सम्माननीय मित्रों ! आज समूचा भारत स्तब्ध है कि विश्व के किसी भी भाग में आप देखो तो-“प्राकृतिक त्रासदी,मंहगाई, जेहाद और युद्ध” दारुल इस्लाम बनाम दारु है इस्लाम जिसे पीकर कोई भी अफजल गुरु बनने को तत्काल तैयार हो जाता है
मध्यपूर्व एशिया की आग जहन्नुम की आग बनती जा रही है कम से कम इस्लाम आज समूची मानवता के लिये अपने-आप में एक -“परमाणु बम”बन चुका ! इन परिस्थितियों में हम हिन्दुओं का कर्तव्य आज आने वाले कल की दिशा मोड़ने वाला सिद्ध हो सकता है।
किन्तु मित्रों ! हमलोग ! अपने आपको हिन्दुस्थानी कहने वाले लोगों ने क्या किया ? हमलोग-बिहार,उत्तर प्रदेश,मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली,महाराष्ट्र,राजस्थान आदि आदि भारत के सभी प्रान्तों से आये लोगों ने अपनी जडें अपने हांथों खोद डालीं। मैंने अपनी आँखों से बन्द हो चुके हिन्दी विद्यालयों के उन अभिलेखों को देखा है जिनमें पहले हिन्दी भाषी बच्चों की संख्या सत्तर प्रतिशत से अधिक थी ! और जैसे जैसे ग्रामीण अंचलों से लेकर सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों में और चाय बागानों में-“बांग्ला भाषा की संस्कृति” आती गये ! हमारे संस्कारों का अतिक्रमण करती गयी ! अपने बच्चों के नाम उन्ही विद्यालयों में हमने लिखाये ! किन्तु विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि नौकरशाही की लापरवाही के कारण हमने अपने बच्चों की मातृभाषा-“बांग्ला” लिखायी जाने पर भी अपनी आँखें बन्द रखीं।
धीरे-धीरे हमारे हिन्दी भाषी और बांग्ला भाषी बच्चे एकसाथ आगे निकलते गये ! और बागानों के बाहर, ग्रामीण और नगरीय अंचलों में भी जेहादी समूहों से संचालित मदरसों में हरी चादर में लिपटे तक्की लगाये वे बच्चे आते गये जिनको हिन्दी नाम से नफरत है ! जिनके दिमाग़ में जेहाद भरी पडी है !
वे जानते हैं कि उनको खतरा हिन्दी भाषी लोगों से है,हिन्दुस्थानी लोगों से उनको खतरा है ! वे भलीभांति जानते हैं कि बांग्ला भाषी हिन्दुओं को उन्होंने पहले ही खदेड़ दिया है ! उनकीं जमीन से लेकर महिलाओं तक को उन्होंने अपने पूर्वजों की जागीर बना दी ! और यहाँ से भी उनको भगाते देर नहीं लगेगी ! आज ये देखकर आश्चर्य होता है कि असम राज्य सरकार की सहायता से संचालित मदरसों को बन्द करने के पश्चात भी केवल बराक उपत्यका में ही सैकडों मदरसे चल रहे हैं ! मुस्लिम देशों की सहायता से चल रहे हैं ! और वे देश जिनके नागरिक स्वयं रोटी के लिये तरस रहे हैं उनकी सहायता से चल रहे हैं अर्थात ये विचारणीय है कि क्यों चल रहे हैं ? वहाँ क्या शिक्षा दी जा रही है ? कहीं मदरसों की आड में कोई गहरी साजिश तो नहीं रची जा रही है ?
मित्रों ! ये कडवी सच्चाई है कि यदि बीजेपी की सरकार केन्द्र और राज्य मे न आती ! यदि हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री श्रीमान हेमन्तो बिस्वशर्मा जी का शाषन न होता तो आज समूचे असम में बांग्ला भाषी हिन्दू लोगों को कोई भी संरक्षण नहीं दे पाता ?
और उसका महत्वपूर्ण कारण है कि-“देवानाम् असुरो बलः”
ये असुर हैं ! इनका आहार विहार विचार व्यवहार और व्यापार सबकुछ आसुरी है ! मैं स्वयं बंगलादेश गया हूँ ! वहाँ घुट-घुट कर हमारे हिन्दू बांग्ला भाषियों की स्थिति और पारिवारिक परिवेश देख कर आया हूँ !
ये शाश्वत और कडवी सच्चाई है कि पंजाब उस पार और बांग्ला देश से आये हिन्दू लोग अचानक पश्चिमी सभ्यता के रंग में रंग गये ! उनके विचार इतने आधुनिक हो गये कि पूछो मत ! और उसका कारण है-“जब कोई पंछी अचानक पिंजरे से आजाद होता है तो ऊंची उड़ान भरने को बेताब हो जाता है और वही बाज का शिकार बनता है” मित्रों ! स्वतंत्रता और स्वच्छंदता के
अंतर को जिन्होंने नहीं समझा उनका पराभव निश्चित है।य
मुझे आश्चर्य होता है कि मुस्लिम महिलाओं को अपनी उन बेडियों से बहुत प्यार है जिसे हमलोग-बुरका” कहते हैं,और हम हिन्दुओं की बच्चियों को उन पहनावों से बहुत प्यार है जिससे अधिक से अधिक-“अंग प्रदर्शन” होता हो।
मराठों,राजपूत और सिखों ने मुस्लिमों से हमेशा हिन्दूस्थान की रक्षा की इनके नाम से मुगल थर-थर कांपते थे। आज असम के प्रत्येक क्षेत्र में बंगाल का आधिपत्य होता जा रहा है !रिक्शा, टुकटुक, ऑटो,पंचर,सब्जीयों में घातक से घातक विषैले पदार्थ मिलाकर उगाना और असम में बेचना ! फलों,मछली,अण्डों,मुर्गों तक को जहरीला बनाना ! बकरों को हलाल करने के चौबीस घंटे पहले नेफ्थालिन की गोली खिलाना जिससे उन्हें अधिक प्यास लगेगी ! वे जितना पानी पीयेंगे उतना वजन बढेगा ! दूसरी ओर उनकी पिशाब बन्द हो जायेगी ! उनकी किडनी फेल हो जायेगी ! पूरे शरीर में नेफ्थालिन का जहर फैल जायेगा ! और दूसरे दिन उनको हलाल करेंगे ! वह मांस हमारे परिवार के लोग खायेंगे और मरने के लिये नर्सिंग होम जायेंगे। इनके भिखारियों तक को आप देखेंगे तो वे तक्की लगाकर भीख मांगते दिखेंगे।
मित्रों ! आप ध्यान देना- “बांग्ला भाषी हिन्दू और बंगाल” में यही अंतर है कि-
“काको कृष्णः पिको कृष्णः को भेदो पिककाकयो।
वसन्तकाले संप्राप्ते काको काकः पिको पिकः॥”
कोयल और कौवे दोनों ही काले होते हैं किन्तु जब वसन्त ऋतु आती है अर्थात समय आने पर दोनों की भाषा से उनमें अंतर स्वतः स्पष्ट हो जाता है।
मित्रों ! मै समझता हूँ कि-“उडिया,राजस्थानी,भोजपुरी,मै
“आनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्क सूत्रांक 6901375971”




















