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मैं करू अभिषेक गंगा जल से — संजय अग्रवाल,

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जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल
मैं करू अभिषेक गंगा जल से,
सजाऊं शिवालय हर हर महादेव से।
शिवलिंग पर चढ़ाऊं बेलपत्र,
भोलेनाथ की भक्ति में, मन अर्पण कर।
त्रिशूल धारक, नीलकंठ,
कैलाश पर्वत पर बसे शिव शंभू।
जटाओं में धारण किए गंगा की धारा,
करुणा और दया का उनमें भरमार सारा।
रुद्राक्ष की माला, गले में सर्प की लड़ी,
शिवजी की महिमा, किसने नहीं पढ़ी।
ध्यान में लीन, योगीश्वर के रूप में,
मुक्ति के मार्गदर्शक, भक्तों के भूप में।
नंदी की सवारी, बाघंबर वस्त्रधारी,
तांडव करते शिव, कहलाते नीलकंठ।
प्रलय के नायक, सृजन के सहायक,
संपूर्ण जगत के हैं वो नायक।
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय,
शिव की भक्ति में समाया है संसार।
हर हर महादेव के जयकारे लगाओ,
शिवजी की महिमा को अपनाओ।

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