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महागठबंधन से बीपीएफ ने अपने आपको किया अलग

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गुवाहाटी, 28 जून (हि.स.)। बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) के परिषदीय चुनाव के दौरान भाजपा से अलग होकर बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने चुनाव लड़ा था। विधानसभा चुनाव में बीपीएफ ने कांग्रेस के द्वारा बनाए गये महागठबंधन में शामिल होकर अपनी साख को बचाने की पुरजोर कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली।  राज्य में फिर से भाजपा नेतृत्वाधीन सरकार के गठन के बाद से ही बीपीएफ के बीच बेचैनी बढ़ गयी थी। स्थिति धीरे-धीरे साफ होती नजर आ रही है कि बीपीएफ किसी भी कीमत पर भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल होना चाहती है। इसका खुलासा रविवार को बीपीएफ के पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री रिहन दैमारी के बयानों से हो गया था। उन्होंने खुलेआम बीपीएफ को कांग्रेस महागठबंधन से बाहर निकल आने का आह्वान किया था।

रिहन दैमारी के बाद सोमवार को पार्टी के उपाध्यक्ष प्रवीण बोडो ने कहा कि महागठबंधन में बीपीएफ का बने रहना अब अप्रासंगिक हो गया है। जबकि, महागठबंधन के बड़े दल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा है कि अभी तक बीपीएफ ने महागंठबधन से अलग होने संबंधी कोई बात नहीं की है।

 रविवार को बीपीएफ के वरिष्ठ नेता रिहन दैमारी ने खुलेआम पार्टी को महागठबंधन से अलग होने का आह्वान किया था। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर पार्टी अलग नहीं होती है तो वे पार्टी से अलग होकर निर्दलीय उप चुनाव लड़ेंगे।

रिहन दैमारी की चेतावनी के बाद सोमवार को पार्टी की स्थिति को पार्टी के उपाध्यक्ष प्रवीण बोडो ने भी बीपीएफ की स्थिति को स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब महागठबंधन में रहना अप्रासंगिक हो गया है। विधानसभा चुनाव के लिए ही बीपीएफ महागठबंधन में शामिल हुई थी। अब चुनाव समाप्त हो गया, ऐसे में महागठबंधन में शामिल रहने की बात भी अब अतीत हो गयी।

महागठबंधन से अलग होने के बाद प्रवीण बोडो ने कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले उप चुनाव में बीपीएफ अकेले लड़ेगी। इसके लिए पार्टी पूरी तरह से तैयार हो गयी है।

उल्लेखनीय है कि बीपीएफ सदैव सरकार के साथ रहने वाली पार्टी के अध्यक्ष हग्रामा महिलारी गत शुक्रवार को अपने पार्टी के विधायकों के साथ मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा से मुलाकात कर मुख्यमंत्री राहत पूंजी में 25 लाख रुपये का चेक प्रदान किया था। उसके बाद से ही बीपीएफ की स्थिति बदलती नजर आ रही थी। अब देखना है कि बीपीएफ भाजपा के साथ गठबंधन करती है या नहीं। अगर ऐसा होता है तो बीटीसी इलाके की राजनीति में फिर से अथल-पुथल मच सकती है।

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