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स्वास्थ्य सेवा एवं कल्याण पर आयुर्वेद और योग का परिवर्तनकारी प्रभाव’

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पिछले 10 वर्षों के दौरान, देश और दुनिया में आयुर्वेद एवं योग ने सभी हितधारकों- उपभोक्ताओं, बीमा क्षेत्र, नीति-निर्माताओं, स्वास्थ्य पेशेवरों आदि- के बीच जागरूकता, स्वीकृति, स्वीकार्यता और विश्वसनीयता के मामले में एक लंबी छलांग लगाई है। यह कोई छोटा-मोटा बदलाव नहीं है क्‍योंकि इस दौरान सरकार ने आयुष चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देते हुए उसे पारंपरिक चिकित्सा की पूरक पद्धति के तौर पर एकीकृत करने और उसे मुख्यधारा में लाने पर काफी दृढ़ता से फोकस किया है।

निम्‍नलिखित तथ्‍य भारत सरकार के परिणाम-केंद्रित दृष्टिकोण के ठोस प्रमाण हैं:
i. दिसंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र और डब्‍ल्‍यूएचओ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया और 2015 से हर साल 21 जून को उसे वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है।
ii. अगस्त 2022 में जामनगर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक केंद्र की स्थापना की गई।
iii. जनवरी 2023 में आईसीडी-11 टीएम-2 मानक में आयुष रोग कोड को शामिल किया गया।
iv. आईआरडीए के स्पष्ट दिशानिर्देशों के साथ 2016 से आयुष बीमा के दायरे में फिर से लाने का कदम उठाया गया। उसके बाद 2020 और हाल में 2024 तक कई सकारात्मक कदम उठाए गए जिससे आयुर्वेद चिकित्सा देखभाल के लिए पूरी तरह कैशलेस बीमा कवरेज उपलब्ध है।
v. केंद्र सरकार के कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए आयुष चिकित्‍सा सेवा को 2016 से ही सीजीएचएस योजना में शामिल किया जा चुका है।
vi. रक्षा मंत्रालय, रेलवे, इसरो, डीएई, ईएसआईसी एवं अन्य सरकारी संगठनों द्वारा आयुष उपचार केंद्रों/क्लिनिकों की स्‍थापना की गई और उसे मंजूरी दी गई है।
vii. हील-इन-इंडिया और हील-बाय-इंडिया जैसे प्रमुख कार्यक्रमों में आयुष को शामिल किया गया है ताकि आयुष आधारित स्वास्थ्य एवं कल्याण सेवाओं के जरिये सस्‍ती दर पर चिकित्सा यात्रा और विदेशी मुद्रा आय को बढ़ावा दिया जा सके।
viii. हल्‍के अथवा मध्‍यम कोविड-19 रोग से बचाव और उसके उपचार के लिए हरेक आयुष पद्धति के लिए राष्ट्रीय क्‍लीनिकल प्रबंधन प्रोटोकॉल तैयार किया गया। इससे आयुष ने कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव, गंभीरता और मौतों की संख्या को सीमित करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, कोविड के बाद उसके दीर्घावधि प्रभाव से निपटने में आयुष लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
ix. सार्वजनिक स्वास्थ्य लक्ष्यों को हासिल करने में आयुष की उचित भूमिका के लिए भारत सरकार के नेतृत्व से लगातार समर्थन एवं प्रोत्‍साहन मिल रहा है।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान व्यक्तिगत अथवा सामुदायिक स्तर पर महज रोगों का प्रबंधन करने के बजाय जीवन पर्यन्‍त स्‍वास्‍थ्‍य प्रबंधन पर जोर दिए जाने के साथ निवारक स्‍वास्‍थ्‍य सेवा की अव‍धारणा मजबूती के साथ विकसित हुई है। ‘सभी उम्र के लोगों के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना और उनकी तंदुरुस्‍ती को बढ़ावा देना’ संयुक्त राष्ट्र का सतत विकास लक्ष्य 3 (एसडीजी 3) है। एसडीजी 3 के 13 लक्ष्यों और 28 संकेतकों के तहत स्वस्थ जीवन एवं स्वस्थ जीवनशैली के विभिन्न पहलुओं को कवर किया गया है। आयुर्वेद और योग सहज रूप से जीवन-चक्र के परिप्रेक्ष्‍य के साथ निवारक, उपचारात्मक एवं प्रोत्‍साहक स्वास्थ्य उपायों पर जोर देते हैं जो रोग के चरण, व्यक्ति, स्थान, समय आदि के लिहाज से उपयुक्त होते हैं। इसके अलावा, यह व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य वाले दृष्टिकोण को अपनाता है जो सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील है। आयुर्वेद और योग समाज के लिए एक व्यापक जीवन-चक्र स्वास्थ्य प्रबंधन ढांचा प्रदान करते हैं जो एसडीजी 3 के 13 लक्ष्यों में से कई को हासिल करने में मदद करता है।

गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के कारण मौत का अनुपात (सभी मौतों के बीच) 1990 में 38 प्रतिशत से बढ़कर 2016 में 62 प्रतिशत हो गया। इससे बीमारी के बोझ में बदलाव के साथ महामारी का स्‍वरूप भी तेजी से बदल रहा है। आयुर्वेद और योग स्‍वास्‍थ्‍य सेवा मूल्‍य श्रृंखला को पूरा करने और विशेष रूप से गैर-संचारी रोगों की प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक स्‍तर पर रोकथाम करने में एक दमदार, पूरक और एकीकृत भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा, आयुर्वेद और योग विभिन्‍न प्रकार की वैकल्पिक सर्जरी की जरूरतों को खत्‍म करते हुए अथवा टालते हुए आम लोगों की जेब पर खर्च के बोझ को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। आयुर्वेद के उपयोग का एक अन्‍य पहलू व्‍यक्ति की संपूर्ण देखभाल का मॉडल है जिसमें एक साथ कई बीमारियों से जूझ रहे लोगों को निजी तौर पर आहार, जीवनशैली, काउंसलिंग एवं चिकित्सा का नुस्खा प्रदान किया जाता है।

इसके अलावा, आयुर्वेद आधारित ‘एकीकृत देखभाल’ एक उभरती हुई पद्धति है जिसमें निम्‍नलिखित शामिल हैं:
• स्वास्थ्य की दृष्टि से सक्रिय (मन की स्थिति, नींद, आंत, भूख, पाचन, जीवन शक्ति, आदि) और जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए एलोपैथी के पूरक उपचार के रूप में आयुर्वेद एवं योग पर जोर।
• एडिमा, मायलोस्पप्रेशन, कैशेक्सिया, स्‍पैस्‍म/क्रैप्‍स, मोबिलाइजेशन, म्यूकोसाइटिस, दस्त, चकत्ते, मतली और दर्द आदि के उपचार के लिए प्राथमिक एलोपैथी चिकित्‍सा के सहायक के रूप में आयुर्वेद का उपयोग।
• रोग की पुनरावृत्ति को रोकने और अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए तृतीयक/क्‍वाटरनैरी एलोपैथी उपचार के बाद स्‍टेप डाउन केयर के लिए फिजिएट्री (शारीरिक एवं चिकित्सीय पुनर्वास) के साथ-साथ आयुर्वेद और योग का उपयोग।

आयुर्वेद और योग आधारित सेवाओं से बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित होंगे क्योंकि उनका दायरा विभिन्‍न सेवा क्षेत्रों- चिकित्‍सकीय तंदुरुस्‍ती, आयुर्वेद अस्पताल/आयुर्वेद चिकित्‍सा केंद्र/आयुर्वेद क्‍लीनिक, एकीकृत चिकित्सा केंद्र, अवकाश के दौरान तंदुरुस्‍ती, स्टेप डाउन केयर सेंटर- तक विस्‍तृत हैं।

आयुर्वेद अस्पताल विशेष तौर पर किसी गरीब देश में स्वास्थ्य सेवा के अर्थशास्त्र को बदलने की ताकत रखते हैं। आयुर्वेद एवं योग अत्‍यधिक पूंजी निवेश, कम समय तक ठहरने, तृतीयक/ क्‍वाटरनैरी देखभाल मॉडल के बजाय कम पूंजी निवेश, अधिक दिनों तक (3 से 5 गुना) ठहरते हुए रोगों के उपचार मॉडल के साथ एक स्‍वास्‍थ्‍य सेवा व्‍यवस्‍था तैयार करते हैं जो आम लोगों के लिए सस्ती, सुलभ और स्वीकार्य है। ऐसी स्वास्थ्य सेवा व्‍यवस्‍था जो उच्च गुणवत्ता वाली तृतीयक/क्‍वाटरनैरी चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के अलावा प्रारंभिक से प्राथमिक और द्वितीयक से तृतीयक रोकथाम तक निवारक स्वास्थ्य सेवा के व्‍यापक दायरे का विस्तार करती है।

पिछले 10 वर्षों में पहली बार आयुर्वेद एवं योग आधारित स्टार्टअप में उल्‍लेखनीय निवेश और वृद्धि हुई है। नवाचार का दायरा आयुर्वेदिक उत्पादों (फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य पदार्थ, न्यूट्रास्यूटिकल्स, सौंदर्य प्रसाधन, जीवन शैली उत्पाद), आयुर्वेद/योग सेवाएं (अस्पताल, क्लीनिक, टेलीमेडिसिन, स्वास्थ्य प्रबंधन सेवाएं, चिकित्सा स्पा, प्रशिक्षण, अवकाश के दौरान तंदुरुस्‍ती) और आयुर्वेद सिद्धांतों पर आधारित नई चिकित्सा तकनीक तक फैला हुआ है। वास्तव में हमें इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए वीसी/पीई कंपनियों की दिलचस्‍पी बढ़ती दिख रही है क्योंकि उपभोक्ताओं का रुझान हर्बल, प्राकृतिक, जैविक, पौष्टिक उत्पादों और सेवाओं की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

यह सबको पता है कि भारत आने वाले अधिकतर पर्यटकों का प्राथमिक उद्देश्य आयुर्वेद और योग होता है, चाहे वह रोगों के उपचार के लिए हो अथवा तंदुरुस्‍ती के लिए। ये पर्यटक सबसे विकसित ओईसीडी देशों से आते हैं। आयुर्वेद और योग के साथ भारत दुनिया के लिए स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्‍ती का एक प्रमुख गंतव्य बनने के लिए तैयार है।

आयुर्वेद और योग दुनिया का दिल जीतने के लिए भारत का सबसे ताकतवर सॉफ्ट पावर है। तमाम विकसित देश पुरानी बीमारियों के बढ़ते बोझ, विकलांगता के साथ लंबी आयु की दोहरी मार, बढ़ती आबादी, स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की कमी और अपने स्वास्थ्य सेवा बजट को संतुलित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में आयुर्वेद और योग व्यक्ति, बीमारी के मूल कारण को खत्‍म करने और टिकाऊ तंदुरुस्‍ती के लिए एक वैकल्पिक प्रतिमान प्रदान करते हैं। भारत को दुनिया की पहली पंक्ति के देशों की गलतियां दोहराने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय वह रास्ता दिखा सकता है और प्रमाण आधारित, प्रोटोकॉल से संचालित स्वास्थ्य मॉडल में हमारी अनोखी विरासत एवं ताकत का फायदा उठाते हुए कहीं अधिक मानवीय, नागरिक केंद्रित और सस्‍ते स्‍वास्‍थ्‍य सेवा मॉडल को बढ़ावा दे सकता है। यह एक संपूर्ण स्वास्थ्य सेवा है जो हर गांव, कस्बे और शहर तक पहुंचती है। मुझे विश्‍वास है कि अगले पांच वर्षों में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ मिलकर आयुर्वेद और योग हर भारतीय के लिए सुलभ, स्वीकार्य, किफायती स्वास्थ्य देखभाल के वादे को पूरा करेंगे। आयुर्वेद और योग उद्योग इस सपने को साकार करने के लिए सरकार के साथ सभी स्तरों पर साझेदारी करेंगे।

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राजीव वासुदेवन
एमडी एवं सीईओ, अपोलो आयुर्वेद हॉस्पिटल्‍स

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