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असम में चल रही सीमांकन प्रक्रिया में खतरे में पड़ी भाषाओं के लिए रिजर्वेशन की मांग

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शिलचर, 10 अगस्त : देश में भाषाई विविधता को बचाने के लिए एक नई मुहिम शुरू हुई है। श्रीकृष्ण रुक्मिणी कलाक्षेत्र के अध्यक्ष विधान सिंह ने हाल ही में राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्रालय सहित विभिन्न उच्चाधिकारियों को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें खतरे में पड़ी भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समर्थन की मांग की गई है।
        गौरतलब हैं कि वर्तमान में असम में गांव पंचायत, ब्लॉक पंचायत और जिला परिषद स्तर पर सीमांकन प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में राज्य के खतरे में पड़े भाषाई समूहों के नेतृत्व वाले संगठनों को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना जरूरी है, ताकि गांव पंचायतों, ब्लॉक पंचायतों और जिला परिषदों में 25% स्थायी आरक्षण की व्यवस्था की जा सके। इससे खतरे में पड़ी भाषाओं को संरक्षित करने में मदद मिलेगी और भाषाई विविधता को बनाए रखने में सहायता मिलेगी।
      उल्लेखनीय हैं कि यूनेस्को ने घोषित किया हैं कि 197 भारतीय भाषाएं खतरे में हैं। यूनेस्को ने देश की 197 भाषाओं को खतरे में पड़ी भाषाओं की श्रेणी में रखा है। इनमें असम में बहूत सारे भाषाएं भी शामिल हैं, जिसे सिर्फ 11% लोग बोलते हैं। यह एक चिंताजनक स्थिति है और हमें अपनी भाषाई विरासत को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे। सरकार से आवश्यक कदम उठाने की मांग की जानी चाहिए ताकि खतरे में पड़ी भाषाओं को संरक्षित किया जा सके।

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