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लोकसभा चुनाव संपन्न हो गया पक्ष विपक्ष अपने अपने पक्ष को विजेता सिद्ध करेंगे सब अपनी अपनी व्याख्या करेंगे। वैसे दोनों सही भी हैं एक तरफ जहां विपक्ष ने मोदी जी के बड़बोले पन को धूल चटाया वहीं मोदी जी ने भी विपक्ष के रेत के किले को आकार नहीं लेने दिया और अपने चुनाव पूर्व गठबंधन,N.D.A. को पूर्ण बहुमत दिला कर लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के जवाहर लाल नेहरू के रिकार्ड की बराबरी किया इस उपलब्धि पर वो अपनी पीठ थपथपा सकते हैं। लगातार 10 वर्षों तक सत्ता में रहने के पश्चात भी अपने गठबंधन को बहुमत दिलाना एक दृष्टि से कम उपलब्धि नहीं है।
अब नये परिवेश में मोदी जी को ढलना होगा अपने बड़बोले पन पर लगाम लगाना होगा।
पार्टी के पुराने तपे तपाए कार्यकर्ताओं का गौरव बहाल करना होगा चाणक्य महोदय की तोड़फोड़ और शार्टकट की सफलता पर लगाम लगाना होगा।
मंत्रियों को भी कभी कभी कैमरे के सामने आने का सौभाग्य देना होगा।आपने अपने रहन सहन पहनावे और अति प्रदर्शन से पार्टी जनों को भी आहत किया है।
हमें याद है मुंबई ताज और ओबेरॉय तथा सी.एस. टी. स्टेशन पर आतंकी तांडव के दिन तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने दो बार सूट बदल लिया सबेरे और शाम को अलग अलग वस्त्रों में दिखने पर स्वयं आप और पार्टी के लोगों ने आसमान सिर पर उठा लिया था। मीडिया संस्थानों और देश के प्रबुद्ध वर्ग ने भी उसकी घनघोर निंदा किया था।
आप में पागल पन की हद तक वस्त्र प्रदर्शन की ललक है हमने स्वयं दिन में तीन तीन बार आपको वस्त्र बदलते देखा है।आप हर समय अपने लड़कपन की दरिद्रता का बखान करते नहीं थकते मां के दूसरे घरों में बर्तन मांजने की कथा हर बड़े मंच पर विषेष कर विदेशों में अवश्य सुनाते हैं फिर यह परिधान परिवर्तन आपकी जड़ों से मेल खाता है क्या? हमने लालबहादुर शास्त्री गुलजारी लाल नंदा कुशाभाऊ ठाकरे और अटल जी की सादगी भी देखा सुना है।
सर्वोच्च पद पर बैठा व्यक्ति जब सादगी पूर्ण जीवन बिताता है तो गरीब गुरबा और आम लोगों में अपनत्व का भाव जाग्रत होता तो पहली बात तो ए कि आपको ए सनक छोड़ना चाहिए प्रथम पदयात्रा में जिस सफेद टी शर्ट का उपयोग राहुल गांधी ने पारंभ किया वो दिसंबर जनवरी की कड़कड़ाती ठंड में भी परिवर्तित नहीं किया सर्व साधारण को आकर्षित किया इस सादगी ने यद्यपि वो सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं।आपके आधी बांह के कुर्ते की डीमांड तो सारी दुनिया में है उसमें आप अच्छे भी लगते हैं पता नहीं क्यों आपने रोज नये नये कपड़े पहनने की सनक कहां से सीखा ए भारत है यहां सादगी की पूजा होती है।
दूसरी बात==
कैमरे के सामने सदैव बने रहने का लोभ और आत्मश्लाघा की प्रवृत्ति से भी कुछ हद तक किनारा करना होगा और अपने मंत्रियों को भी कुछ अवसर देना होगा। हमने देखा आपके कार्यकाल में सैकड़ों की संख्या में वन्दे भारत ट्रेनों का शुभारंभ हुआ लेकिन उच्च शिक्षा विभूषित कर्मठ रेल मंत्री को आपने एक बार भी हरी झंडी दिखाने का सौभाग्य नहीं दिया। राजमार्ग मंत्रालय चलाने नितिन गडकरी ने भारत में सड़कों का जाल बिछा दिया भारत को चीन से आगे और अमेरिका के समकक्ष पहुंचा दिया लेकिन किसी भी बड़े एक्सप्रेस हाइवे या राष्ट्रीय राजमार्ग का उद्घाटन करने को तरस गये बेचारे। जहाजरानी और नदी विकास मंत्रालय में गंगा सफाई का दूरदर्शी प्लान उन्होंने बनाया प्रयाग राज से हल्दिया तक का जलमार्ग प्रारंभ होते होते आपने उन्हें उस मंत्रालय से वंचित कर दिया और सड़क मंत्रालय तक सीमित कर दिया लेकिन अपनी प्रतिभा के बल पर उन्होंने अपने विभाग में जो धाक जमाई विपक्षी भी उसके कायल हैं।
तीसरी बात ==
आप अपने और चाणक्य महोदय के अतिरिक्त पार्टी में सबको केवल मोहरा बना कर रख दिए किसी भी मुख्यमंत्री को स्थिर नहीं रहने दिया आपने अभी छ महीने पहले म प्र के लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिनकी लोकप्रिय योजनाओं ने म प्र मे रिकार्ड बहुमत दिलाया विषेष रूप से लाडली बहना योजना ने हर विधानसभा क्षेत्र से 10/15/ हजार वोट बढाए यहां तक कि म प्र लोकसभा चुनाव में क्लीनस्वीप करने में भी उसका बड़ा योगदान था।उन्हें कितना अपमानित किया आपने। चुनाव के बाद दसों दिन तक विधायक दल की बैठक नहीं होने दिया चुनाव में एक बार भी शिवराज के काम की तारीफ नहीं किया और अंत में उन्हें दूध के मक्खी जैसे निकाल फेंका और सांत्वना के दो शब्द तक नहीं बोले खैर आठ लाख से अधिक वोटों से जीत कर शिवराज ने आपको अच्छा आइना दिखाया।
चौथी बात==
मोदी मोदी की सनक से तौबा कीजिए एक बार भी आपने पार्टी का नाम नहीं लिया बस मोदी सरकार मोदी सरकार की माला जपते रहे।अटल जी के मुंह से एक बार भी अटल सरकार किसी ने नहीं सुना था कान पका दिया आपने एक बार फिर मोदी सरकार रटकर। पार्टी व्यक्ति विशेष से बड़ी होती है उसका सम्मान करें।
पांचवीं बात==
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ आपका पैतृक संगठन है प्रवीण तोगड़िया और संजय जोशी आदि को तो आप मिट्टी में मिला ही चुके हैं लेकिन संघ के लाखों कार्यकर्ताओं का अपमान भी किया आपने।आपके भोंपू श्रीमान नड्डा जी ने पत्रकारों से सरेआम कहा कि अटल आडवाणी के युग में पार्टी कमजोर थी इसलिए संघ की आवश्यकता थी अब हम इतने बड़े हो गए कि संघ को सीढ़ी बनाने की हमें कोई आवश्यकता नहीं है।इस बयान के बाद संघ के स्वयं सेवक निष्क्रिय हो गये जिसका परिणाम भुगता आप ने।
छठीं बात ==
जो आपके थे उन्हें अपमानित किया और बेगानों को सिर पर बैठाया आपने अपने वोट बैंक की कोई चिंता ही नहीं किया।जो कभी भी आपको वोट नहीं देंगे उनकी लल्लो चप्पो करते रहे पसमांदा मुस्लिम वर्ग की खूब चमचागिरी किया लेकिन एक वोट भी नहीं मिला पुराने कार्यकर्ता अपमानित हुए दूसरी पार्टियों के गुंडे उनकी छाती पर मूंग दलते रहे।
सातवीं बात==
टिकट वितरण में केवल अमित शाह की बात को तरजीह दी आपने अनेकों दबंग उम्मीदवार आउट करके टुटपुंजिया दलबदलुओं को आगे बढ़ाया गया।योगी बाबा भी केवल बुलडोजर और कानून व्यवस्था के आगे अन्य किसी विभाग पर काम नहीं किए केवल गर्मी उतार देंगे गर्मी उतार देंगे उसमे आपने भी घी तेल डाला पूर्वांचल में आपका गर्मी उतारने वाला बयान बडा आत्मघाती रहा शाशक को ऐसे बयानों से बचना चाहिए।
आठवीं बात==
बेरोज़गारी और मंहगाई की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया केवल बड़े बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच इंप्रेशन जमाने में लगे रहे आप।लेख बहुत बड़ा हो रहा है यह चुनाव परिणाम बी जे पी के लिए वरदान साबित हो सकता है अगर आप लोग थोड़ा सुधार कर लें।अभी भी आप मुख्य विपक्षी दल से ढाई गुना बड़े हैं चुनाव पूर्व गठबंधन को पूरा बहुमत मिला है उड़ीसा अरुणाचल में स्वतंत्र और आंध्र में एन डी ए सरकार बनी है दक्षिण में सुधार हुआ है बी जे पी से बहुत आशाएं हैं अविलंब सुधार करें। कांग्रेस ने सरासर झूठे वादे किए हर गरीब को जो कि 25 करोड़ से अधिक हैं टकाटक एक लाख रुपए का वादा संपूर्ण ऋण मुक्ति एक माह में तीस लाख नौकरियां जो कि किसी भी प्रकार पूरी नहीं हो सकती।50 लाख करोड़ तो केवल एक लाख बांटने में ही लग जाएगा इतना भारत का बजट भी नहीं है और सबसे बड़ी बात वो शोर मचाते रहे कि आप संविधान बदल देंगे जबकि सौ से अधिक बार संविधान उन्होंने बदला 90 से अधिक बार चुनी हुई सरकारों को गिराया इमर्जेंसी लगाकर संविधान की धज्जियां उड़ाया आप लोग इसका प्रतिकार नहीं कर पाए।इस धारणा को दृढ़ करने में आपका लोकसभा में दिया गया 400 पार का आत्मघाती बयान रहा।सबसे अंत में एक बार देवेन्द्र फडनवीस जैसे बडा दिल दिखाते हुए आपको इस पिछड़ने की एक बार जिम्मेदारी लेना चाहिए।छोटी सी महानगर पालिका के चुनाव में भी विजय की जिम्मेदारी आप लेते हैं तो इतनी बड़ी फिसलन की जिम्मेदारी आपको लेनी चाहिए कमसे कम मुख्यालय में कार्यकर्ताओं के बीच तो सत्य बोलने की हिम्मत दिखाते आप।केवल तीसरी बार तीसरी बार विश्व की पहली भारत की पहली घटना इसके अलावा आप उस भाषण में कुछ नहीं बोले। एक बार कार्यकर्ताओं से कमसे कम इतना बोल देते कि इस कमी को आगे दूर करने का प्रयास करेंगे।केवल मरी हुई आवाज में विजय विजय की घुट्टी पिलाते रहे। लेख बहुत बड़ा होता जा रहा है अंत में यह झटका वरदान भी साबित हो सकता है 50 साल सौ साल के चोंचले छोड़कर केवल 5 साल की सोचिए ज़मीन से जुड़े रहना ही नहीं लोगों को दिखना भी चाहिए।भारत गांवों का देश है यहां शिवराज सिंह, नितीश कुमार, लालू, कल्याण सिंह, योगी बाबा, ममता बनर्जी जैसे सादगी पसंद लोगों से अधिक अपनेपन का अनुभव होता है ।जै जानकी जीवन।
साभार फेसबुक वाल





















