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आज कल बेवकूफ होती है पढ़ी लिखी जिम्मेदार औरतें भी……

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अपने वर्किंग लेडी होने का
हुनर , घर संभालने की अकड़
धरी कि धरी रह जाती है
जब वो फेसबुक पर होती हैं………
ऑफिस से थक हार कर ,
घर के किचेन और बच्चों की पढ़ाई से
फुर्सत पा कर
इंस्टा, वाट्सअप और फेसबुक की
वॉल पर जब वो
खुद को ढूंढने आती है
तो सच में कितनी निरीह होती है
उन्हें पता है ये वर्चुअल दुनिया है
जब कोई कह दे आप कितनी सुंदर हो
ब्यूटी क्वीन हो ,
वो उसे प्रेम समझ लेती है
तब वो बहक भी जाती है …..
(किसी को बुरी लगे तो I am very sorry)
पढ़ी लिखी औरतें
कहने को स्ट्रॉन्ग होती हैं
उन्हें दर असल
अपने भाग दौड़ वाली जिंदगी में
सुकून का एक कोना चाहिए होता है
वो कह नहीं पाती खुल कर
क्यों कि वो वर्किंग लेडी है
वो खुल नहीं पाती यूं ही
क्यों कि वो पढ़ी लिखी समझदार स्त्री हैं
वो तकलीफ बयान नहीं कर पाती
क्यों कि लोग क्या कहेंगे
उन्हें कोई पूछ ले “कैसी हैं आप”
“ठीक हूं” कह कर मुस्कुरा देने वाली स्त्री
अक्सर सोशल मीडिया पर
 बेवकूफ बन जाती हैं।।
आसान है जब कोई कहें
आप जी लो जिंदगी
समझदारी में रखा क्या है
और बातें बना कर
अपना पन दिखा कर
बखूबी उन्हें
समझने का नाटक करे
तो बेबस बन जाती है ये औरतें।
वो पढ़ी लिखी औरतें जो
वर्किंग लेडी नहीं होती
घर पर चेहरे पर मुस्कान लिए
कामवाली की तरह
पसीने से लथपथ होने पर भी
जब पति से दो टूक तारीफ नहीं पाती
कितना काम करती हो
का आश्वासन नहीं मिलता,
“ख्याल रखो”
“मैं हूं न”का एक सहारा नहीं मिलता
तब वो सोशल मीडिया में
किसी की तारीफ सुन कर
किसी की “मैं हूं न”वाली
राइट अप देख कर
बेवकूफ बन जाती है।।
औरत के मन को पढ़ने का
दावा करने वाला एक मक्कार भी
उसी औरत की मन की बात को
लफ्जों से नवाज कर
चिकनी चुपड़ी बातें लिख कर
एक दिन वाहवाही लूटा करता है
ऐसे ही नहीं एक पढ़ी लिखी औरत
सुकून की तलाश में
बेवकूफ बनती है।।
निरंतर खामोशी में प्रतीक्षारत
प्रेम के दो शब्द सुनने को
जी रही होती
ये पढ़ी लिखी औरतें
कभी कोई तो समझेगा
दो टूक प्रेम की भाषा बोलेगा
और वो बहक जाती है
कईयों को बेवकूफ बनाने वाले
एक्सपर्टाइज मर्दों से।
न हर मर्द एक जैसा नहीं होता
न ही हर स्त्री ।
एक स्त्री बेवकूफ बनती है
जिस पुरुष को वो भरोसेमंद समझती है।।
घर पर सबकी शिकायतें
सुलझाते सुलझाते
एक पढ़ी लिखी औरत
अपने ही दर्द और पीड़ा में उलझ जाती है
प्रेम मिलने की ख्वाइश में
वो समझौता कर लेती है जिंदगी से
हर संघर्ष से लड़ते झगड़ते
आंसुओं को पी कर
पढ़ी लिखी हो कर भी
एक बार
वो बेवकूफ बन जाती है।
आपका अपना मित्र 👉👉 शेषराम शरण ✍️✍️
फेसबुक से साभार

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