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नलबाड़ी, 28 अप्रैल। कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातनाध्ययन विश्वविद्यालय के सर्वदर्शन विभाग एवं सर्वदर्शन परिषद् के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित “शास्त्रमन्थनम्” नामक 108 व्याख्यानों की श्रृंखला का द्वितीय व्याख्यान आज आभासी माध्यम से अत्यन्त सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस व्याख्यान सत्र में विश्वविद्यालय के अध्यापकगण, विद्यार्थी तथा शोधार्थीगण सक्रिय रूप से उपस्थित रहे। असम विश्वविद्यालय, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के एकलव्य परिसर तथा अगरतला परिसर के छात्र-छात्राएँ भी विशेष रूप से इसमें सम्मिलित हुए।
आज के व्याख्यान का विषय था — “वेदान्तशास्त्र में ब्रह्म और जीव का स्वरूप”। इस विषय पर केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, एकलव्य परिसर के सहायक आचार्य डॉ. श्रीकर जी एन ने विशद एवं अत्यन्त सुबोध शैली में व्याख्यान प्रस्तुत किया।
अपने उद्बोधन में डॉ. श्रीकर ने वेदान्तशास्त्र में जीव और ब्रह्म के स्वरूप का गहन विवेचन करते हुए अज्ञान (अविद्या) के स्वरूप, उसके भेदों तथा अध्यारोप के सिद्धांत को भी सरलता से स्पष्ट किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ सर्वदर्शन विभाग की छात्रा निशिता देवी द्वारा मंगलाचरण के साथ हुआ, जिससे सम्पूर्ण वातावरण भक्तिभाव से आपूरित हो गया। कार्यक्रम का संचालन एवं वक्ता परिचय शोध छात्र पुलक उपाध्याय ने अत्यन्त कुशलता से सम्पन्न किया।
विभागाध्यक्ष डॉ. रणजीत कुमार तिवारी ने नेतृत्व प्रदान करते हुए कार्यक्रम का समयबद्ध एवं व्यवस्थित संचालन सुनिश्चित किया। समापन के अवसर पर छात्र समुदाय ने व्याख्यान को अत्यन्त लाभकारी बताते हुए आयोजकों तथा वक्ता के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। ‘शास्त्रमन्थनम्’ व्याख्यानमाला के आगामी व्याख्यानों को लेकर प्रतिभागियों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है।