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शिलचर, 1 दिसंबर 2025: संस्कृत भारती, पूर्वोत्तर भारत दक्षिण असम प्रांत द्वारा मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के पावन अवसर पर बोरेल होम्स, अबिकापट्टी, शिलचर में गीता जयंती का भव्य एवं आध्यात्मिक माहौल में आयोजन किया गया। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश प्रदान किए जाने की स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम में विद्वानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा भक्तों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
कार्यक्रम में डॉ. शंकर भट्टाचार्य, अध्यक्ष – पूर्वोत्तर भारत न्यास; राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक गौरांग रॉय तथा दक्षिण असम प्रांत के अध्यक्ष तपोमय भट्टाचार्य मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जो अज्ञान के अंधकार को ज्ञान के प्रकाश से दूर करने का प्रतीक है। ममता सिन्हा ने ‘ध्येय मंत्र’ का सस्वर पाठ कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। स्वागत भाषण एवं उद्देश्य विवरण कृष्णा सिन्हा, सह-मंत्री, संस्कृत भारती दक्षिण असम प्रांत द्वारा प्रस्तुत किया गया। गीताध्यान और
श्रीमद्भगवद्गीता के द्वादश अध्याय (अध्याय 12) के श्लोकों का सामूहिक पाठ डॉ. केशव लुइटेल, प्रांत मंत्री दक्षिण असम प्रांत के नेतृत्व में किया गया। मुख्य अतिथि गौरांग रॉय ने सभा को संबोधित करते हुए प्रतिदिन गीता अध्ययन करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि गीता का ज्ञान हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग होना चाहिए।
डॉ. शंकर भट्टाचार्य ने गीता के कालातीत महत्व पर विस्तृत प्रकाश डाला तथा बताया कि गीता का संदेश वैश्विक और सर्वकालिक है। तपोमय भट्टाचार्य ने गीता में निहित अद्भुत और गहन ज्ञान का उल्लेख करते हुए उसके अध्ययन को जीवनोपयोगी बताया।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख अतिथियों में प्रो. शांति पोखरेल, डॉ. गोविंद शर्मा, क्षौनिश चन्द्र चक्रवर्ती, डॉ. अभिजीत शाह, अनिर्वाण शर्मा सहित अनेक सम्मानित व्यक्तित्व शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संधानी नाथ ने किया।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. केशव लुइटेल द्वारा किया गया। इसके साथ ही गीता जयंती का यह आध्यात्मिक और ज्ञानवर्धक समारोह सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।





















