिष्ट अतिथिगण एवं केंद्र के नन्हे विद्यार्थियों के संयुक्त प्रयास से विन चुँग के महागुरु इप मैन की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन के माध्यम से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे—संस्था के उपदेशक एवं अभिभावक, गुरूचरन विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर श्री सुदीप पाल; उपदेशक तथा वरिष्ठ व्यवसायी श्री शिवाजी भट्टाचार्य; तथा उपदेशक श्री तन्मय चक्रवर्ती। इसके अलावा भारी संख्या में विद्यार्थियों के सम्मानित अभिभावक भी उपस्थित थे।
उद्घाटन भाषण में श्री तन्मय चक्रवर्ती ने विन चुँग कुंग-फू की विभिन्न आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला। साथ ही श्री शिवाजी भट्टाचार्य एवं श्री रत्नदीप गुप्ता ने विंग चून कुंग-फू के आत्मरक्षा कौशल, अनुशासन, एकाग्रता तथा मानसिक दृढ़ता पर विस्तृत चर्चा करते हुए अपने अनेक अनुभव भी साझा किए। शिफु रूपक दास ने उपस्थित सभी लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि विन चुँग कुंग-फू सिर्फ आत्मरक्षा का तरीका नहीं, बल्कि आत्म-नियंत्रण और स्वस्थ रहने का एक श्रेष्ठ उपाय है। यह योग, ध्यान और एकाग्रता का समन्वय है। संस्था के पूर्व छात्र एवं ब्लैक-बेल्ट धारक श्री विपुल दास ने शिफु रूपक दास के साथ मिलकर विन चुँग कुंग-फू की विभिन्न कलाओं का प्रदर्शन किया।
नियमित अभ्यास, मेहनत और दक्षता के आधार पर Wing Chun Kung Fu Skill Award प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के नाम हैं—एडवोकेट रत्नदीप गुप्ता, मेकनियल सिन्हा, मेघराज दास, श्रेयशी पाल, श्रेयांश नाथ, दिव्याक्शी नाथ, स्वस्तिका कर्मकार, श्रेयशी नाथ, प्रिशा सिन्हा और उदयन पाल। सृजना पाल और सोनाक्षी पाल पिछले 10 वर्षों से शिफु रूपक दास के मार्गदर्शन में विंग चून कुंग-फू सीख रही हैं और उनके इस लम्बे परिश्रम को औपचारिक रूप से सम्मानित किया गया।
समापन भाषण में सिफु रूपक दास ने कहा—
“मेरे गुरु हैं ग्रैंड मास्टर अमर सिंह देवोरी जी और ज्योति प्रसाद देवोरी जी। यह कला हमारे पास पहुँची है महान ब्रूस ली और उनके आदरणीय गुरु इप मैन की परंपरा के माध्यम से।
विंग चून कुंग-फू आज विश्वभर में सम्मानित है, और हम इस महान परंपरा का एक छोटा-सा हिस्सा बनकर वास्तव में गर्व महसूस करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा—
“हमारा लक्ष्य है इस प्राचीन, सम्मानित और शक्तिशाली विंग चून परंपरा को सही तरीके से संरक्षित करना तथा आने वाली पीढ़ियों तक इसके वास्तविक मूल्य और सिद्धांत पहुँचाना।”





















