फॉलो करें

2000 के नोट बंदी पर आचार्य जी का लेख

79 Views

एक और नोट बंदी के निहितार्थ–

मादक पदार्थों की तश्करी,नक्सलियों से लेकर देश में बैठे ऐसे व्यक्ति अथवा कि समूह जो हमारे युवाओं को ब्रेनवाश कर आतंकवाद की शिक्षा देने के पश्चात हथियार देते हैं,अर्थात हथियारों की तश्करी,गायों की बंगलादेश में तश्करी,लव जिहाद, धर्मान्तरण,राजनैतिक और सबसे अधिक बंगलादेश,पाकिस्तान और नेपाल से यहाँ आ रहे–“नकली नोटों ” की तश्करी के लिये राष्ट्र द्रोहियों के हितों के लिये अधिक मात्रा में नगद मुद्रा अथवा सोने की आवस्यकता होती है।

और इस हेतु उपरोक्त सभी को प्रथम आवश्यकता होती है– “सोना और अधिक मूल्य की मुद्रा” इस तथ्य को सभी राजनैतिक दल भली भांति जानते हैं,किन्तु उनकी समस्या है कि चुनावों को जीतने के लिये येन-केन-प्रकारेण अधिक से अधिक धन की व्यवस्था करना और यह धन उन्हें उपरोक्त अवैधानिक कार्य करने वालों से ही प्राप्त हो सकता है,इस अर्थ शास्त्र के शाश्वत मंत्र को कोई भी विद्वान राष्ट्रवादी भलीभांति समझ सकता है।

इसी हेतु २०१६ में अचानक १०००,५०० ₹ के नोट प्रचलन में बन्द करने के पश्चात २००० एवं ५०० ₹ के नोट हमारी सरकार ने अत्यंत ही बुद्धिमत्ता एवं दूरदर्शिता के साथ प्रचलन में लाये।

और यहाँ यह जानना अत्यंत ही महत्वपूर्ण है कि भले ही राष्ट्र विरोधी तत्त्व कुछ भी कहते हों किन्तु  R•B•I•  ने ये स्वीकार किया है कि-“२०१६” की नोटबंदी के पश्चात १.३० लाख करोड़ का काला धन बाहर आया। 

और हमारी अर्थव्यवस्था को यहाँ यह बात सबसे अधिक प्रभावित करती है कि उस समय १००० और ५०० ₹ के जितने भी प्रचलित नोट थे उनमें लगभग २०% नकली मुद्रा थी ! जिसे बैंकों ने छांट कर निकाल दिया अर्थात उन नकली मुद्रा धारकों की मुद्रा शून्य हो गयी और यही राष्ट्र द्रोही तत्त्वों के लिये सर्वाधिक घातक हुवा क्यूँ कि उनके पास स्थित लगभग २०% धन कूडा हो गया।

यहाँ धरातल का सच कुछ और भी कहता है, हमारे यशस्वी प्रधानमन्त्री जी और भी आगे बढ़ते हैं तथा सोने की बिक्री पूरी तरह स्वेत-मुद्रा में करना अनिवार्य करने के साथ-साथ-“होल-मार्क” अनिवार्य कर सोने के अवैध भंडारण पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देते हैं।अर्थात एक गहरी चोट।

यहाँ ये तथ्य विचारणीय है कि सन् २०१६ से ३७० करोड की संख्या में (अर्थात ३७० करोड × २००० ) २०००के नोट छापे गये थे, जिनमे से-“१०२ करोड नोट सन् २०२१ तक बैंकों द्वारा लेकर R•B•I• के तत्वावधान में नष्ट कर दिये गये। अर्थात सामान्य जनता को १०२ करोड २००० की मुद्रा का भुगतान कर दिया गया, यहाँ यह उल्लेखनीय है कि सन्-“२०२१-२२ में दो हजार के मात्र-“२१४.२०”  करोड़ नोट ही  बाजार में थे। तो बाकी के लगभग-“५४ करोड नोट (अर्थात ५४ करोड ×२००० अर्थात लगभग १.०८ लाख करोड़ रुपये) के ये -“गुलाबी ” नोट गये कहाँ  ?

अभी यहाँ वास्तविक चोट राष्ट्र द्रोहियों को कहाँ लगी ये भी समझने की आवश्यकता है, सन्-“२०२० तक ८.३४ लाख के तथा  २१-२२ में ३.१० लाख की संख्या में २००० ₹ के नकली नोट जप्त कर लिये गये। 

आप स्वयं ही विचार करें हमारे आपके पास अर्थात हममें से केवल .००°१% लोगों के पास अधिक से अधिक  २-४ या फिर १० की संख्या में २००० के नोट होंगे अर्थात अधिक से अधिक ४ करोड नोट सामान्य जनता के पास हो सकते हैं तो फिर शेष के ५० करोड(५००००००००×२०००) नोट कहाँ हैं ?

ये E•D, और C•B•I•के छापों में पकडे जाने वाले नोटों में २००० और ५०० की गड्डियों के जो पहाड़ दिखते हैं,( उनमें ३०% नकली नोटों की भूमिका भी है) वे नोट- बैंक और सरकार से छुपाकर अवैधानिक गतिविधियों के लिये एकत्रित किये गये हैं।

अब वे लोग इन नोटों को अपने सुह्रदों के खातों में डालने की कोशिश करेंगे जिसके लिये पैन नम्बर अनिवार्य किये जाने के कारण वे पकड़ में आ जायेंगे जिससे आने वाले कल देश में और भी पारदर्शिता बढेगी तथा राष्ट्र विरोधी तत्त्वों को एक गहरी चोट मिलेगी-“आनंद शास्त्री”

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल